बीते दिनों देवदासी जैसी रूढ़ीवादी परंपरा के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के सरकार को नोटिस भेजा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है कि देवदासी परंपरा के तहत लड़कियों और महिलाओं को मतम्मा मंदिर में रहने के लिए विवश किया जाता है, इस दौरान उनका यौन शोषण किया जाता है. यह सामाजिक बुराई तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बहुतया से देखने को मिलता है. हाल ही में यह मामला पुन: प्रकाश में आया है.
गौरतलब है कि इस गैर कानूनी प्रथा के अंर्तगत तमिलनाडु के तिरूवलूर जिले की आस-पास गांवों की लड़कियों और महिलाओं के परिवारजनों को छद्म आस्था का हवाला देकर बलपूर्वक मतम्मा मंदिर में रहने के लिए विवश किया जाता है. फिर इनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है. तिरूवलर और चित्तूर के जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को भी नोटिस देकर, चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
आयोग ने कहा है कि, कथित रूप से पंरपरा का हवाला देकर समारोह में नाबालिग और बालिग लड़कियों को पहले दुल्हन की तरह सजाया-संवारा जाता है. समारोह के समाप्त होते ही उनको पांच लड़के मिलकर निवस्त्र कर देते है. फिर मतम्मा मंदिर के ईष्ट को प्रसन्न करने के नाम पर मंदिर के पुरोहित व अन्य इन लड़कियों का यौन शोषण करते हैं. इतना ही नहीं, इसके बाद बाद की हकीकत जानकर आपके रूह कांप जाएंगे. इस मंदिर का व्यवस्थापन आस्था और पंरपरा के नाम पर इनका शारीरीक उपभोग करने के लिए मंदिर में रहने को विवश करता है.
पंरपरा के नाम पर होने वाले हमले से लड़कियों की पढाई-लिखाई, परिवार और सपने सब कुछ छूट जाता है. कितना अच्छा लगता है यह सोचकर कि, देश 21वीं शताब्दी के सुनहरे दौर से गुजर रहा है. यह कितना चिंताजनक है कि अब भी देश में देवदासी जैसी सामाजिक बुराई की दाग देश का दामन पर चीपककर, समाज के उस विद्रूप चेहरे को उजागर करती है, जिनसे हम बचना चाहते हैं.
बहरहाल, इस प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंककर, जाने कितने लड़कियों और महिलाओं के जीवन बर्बाद करने वाले ढोंगी पंडे-पुजारियों पर कड़ी कानूनी कार्यवाई होनी चाहिए.
दूसरी ओर, देवदासी प्रथा के निर्मूलन के लिए जागरूकता कार्यक्रम को व्यापक पैमाने पर चलाना होगा. जिससे की आस्था और पंरपरा के नाम पर मासूम लड़कियों और महिलाओं का शोषण नहीं किया जा सके.
-पवन मौर्य, बनारस