कुछ दिनों पहले एक पत्रकार की हत्या हुई थी नाम था गौरी लंकेश,सुने थे की राइट विंग वालों को क्रिटिसाइज़ करती थी उनके धर्म वर्म पर कुछ लिखती थी तो मतलब राष्ट्रवादियों ने उन्हें मार दिया अरे चचा ऐसा हम थोड़ी कह रहे है ऐसा तो बहुत ज्ञानी प्रकांड विद्वान-विदुषी लोग कह रहे है, कह रहे है की लोकतंत्र की ह्त्या हुई थी मतलब लिबरल लोग अरे सहिष्णु लोग अरे वोही लोग जो असहिष्णुता होते ही पुरूस्कार लौटा देते हैं, अरे वोही जिनके लिए भारत अब रहने लायक नहीं है, हम किसी की हत्या को सही नहीं ठहरा रहें है जो हुआ है गलत हुआ है पर कमसेकम इन लोगों को सलाह दे रहे हैं की भैया फैज़ की शायरी को प्रयोग करने से पहले उसका अर्थ तो जान लो, अमां यार हो सकता है #महोदया का सब्जी वाले के साथ झगड़ा हुआ हो एक्स्ट्रा धनिया के चक्कर में कुछ भी हो सकता है अरे अब कानून को करने दो मियाँ खुद ही तो सारे निर्णय ले तो नहीं लोगे न तुम।
अच्छा अभी हाल ही मे 3 -4 दिन पहले एक पत्रकार महोदय की हत्या हो गई, शांतनु भौमिक नाम था उनका वो भी लिखते थे एक विचारधारा के खिलाफ पर उनकी हत्या हुई तो लगता है ये सारे लोग मौन व्रत धारण किये हुए है, मतलब ठीक है त्यौहार का माहौल चल रहा है हो जाती है हत्या, अब बच्चे है बच्चो से तो गलतियां हो जाती है और आप एक पार्टी के खिलाफ काहे जाँच-पड़ताल करने लगे हैं, गौरी मैडम वाला वो फ्रीडम ऑफ़ स्पीच & एक्सप्रेशन तुम्हारे पास थोड़ी ही था, तुम्हारे लिए कोई आई ऍम शांतनु थोड़ी ही लेके घूमेगा, तुम्हारे लिए नहीं लिखे जायेंगे बड़े-बड़े आर्टिकल तुम्हारे बारे में नहीं होंगे वाद विवाद ये मनोरंजन का पर्याय बन चुके टेड़े हो चुके लोकतंत्र के चौथे खम्बे मीडिया पर, भैया आप तो फालतू में ही पिस गए।
अच्छा अब ये सब पढ़ कर हमको कोई भक्त बोले भाई बोल लो आपके पास तो है न फ्रीडम ऑफ़ स्पीच & एक्सप्रेशन अहम् मुद्दों पर बोलने का।
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#tripura
#shantanubhowmik
#gaurilankesh