हमारे देश की जनसांख्यिकी* और सियासत के मायने पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे बदल रहे हैं। वर्तमान समय में, युवाओं को हमारी मूल्यवान जनसांख्यिकीय पूंजी के रूप में देखा जा रहा है। युवा भी, देश व प्रदेश में बड़ा सामाजिक बदलाव लाने के लिए नौकरशाही से इतर शासन और राजनीतिक क्षेत्र में योगदान देने के लिए उत्साहित हैं।
एक समय ‘राजनीति’ के क्षेत्र को काफी हद तक कई नकारात्मक अर्थों के साथ देखा जाने लगा था। राजनीतिक सरपरस्ती, बाहुबल की ताकत और अथाह वित्तीय ताकत ऐसे माध्यम हैं, जिनसे कोई भी व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है। एकमात्र अन्य रास्ता जिससे युवा, नीति या समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने में सक्षम हो सकता है, वह है वर्षों से तैयारी कर अत्यधिक प्रतिस्पर्धी* सिविल सर्विस की परीक्षाओं को पास करना और सरकार में नौकरी करना।
लेकिन आज, नीति व सामाजिक क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए अपने रुचि के क्षेत्र में काम करने के लिए खूब अवसर हैं। गवर्नेंस और राजनीतिक व्यवस्था में भाग लेने और काम करने के लिए युवाओं के बीच एक नया उत्साह दिखाई दे रहा है। अवसर भी विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध हैं- एक थिंक टैंक में शोधकर्ता* के रूप में, चुनाव लड़ने वाले विधायकों/सांसद के लिए राजनीतिक परामर्शदाता*, विधायकों/सांसद के लिए निर्वाचन क्षेत्र विकास परामर्शी तथा सरकारी संस्थान में एक इंटर्न अथवा एनजीओ में एक स्वयंसेवक के रूप में।
राजनीतिक पार्टियां कर रहीं हैं युवा पेशेवरों को शामिल
हाल ही में कुछ हफ्ते पहले कॉंग्रेस पार्टी ने युवा पेशेवरों को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रोफेशनल कॉंग्रेस विंग का निर्माण किया है, जिसके द्वारा वह युवाओं को राजनीति और नीति-निर्माण में शामिल कर पार्टी की दिशा में सुधार करना चाहती है। आम आदमी पार्टी भी पार्टी के रिसर्च और मीडिया टीम को मजबूत करने के लिए समय-समय पर युवाओं के लिए इंटर्नशिप निकालती है। पोलिटिकल-एज, समग्र, प्रशांत किशोर की इंडिया पोलिटिकल एक्शन कमिटी जैसी राजनीतिक परामर्श कम्पनियों के साथ काम करने के अवसर भी हैं जो देश से लेकर प्रदेश तक पार्टियों और उम्मीदवारों का चुनाव अभियान डाटा और नवीन तकनीक द्वारा लड़ाने का दम भरते हैं। मीडिया, सोशल मीडिया, लेखन, ज़मीनी सर्वे से लेकर चुनावी जुमले बनाने के काम के लिए यह कंपनियां विशेषज्ञ पेशेवरों को शामिल करती हैं।
नीति-निर्माण और थिंक टैंक
पश्चिमी देशों में, नीतिगत ढांचा तैयार कर सरकार को सहायता करने में थिंक टैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह चलन भारत में अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन ऐसे संगठनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च जैसे भारतीय थिंक टैंकों ने हमेशा नीतिगत स्तर पर काम करने के इच्छुक लोगों के लिए एक दिलचस्प मौका दिया है। इसके अलावा पहले इंडिया फाउंडेशन, विज़न इंडिया फाउंडेशन जैसे नए थिंक टैंक भी युवाओं को नीति व गवर्नेंस जोड़ रहे हैं और इस क्षेत्र में मौके प्रदान कर रहे हैं। विभिन्न थिन्क-टैंक हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पर्यावरण आदि जैसे क्षेत्रों में कई अवसर प्रदान करते हैं।
साथ ही ज़मीनी स्तर पर काम करना आज तेज़ी से लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है, क्योंकि नीति के कार्यान्वयन में जटिलताओं को समझने के लिय युवा आकर्षित व उत्साहित है। फोर्थ लायन, स्वनीति इनिशिएटिव ऐसे संगठन हैं जो संसदीय/विधायक निर्वाचन क्षेत्र में क्षेत्र के नेता के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
संसदीय नीति निर्माता
संसदीय नीति क्षेत्र में, युवाओं के लिए LAMP और स्वनीती फैलोशिप ऐसे अनूठे अवसर है जहां 11-15 माह की अवधि के लिए युवाओं को सांसदों के साथ विधान सहायक के रूप में कार्य करना होता है। कार्यक्रम के दौरान फेलो, सांसद के साथ पूर्णकालिक रूप से जुड़कर संसदीय कार्रवाई के लिए रिसर्च कर इनपुट प्रदान करते है और सांसद/विधायक के संसदीय कार्य और विधायी विकास कार्य में सहयोग देते है।
युवा हैं प्रशासनिक विकास के सहभागी
हरियाणा, गुजरात, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सहित कई राज्य सरकारों ने फेलोशिप शुरू की है, जो उन युवाओं की तलाश कर रहे हैं जो प्रमुख क्षेत्रों में सरकार के कार्यान्वयन के प्रयासों में सहायता कर सकते हैं। मुख्यमंत्री फ़ेलोशिप का यह मॉडल मोदी द्वारा 2009 में शुरू किया गया था, जो भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्रीयों के साथ अब मजबूती से पकड़ बनाए हुए हैं। केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश व महाराष्ट्र राज्य सरकारों द्वारा युवा पेशेवरों का चयन किया गया है जो राज्य में जिला कलेक्टर के साथ काम करेंगे। दावेदारों में आईआईटी, आईआईएम और आइवी लीग संस्थानों के छात्र भी शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फैलोशिप युवाओं के लिए एक और ऐसा अवसर है जो चर्चा करने योग्य है। यह दो साल का कार्यक्रम है जहां ‘विकास के सहभागी’ के रूप में फैलो जिला प्रशासनिक सेटअप के साथ काम करता है। यह ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाए जा रही एक पहल है जो जिला कलेक्टरों के साथ युवा पेशेवरों को शामिल करने और ज़मीनी स्तर के संस्थानों की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। यहां तक कि नीति आयोग और केंद्रीय मंत्रालयों में भी सामाजिक प्रभाव और कुछ वर्षों तक विशिष्ट प्रोजेक्ट के लिए युवा पेशेवरों को अवसर प्रदान कर रहे हैं।
नीति-शासन क्षेत्र और युवा भारत की आकांक्षाओं के बीच के अंतर को ख़त्म करने के लिए फेलोशिप और इंटर्नशिप उत्कृष्ट माध्यम हैं। आजकल, ये अनुभव युवाओं के लिए नीति और राजनीति क्षेत्र में शामिल होने के लिए मील के पत्थर के तौर पर काम कर रहे हैं।
युवा भी आज आगे आने और शासन की ज़िम्मेदारी का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित है। अब युवा, राजनीति को ‘कीचड़’ के रूप में नहीं देखता, बल्कि इस कीचड़ की सफाई के लिए वह आगे बढ़कर सरकार तथा राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है।
1)- जनसांख्यिकी – Demography 2)- शोधकर्ता – Researcher 3)- राजनीतिक परामर्शदाता – Political Advisor
4)- प्रतिस्पर्धी – Competitive
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