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Happy birth day

माना की तेरी दीद के काबिल नही मैं
तू मेरा शौक देख मेरा इंतज़ार देख।
इन्ही पंक्तियों के आस पास देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी राजनीतिक यात्रा चलती रही।
आज उन्ही मनमोहन सिंह जी का जन्म दिन है, जन्म दिन की हार्दिक बधाइयाँ।
भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और उसकी सिंचाई करने मे इनका चार से पाँच दशक तक इनका योगदान रहा, आप यकिन माने या ना माने परन्तु डॉ साहब का अनुमान कभी गलत नही होता था। विमुद्रिकरण के बाद सदन में इन्होंने कहा था कि GDP 2% तक काम हो सकती है और यह साबित भी हुआ कि आज GDP घट कर 6.7% हो गयी है।
अपने लंबे राजनीति काल में मनमोहन सिंह जी पर किसी ने कोई निजी आरोप नही लगाए हर किसी पार्टी ने उनके प्रति सम्मान दर्शाया है। प्रधान मंत्री के पद पर रहते हुए आलोचना जरूर होती है क्योकि वह पद 1.25B लोगो की अपेक्षा को पूरा करने लिए आपको मिला था तो दबाव और आलोचनाएं इसका हिस्सा बन गए थे।
डॉ साहब ने आलोचनाओ का जवाब भी दिया मगर कुछ बयान उनके विवाद खड़े कर गए।
एक बार जब उन्होंने कहा कि पैसे पेड़ पर नही उगते और एक जब कहा कि देश के संशाधनों पर मुसलमानों का पहला हक़ है। विपक्ष भी काफी नाराज हुए था।
खैर आप रिज़र्व बैंक के गवर्नर, देश के वित्त मंत्री और दस साल प्रधानमंत्री पद पर रहे।
सदन में कोयला घोटाले की बहस के दौरान डॉ साहब ने एक शेर कहा था
‘ हजारो जवाबो से अच्छी खमोशी है मेरी
ना जाने कितने सवालो की आबरू रखी’
इस शेर ने कही न कही ये इशारा किया था कि वो एक अच्छे प्रधानमंत्री तो है मगर एक मजबूर राजनेता भी है।
गठबंधन की सत्ता को चलाने की मजबूरी राजनीति की सबसे बड़ी मजबूरी होती है। UPA के कार्यकाल में घोटालो की बाढ़ आ गयी थी जिस कारण कुछ छीटे प्रधानमंत्री पर भी पड़े।
डॉ मनमोहन सिंह जी के प्रधान मंत्री बनने की घटना भी दिलचस्प थी।
2004 में जब UPA की सरकार बनी तो सारी कांग्रेस पार्टी और समर्थक दल चाहते थे कि सोनिया गांधी ही प्रधान मंत्री बने परन्तु राजनीतिक इतिहास और पारिवारिक कारणों से उन्होंने प्रधानमंत्री बनना स्वीकार नहीं किया, तब कांग्रेस के सामने एक प्रधानमंत्री के नाम कोई चेहरा नहीं था क्योकि सारा चुनाव सोनिया गांधी और गांधी परिवार के नाम पर लड़ा गया था ।
उस समय एक नाम उभरकर आया वो था डॉ मनमोहन सिंह। कांग्रेस के एक वफादार जो कि नरसिम्हा सरकार में वित्त मंत्री भी रह चुके थे। सोनिया गांधी ने इनके नाम का प्रस्ताव रखा जो कि सर्व मान्य था और डॉ मनमोहन सिंह जी 100 करोड भारतीयों के नए प्रधानमंत्री बने।
विश्व आर्थिक संकटो से गुजर रहा था तब भारत भी इन आर्थिक संकट से गुजर सकता था मगर तब भी मनमोहन सिंह जी ने ही हमें इस संकट से उबार था।
आलोचना विवेक पूर्ण हो तो हर मसले का हल कही भी निकल सकता है।
देश के पूर्व प्रधामनमंत्री को हार्दिक बधाई और भगवान से कामना करते है कि भगवान आपको लबी उम्र के लिए प्रार्थना करते है।
जय हिन्द
जय जवान, जय किसान,जय विज्ञान
संदीप कुमार आनंद

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