गुड़गांव के रायन स्कूल में एक बच्चे की हत्या की घटना से स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल झारखंड के परिप्रेक्ष्य में भी बेहद चिंतनीय है। यहां के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को खतरा बाहरी व्यक्तियों या स्कूल के कर्मचारियों से भले ही हो या न हो लेकिन व्यवस्थागत खामियों के कारण उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है,कम से कम पिछले दिनों राज्य के अलग अलग जिलों में हुई घटनाएं और उस पर स्थानीय प्रशासन या शिक्षा विभाग व सरकार की चुप्पी तो यही संकेत दे रही है।
पहले गढ़वा फिर गुमला के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में दो लड़कियों की हुई मौत हो या फिर दुमका के बालिका छात्रावास में एक लड़की के साथ शर्मनाक घटना या फिर खूंटी में महज दस दिनों के अंदर कस्तूरबा स्कूल की दो लड़कियों को अचानक हुए पेट दर्द की घटना जिसमें एक लड़की की मौत हो गई तो दूसरी घटना में बड़ी मुश्किल से परिजन उसकी जान बचा पाए। एक अन्य घटना खूंटी के प्रतिष्ठित निजी स्कूल में भी हुई जिसमें चार बच्चों ने एक अन्य बच्चे की इतनी अधिक पिटाई की वह भी कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती होकर मौत से जूझकर अपनी जान बचा सका। इस मामले में हालांकि स्कूल प्रबंधन ने जरूर उन सभी छात्रों को स्कूल से निकाल बाहर किया लेकिन ऐसी घटनाएं फिर से नहीं हो इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा का सवाल बरकरार है। इस दिशा में स्थानीय प्रशासन द्वारा भी कोई कदम नहीं उठाया गया जिसके कारण प्रशासन की गंभीरता भी इस ओर नज़र नहीं आती है वहीं खामोशी राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने भी ओढ़ रखी है क्योंकि उस स्तर से भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है ऐसे में स्कूलों में हमारे बच्चे भगवान भरोसे ही अपनी पढ़ाई कर रहे हैं और भगवान से भी प्रार्थना है कि वह इन बच्चों को सुरक्षित रखें।