पहली बार 2016 मे जब मैंने “टॉयलेट एक प्रेमकथा” का पोस्टर देखा तो लगा कि ये फिल्म लव स्टोरी, प्यार, इश्क, मोहब्बत पर आधारित है। ऐसा लगा शायद टायलेट में ही नायक-नायिका का प्रेम सफाया होगा। लेकिन ट्रेलर देखने के बाद अच्छा लगा कि वाकई अब फिल्में समाज के ज्वलंत मुद्दों, कुरूतियों पर बन रहीं हैं। मेनस्ट्रीम फिल्म इंडस्ट्री में बच्चन साहब और आमिर खान के अलावा इस टाइप की फिल्में कोई करना भी नही चाहता। लेकिन अक्षय कुमार भी अब धीरे-धीरे ऐसी फिल्में साइन कर रहें हैं।
खैर…आप सभी को यह जानकर गर्व होगा कि “टायलेट एक प्रेम कथा” अपने जिले महाराजगंज कंचनपूर गांव की प्रियंका भारती के ऊपर आधारित है। प्रियंका ने शादी के अगले ही दिन अपना ससुराल सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्यूंकि वहां शौचालय नही था। अपने पति से कई बार कहने के बावजूद भी जब उसकी बात को किसी ने तवज्जो नही दी तो प्रियंका ने खेत जाने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि जब तक घर मे… फिर क्या… एक दिन प्रियंका ने अपना सारा सामान उठाया और भाई के साथ मायके चली गई।
प्रियंका के जाने के बाद गांव में अफवाह फैल गई कि उसका किसी से प्रेम प्रसंग चल रहा है जिसके कारण वह भाग गई। मां-बाप ने लाख समझाने की कोशिश की पर प्रियंका अपने फैसले से पीछे नही हटी। प्रियंका की जिद की धीरे-धीरे हर जगह चर्चा होने लगी। घर वाले, रिश्तेदार, गांव- हर जगह प्रियंका को कोसा जा रहा था।
इसी बीच शौचालय बनवाने वाले एनजीओ सुलभ इंटरनेशनल की नज़र इस खबर पर पड़ी। उन्होंने प्रियंका के घर जाकर उससे और उसके माता-पिता से बात की। उन्होंने प्रियंका से कहा कि तुमने ससुराल छोड़कर बहुत ही हिम्मत का काम किया है। फिर एनजीओ वालों ने प्रियंका के ससुराल वालों से बात करके और खर्च देकर घर में शौचालय बनवाया। शौचालय बनने के बाद एनजीओ की तरफ से ही गांव में भोज का आयोजन हुआ और प्रियंका को ससुराल वापस बुलाया गया।
प्रियंका ने ही नए टॉयलेट का उद्धाटन किया। एनजीओ की तरफ से 2 लाख रुपए देकर सम्मानित भी किया गया। 2012 तक जहां उसके ससुराल में 3-4 घर में ही टॉयलेट हुआ करते था, अब वहीं 90 फीसदी घरों में टॉयलेट बन गए हैं। मगर अफसोस अभी भी देश कई ऐसे गांव हैं, जहां ना जाने कितनी प्रियंका खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं और स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर बनने वाले शौचालय मुंह चिढ़ा रहे हैं।
बहुत से ग्रामीण इलाकों में आज भी आप अर्ली मार्निंग या दिन ढलने के बाद किसी सड़क से गुज़रेंगे तो हेडलाईट पड़ते ही महिलाएं शर्म से खड़ी हो जाती हैं। उनकी ये लाज, संस्कृति, आदर-सम्मान और अशिक्षा ही है जो उन्हे मजबूर बना देती है, वो आवाज़ नही उठा पाती हैं और चुपचाप ये सब सहन करती हैं।
सुलभ इंटनेशनल स्वच्छता के लिए काम करने वाली भारत की सबसे बड़ी ऑर्गेनाइजेशन में से एक है। सुलभ ने ना सिर्फ प्रियंका की मदद की बल्कि उसे अपना ब्रांड एम्बेसेडर भी बनाया। एनजीओ की तरफ से 5 साल तक स्वच्छता अभियान के लिए हर महीने प्रियंका को 10 हजार रुपए दिए जाते ते। विद्या बालन के साथ मिलकर प्रियंका ने एक ऐड भी शूट किया जिसमें वो लोगों से घर में शौचालय बनाने की अपील कर रही हैं। वहीं प्रियकां की लाइफ पर बनी फिल्म “टॉयलेट: एक प्रेम कथा” रिलीज़ भी हो चुकी है।
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