अफवाहों का बाज़ार भारत मे अपने पूरे सबाब पर है। ऐसा लगता है किसी भी समय भारत पाकिस्तान की जंग हो सकती है या नार्थ कोरिया अभी अमेरिका पर हमला कर सकता है या परमाणु हमले के मुहाने पर भारत खडा है या कोई आपके घर में घुस कर आपके घर की महिलाओं की चोटी काट कर ले जाएगा, किसी जमाने का मंकी मैन आज का चोटी कटवा बन गया है।
इतना झूठ फैलाया जा रहा है कि कोई आदमी सत्य को देखना ही नहीं चाहता हैं उसे वो झूठ ही सत्य नजर आता है क्योंकि वह इतना सफाई से और ऊंचा बोलकर सुनाया जा रहा है कि आपको लगेगा कि यही सत्य है। धीरे धीरे आपके विवेक को खत्म किया जा रहा है और आपको तार्किक युद्ध में धकेल जा रहा है।
जो लोग आपको इस युद्ध में धकेल रहे है वो कभी इस जंग का हिस्सा नहीं बनेंगे उलटे आपको किसी दिन हवालात की हवा खानी पड़ेगी और आपका कोई भी नेता जिसके लिए आप जान देने या लेने के लिए तैयार थे वो आपको बचाने नही आएगा और आपको असामाजिक तत्व घोषित कर आपसे दूरी बना लेगा।
कहा कि वीडियो कहा कि दिखा दी जाती है और उसमें कमेंट करने वालो की लाइन लग जाती है सच और झूठ की जंग शुरू हो जाती है और अंत में सच झूठ के आगे हार मान लेता है क्योंकि उसे जिस भाषा में जवाब दिया जाता है वो इन तर्कों के लिए सही नहीं हो सकती है।
पाकिस्तान के वीडियो को उप्र का बता कर , बर्मा का वीडियो कश्मीर का बताया, कश्मीर का वीडियो जयपुर का बता कर देश को दंगों और आपसी लड़ाई में झोका जा रहा है और ऐसा नहीं की ये कोई एक पार्टी विशेष कर रही है सभी पार्टियां यही कर रही है चाहे वो बंगाल हो या केरल, कश्मीर हो या उप्र, कर्नाटक हो या आंध्र देश, सभी राज्यों का लगभग यही हाल है।
ये ताकते देश की युवा नस्लों में जहर के बीज बो रही है ताकि उसकी फसल को ये लोग काट सके, ये जहर हमें ही आगे जाकर ले डूबेगा।
जिन मुद्दों से सरकारों से सवाल करना चाहिए उन मुद्दों को कचरे के डिब्बे मैं डाल कर हिन्दू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान, गाय, गोबर, और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों को लेकर रोज शाम टेलीविजन पर लोगों को लड़ते लडाते इन पत्रकारों और नेताओं को देखा जा सकता है।
किसी की मौत पर भी ऐसी सियासत होती है की मारने वाला तो अलंकृत हो जाता है और जिसकी जान सच बोलने या किसी के खिलाफ बोलने की वजह से गयी उसकी विश्वसनीयता खत्म कर दी जाती है। हमारा समाज दिन प्रति दिन असंवेदनशील होता जा रहा हैं और इसका जिम्मेदार कोई और नहीं हम खुद है क्योंकि हमे तभी दुख होता है हमारा कोई अपना मरता है, हम तभी आवाज उठाते हैं जब हमें कोई तकलीफ होती है ।
जब तक रोज होने वाली घटनाओं को हम अपने साथ नहीं जोड़ते अपने दर्द के साथ नहीं जोड़ते तब तक हम असंवेदन शील ही कहे जाएंगे, आज कोई भी सोशल मीडिया का सहारा लेकर कुछ भी अनापशनाप बक कर चला जाता है वह एक पल भी नहीं सोचता कि उसके ये घटिया शब्द किसी को या किसी व्यक्ति विशेष को कितना आहत करेंगे।
अपनी बात कहने का पूरा हक है परंतु शब्दों की मर्यादा भी कोई चीज है आज शब्द पूरी तरह बेरहम हो चुके हैं किसी की मौत पर जिस तरह के शब्दों का प्रयोग हो रहा है लगता है कि यह हमारी संस्कृति है ही नहीं, यह हमारा भारत है ही नहीं, क्योंकि हमारी संस्कृति में यदि किसी व्यक्ति ने कितने भी बुरे काम किए हो यदि वह मृत्यु को प्राप्त होता है तो उसके बारे में कुछ भी बुरा भला नहीं कहा जाता है।
शिक्षा,स्वस्थ,बेरोजगारी, महंगाई जेसो मुद्दे अब न तो अखबारों मैं या टेलीविजन पर कोई चर्चा नहीं होती न ही कोई विरोध होता है। कैनवस पर एक ऐसी तस्वीर बनाई जा रही ही कि हम इतनी तरक्की कर चुके हैं की आज 75₹ में पेट्रोल खरीदने में सक्षम हो चुके है या जो एलपीजी हम 450₹ में खरीदते थे वो आज हम 900₹ मैं खरीद कर खुश हो रहे है।
इन मुद्दों पर हमारा ध्यान जाने ही नही दिया जा रहा है क्योंकि हम तो हिन्दू मुस्लिम या भारत पाकिस्तान जंग या देश के टुकड़े करने वालो पर बहस कर रहे है। टेलीविजन पर इन मुद्दों की कोई जगह बाकी नही रही है।
अगर आप कहोगे की मेरे घर दो दिन से बिजली नही आ रही हैं तो कुछ आपको मिल जाएंगे जो कहेंगे कि सेना तो 6 महीने तक बॉर्डर पे बिजली के बिना रहती है तुम दो दिन नहीं रह सकते हो?
आपकी समस्या को ऐसे चंद लोग राष्ट्रवाद से जोड़ देंगे और आपको अपनी समस्या से झुझते हुए राष्ट्रवाद का भार अपने कंधों पर उठाना होगा। यदि आप राष्ट्र की समस्याओं के बारे मे चर्चा करेंगे या उनके लिए आवाज़ उठाएंगे तो आपको क्षण भर में देशद्रोही के तमगे से नवाज़ दिया जाएगा ।
अस्पतालों में जो मौतें हो रही है उस पर आपने सवाल किया तो उसे इन लोगों ने हिन्दू मुस्लिम के रंग में रंग दिया और असली मुद्दा जो कि बच्चों की मौत का था उसे एक डॉक्टर और उसके धर्म से जोड़ दिया, एक बार माना कि उस डॉक्टर की वजह से बच्चों की जान चली गयी मगर अब भी मौतों का सिलसिला पूरे हिंदुस्तान में बदस्तूर जारी है ,गोरखपुर के बाद कई राज्यों और जिलो में मौतों के मामले सामने आए है। अब कोई नया कारण ढूंढ कर अगली मौतों का इंतजार किया जाएगा।
अगर आप ये बुनियादी सवाल सरकारों से नहीं पूछोगे और इस तरह अफवाहों को फैलाते और भरोसा करते रहोगे तो ये बात मान कर चले कि आपके घर मे बीमारी से होने वाली मौत को भी सरकार के समर्थवादी ये लोग इसे देश पर कुर्बानी की संज्ञा प्रदान कर देंगे और आपके पास इन लोगों को दोषी ठहराने की हिम्मत नही होगी
क्योंकि यह काम कल तक आप करते आ रहे थे।
सभी पार्टियां जो इस देश पर शासन कर रही है या कर चुकी है उनसे स्पष्ट अनुरोध है कि इस अफवाह तंत्र पर लगाम लगाई जाए, इन पर कार्यवाही की जाये वरना ये देश को एक ऐसी खाई में धकेल रहे है जहां से निकल कर आना मुश्किल हो जाएगा ।
हो सकता है विपक्ष और सरकार के लिए अभी ये फायदेमंद हो परंतु कालांतर में ये चरस की फसल आपको भी ना बख्शेगी।
प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि इस अफवाह तंत्र पर रोक लगाए और अफवाह फैलाने वाले कोई भी हो चाहे कोई नेता, पत्रकार,अधिकारी,असामाजिक तत्व या आपकी पार्टी के कार्यकर्ता कोई भी हो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर जन मानस में सुरक्षा और सत्य का भाव जगाने का प्रयत्न करे।
धन्यवाद
संदीप आनंद पंचाल
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