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तुम तो नेता हो गई हो…..

कुछ एसा हीं आज-कल सुनने में आता है ‘कि मैं तो नेता हो गई हूँ ‘जब  मैने थोड़ा बहुत बोलना शुरु किया है,तब से कई लोग ये कहने लगे हैं की मैं तो नेता हो गई हूँ।उसमें भी मेरी दिलचस्पी राजनीति में हो गई है(जो की हँसने का बेहतर जरिया है मेरे लिए)लेकिन जबकि मैं नेता हूँ नहीं तो इस नेता शब्द को समझने का और समझाने का मन किया।
आज कल के हालात को तो देखकर यही लगता है की नेता वह होता है जो बड़े हीं शानदार तरिके से अपने झूठ को भी सच बना के बोल दे,दोगली बातें करना उसे बखूबी आता हो और साफ़ शब्दों में अपने झूठ के लिए ईमानदार हो तभी वह सफल नेता बन सकता है,और रही मैं-झूठ बोलूंगी तो बड़ी आसानी से कोई भी मुझे पकड़ सकता है,फिर मैं नेता तो नहीं हो सकती ना!
मैं ये नहीं कहती की नेता होना ग़लत है बल्कि गर्व है क्योंकि नेता तो वह होता है जो सबसे पीछे खड़ा होकर सबको रौशनि दिखाने का काम करे,जो हमेशा आत्मविश्वास से भरा हो,अपने लोगों से प्रेम करे,या यूँ कहे की नेता वह होता है जो अपने श्रेस्ठ नेत्रित्वता से एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करे जहाँ के लोग खुशी और आज़ादी की ज़िंदगी जी पाए.
पर नहीं;ये तो मेरे अपने विचार हैं,की नेता को ऐसा होना चाहिये…आजकल या यूँ कहे की नेता का मतलब ही होता है “भषणबाज”
जो माइक पर आये,ज़ोर-ज़ोर से भाषण दे और फिर अपने AC वाले कमरे में सो जाये भले ही आधी आबादी भूखे पेट क्यू ना सोये,नेताजी ने अपने भाषण में सबसे ज्यादा जिक्र तो उन गरिबों का हीं किया है।
मुझे एक बात हमेशा हैरान करती है;जब मैं बिना मतलब का लोगों को अपने-अपने नेताओ के लिए लड़ते देखती हूँ।
यहाँ तक की हाथा पाई भी हो जाती है।थोड़ा समझिये नेता होना मतलब आप पुरी तरह से famous हैं,पैसा भी बहुत मिलता है,कुल मिलाके ऐश की ज़िंदगी मिलती है अगर आप नेता बन गये तो।
अब आते हैं ‘हम’ यानी की आम नागरिक,क्या हम Neutral होकर चिज़ो को observe कर सकते हैं?क्यों हम उनके लिए आपस में लड़ते हैं जिन्हें हमारी कोई परवाह तक नहीं।
थोड़ा समझिये,नेता होना एक जिम्मेदारी है और अगर कोई भी इंसान अपनी ज़िम्मेदारी को नहीं निभाता तो हम उसे निकम्मा या कामचोर कहते हैं तो इन नेताओं के लिए क्यूं इतनी सहानुभूति?
नेताओं की अलग दुनिया है,जिस opposition को आज वो गाली देंगे कल को उन्हीं के साथ गठबंधन करके पार्टी बना लेंगे.
बचे हम आम नागरिक,बेहतर होगा की हम आम जनता भी आपस में भाइचारा रखें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ एकता और प्यार हो ताकि कोई भी नेता हमें यूँ हीं ना लड़वा कर चला जाये.किसी नेता के साथ भावना ना जोड़े,बेहतर होगा हर व्यक्ति को उसके काम से judge किया जाये ताकि हम आम नागरिक मिलकर एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण कर सकें क्योंकि कोई भी देश वहाँ के जनता से चलता है ना की झुठे राजनेताओं से.

और अन्ततः मैं कहना चाहूँगी की मैं कोई नेता नहीं हूँ बल्कि एक आम नागरिक हूँ जो की अपनी सोच को बुलंद आवाज़ में रखना जानती है।

Aishwarya Mona Singh Rathaur.

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