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एक नागरिक का बीएचयू की लड़कियों के आंदोलन से जुड़े लोगों को सन्देश

बीएचयू की लड़कियों को सम्बोधित – आपकी वार्डन आपसे कहती है कि लड़के ने छू ही तो लिया है क्या बड़ी बात है। उन पर तरस खा जाइये क्योंकि हो सकता है उनके पति ने कई बार उन्हें बिना मर्जी के छुआ हो, उन्होंने अपने जान-पहचान में ऐसी ही जोर-जबरदस्ती होते देखी हो और फिर मर्दों का अधिकार समझ के जाने दिया हो। अगर वो बोलती है कि रात में बाहर जाने की ज़रूरत क्या थी तो शायद इसलिए कि उनपर भी यही सब पाबंदियां लगी हो और वो इसे जायज़ मान के आप पर भी लगाना चाहती है। मेरे घर पर भी यही हाल है और इस बात पर बाकायदा गर्व किया जाता है कि लड़कियां अकेले कही नहीं जाती और शाम को तो घर में कैद हो जाती है। में भी लड़ रहा हूँ। वो पितृसत्ता से ग्रसित और कमज़ोर है, आप नहीं, अपने अधिकार पाने के लिए लड़ते रहिये। आपकी वार्डन जैसे लोगों की वजह से ही ये देश मैरिटल रेप को नहीं मानता।

बीएचयू के वीसी को सम्बोधित – त्रिपाठी जी, आपने फिर मेरे इस विश्वास को पक्का किया है कि शिक्षण संस्थानों में वाईस चांसलर जैसे उच्च पद पर विराजमान लोग हमेशा समझदार ही होते है। आपको विश्वविद्यालय सँभालने को दिया गया था, आपने उसको जेल और खुद को जेलर समझ लिया है क्या ? इतनी अकड़ किस बात की धर के कुर्सी गरम कर रहे है ? आपसे लड़कियां छेड़खानी और शोषण की दास्ताँ बयां करना चाहती है और आप ऑफिस में सिंघासन जमाये बैठे है। वो आपसे वजीफा मांग रही है क्या ? लड़के हॉस्टल के बाहर हस्तमैथुन करते है, लड़कियों की कुर्ती में हाथ डालके रेप की सम्भावना पर विचार पूछे जाते है, यह आपको विचलित नहीं करता है क्या ? अपने छात्र जीवन में इनमे से अगर आपने कुछ नहीं किया है या आप पितृसत्ता के उपासक ना हो तो इन लड़कियों को सुन लीजिये। आपसे अधिकार मांग रही जो उन्हें मांगे बिना मिलना चाहिए था। आप भी अगर इस रामराज्य के हिमायती है तो लड़कियां इस राज्य में खुली छूट लिए घूमते रावणों से तो लड़ेंगी ही, आप की लंका भी दहन करेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित – बचपन से सुनते आया हूँ कि राजनीति कीचड़ है और नेता पिस्सू, जो लोगों का खून पीते है। बात अब समझ आती है और समक्ष दिखती भी है। नरेंद्र मोदी, आप वाराणसी के सांसद है और इन दिनों शहर में है भी लेकिन आपने बीएचयू की लड़कियों से मिलने की ज़हमत नहीं उठायी। ऐसा नहीं हो सकता कि आपको पता ही ना चला हो इस विरोध-प्रदर्शन का। फिर ऐसी क्या मजबूरी थी जो भाषणों में चिल्ला के लड़कियों की सुरक्षा की दुहाइयाँ देने वाले नरेंद्र मोदी आज शोषण से त्रस्त लड़कियों से मिलने नहीं पहुंच सके। जनता ने आपको प्रधानमंत्री चुना है, राज्याभिषेक करके भारत का सम्राट नहीं बनाया है, मन की बात करने से आपकी नाकामी नहीं छुपेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सम्बोधित – आपने जब एंटी-रोमियो दस्ता बनाया था तो लड़कियों की इज़्ज़त की चिंता ज़ाहिर की थी। बीएचयू की लड़कियों की अस्मिता पर भी हमला हो रहा है इसलिए वो 40 घंटों से प्रदर्शन कर रही है। वाराणसी में आप भी थे, मिलने चले जाते तो लड़कियां आपसे मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मांग लेती। बात सुनने की बजाय आप लाठीचार्ज करवा रहे है। अपने आप को राजा समझने लग गए है क्या ? गोरखपुर दंगों के मामले में कुछ दिन जेल में रहने के बाद संसद मेंआपके आंसू निकल आये थे और यहाँ अपने हक़ की मांग करती लड़कियों पर लाठियां चलवा रहे है। रामलीला में जाके तीर-कमान चलाने का खेला मत खेलिए, जिस काम के लिए जनता ने कुर्सी पर बिठाया है वो करिये। इतिहास तो आपका भी महिलाओं के बारे में जानते ही है सब लेकिन तब भी उम्मीद आपसे अच्छे की ही करते है।

 

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