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बहुत ज़ख्म दे गया ‘क्रांतिकारी’ अगस्त

राम मनोहर लोहिया ने भारत छोड़ो आंदोलन के 25वीं वर्षगांठ पर लिखा था “9 अगस्त का दिन हम भारतवासियों के जीवन की महान घटना है और यह हमेशा बनी रहेगी। 15 अगस्त राज्य की महान घटना है। अभी तक हम 15 अगस्त को धूमधाम से मनाते हैं, क्योंकि उस दिन ब्रिटिश वाइसराय माउंटबेटन ने भारत के प्रधानमंत्री से हाथ मिलाया था और क्षतिग्रस्त आज़ादी हमारे देश को दी थी। वहीं 9 अगस्त देश की जनता की उस इच्छा की अभिव्यक्ति थी जिसमें उसने यह ठान लिया था कि हमें आज़ादी चाहिए और हम आज़ादी लेकर रहेंगे।”

हमारे देश को आज़ादी मिले 70 बरस हो गए, लेकिन हमारे मन में आज भी यह सवाल उठता है कि क्या हम सचमुच आज़ाद हो गए हैं? अगस्त जब भी आता है तो लोगों को अपनी आज़ादी याद आने लगती है। आज़ादी के बाद इन 70 सालों में सरकारें बदलीं और सरकार चलाने वाले लोग भी बदले, लेकिन सवाल यह उठता है कि देश की तस्वीर कितनी बदली? अगस्त हर साल आता है और हर साल आकर देश की तस्वीर बदल जाता है। हज़ारों लोगों को काल के गाल में सुलाकर वो आज़ादी के बैनर तले हमें दबा जाता है। सरकारें हाथ पर हाथ रखे बैठी रहती हैं और आसानी से कह देती हैं कि साहब! अगस्त के महीने में तो मौतें होती रहती हैं।

हर साल की तरह इस साल भी अगस्त ने अपना जलवा दिखा दिया। देश में कई हादसे और मौतें इस बात की गवाही देती हैं कि सचमुच ये महीना क्रांतिकारी है। आइये एक नज़र डालते हैं ऐसी ही कुछ घटनाओं पर।

गोरखपुर में 290 बच्चों की मौत

बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में सरकार और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने 290 मासूमों को इसी महीने हमेशा के लिए सुला दिया। ऑक्सीजन की कमी कुछ ऐसी हुई कि मौत ने इन बच्चों को अपनी गोद में सुला लिया। बच्चों के परिजन हाथ मलते रह गए और सरकार ने ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि ये अगस्त का महीना है और इसमें मौतें होती रहती है। हालांकि कई डाक्टरों पर कार्रवाई की गई और उनको अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। पिछले चार दिनों में उसी अस्पताल में 37 बच्चों ने दम तोड़ दिया। कई बच्चों तो ऐसे भी थे जिनके नाम तक नहीं रखे गए थे। 30 अगस्त को उप्र के मुख्यमंत्री का एक गैर ज़िम्मेदाराना बयान आता है, “लोग तो चाहते हैं कि उनके बच्चों का पालन-पोषण सरकार करे” और यह कहकर वे अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।

एक महीने में तीन ट्रेन हादसे

एक ही महीने में तीन ट्रेन हादसे इस बात की गवाही देते हैं कि वास्तव में अगस्त बहुत क्रांतिकारी रहा। 19 आगस्त को मुज़फ्फरनगर के खतौली में पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें 25 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। ये घटना भी एक लापरवाही की वजह से ही हुई थी। उसके बाद 23 अगस्त को उप्र के औरैया को पास कैफियत एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे। फिर 29 अगस्त को महाराष्ट्र के नागपुर में नागपुर-मुंबई दुरंतो एक्सप्रेस के 9 डिब्बे और इंजन पटरी से उतर गए। हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं थी।

बिहार और यूपी में बाढ़

पिछले कुछ दिनों से बिहार और यूपी में कुदरत अपना कहर बरसा रही है। अभी तक केवल बिहार में ही 500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं और उप्र के पूर्वी इलाकों में सौ से अधिक जाने जा चुकी हैं। लोग और गैर सरकारी संगठन ज़रूरतमंदों की मदद के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। नेता हवाई यात्रा कर के बाढ़ ग्रसित इलाकों का जायज़ा ले रहे हैं और सांत्वना दे रहे हैं।

ब्लूव्हेल चैलेंज गेम

इन दिनों देश में एक चर्चा ब्लूव्हेल चैलेंज गेम की है जो बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसा रहा है। इसके शिकार हुए बच्चे अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। सोशल मीडिया पर चल रहे इस गेम को हटाने की मांग संसद में भी उठ चुकी है, लेकिन अभी तक इस पर कोई लगाम नहीं लगाई जा सकी है। आए दिन बच्चों की आत्महत्या की खबरें सुनने में आ रही है। पूरी दुनिया में 100 से अधिक बच्चे इस खेल के चक्कर में अपनी जान गंवा चुके हैं।

राम रहीम के गुंडों ने आतंक फैलाया

बलात्कारी बाबा राम रहीम को दो साध्वियों के साथ बलात्कार करने के आरोप में कोर्ट ने दोषी करार दिया और उसके बाद बाबा के समर्थकों ने पंचकुला सहित कई शहरों में उत्पात मचाया। कई गाड़ियां फूंक दी गई, मीडियाकर्मियों पर हमले हुए, ओवी वैन को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना में 25 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। बाबा के गुंडों की गुंडागर्दी राजधानी तक भी पहुंची। आनंद विहार स्टेशन पर खड़ी रीवा एक्सप्रेस के दो बोगियों को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना में काफी नुकसान हुआ।

बस इतना ही नहीं बल्कि कई ऐसे मुद्दे हैं जो अगस्त को क्रांतिकारी बनाने में सहायक साबित हुए हैं। आरबीआई ने इसी महीने में 50 और 200 के नए नोट जारी किए। बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर भी इसी अगस्त में हुआ। नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोडक़र एनडीए का दामन थाम लिया और लालू के लाल तेजस्वी को इस्तीफा देना पड़ा था। मुंबई ने भी बाढ़ का दंश झेला। इन घटनाओं ने ये साबित कर दिया कि वास्तव में अगस्त बहुत क्रांतिकारी रहा।

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