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अपने राष्ट्रपतियों को ज़रा और जान आइये, राष्ट्रपति भवन म्यूज़ियम हो आइये

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के राष्ट्रपति का निवास अंग्रेज़ों द्वारा बनाया गया ‘राष्ट्रपति भवन’ है, जिसे ब्रिटिशकाल में ‘वायसराय हाउस’ कहा जाता था। वास्तुविद एडविन लुटियंस द्वारा बनाया गया यह विशाल भवन सौंदर्य, भव्यता और स्थापत्यकला* का बेहतरीन गठजोड़ है।

इसी राष्ट्रपति भवन के अन्दर एक राष्ट्रपति भवन संग्रहालय* है। जिसकी स्थापना पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में दो चरणो में हुई थी। इसमें विभिन्न राष्ट्रपतियों को मिले उपहार, उनके व्यक्तिगत सामान, राष्ट्रपति भवन के निर्माण से सम्बंधित स्केच और प्लान, पुरानी राजसी पेंटिग्स, फर्नीचर और भी बहुत कुछ हैं।

असल में हमारे देश में लोकतंत्र होने के बावजूद सरकार और जनता के बीच बड़ी दूरी बनी रहती है, पर हमारे राष्ट्रपतियों ने समय–समय पर इस दूरी को कम करने का प्रयास किया है और उसी का परिणाम है कि अब सामान्य दर्शक राष्ट्रपति भवन, मुगल गार्डन और राष्ट्रपति भवन संग्रहालय घूम सकते हैं।

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर को क्लॉक टावर, स्टेबल(अस्तबल) और गैराज की ईमारतों में ही मरम्मत और भूमिगत निर्माण द्वारा तैयार किया गया है जिससे यहां प्रवेश करते ही ऐतिहासिक और स्थापत्यगत प्रभाव दिखाई देने लगता है। स्टेबल पर बने पहले चरण के संग्रहालय में राष्ट्रपतियों को मिले उपहार, महत्वपूर्ण अवसरों पर जारी डाक टिकटें और स्मारक सिक्के, फोटोग्राफ्स, पेंटिंग्स जैसी वस्तुएं प्रदर्शित हैं। यहां पर एक गैलरी में फोटोग्राफ्स, डायोरामा* के द्वारा बनती हुई नई दिल्ली दिखाई गई है।

दूसरे चरण में गैराज वाली जगह पर बना संग्रहालय तकनीकी रूप से बहुत ही उन्नत तरीके का बना है। जिसमें विभिन्न राष्ट्रपति बोलते हुए नज़र आते हैं, होलोग्राफ में डाक्यूमेंट्री और नेताओं के भाषण चलते रहते हैं।

सबसे दिलचस्प तो होता है जब वर्चुअल रियलिटी में गांधी – इरविन समझौते के बाद वायसराय हाउस से निकलते हुए महात्मा गांधी जी हमारे साथ चलते हुए दिखाई पड़ते हैं। महात्मा गांधी पर एक संक्षिप्त 3डी फिल्म भी यहां दिखाई जाती है।

तकनीक के साथ क्रियाशील होने के लिए यहां बहुत से साधन मौजूद हैं, जैसे फ्लिप बुक के द्वारा देश के संविधान और संस्कृति की जानकारी लेना और डिजिटल फोटोज़ के द्वारा भारत के वर्तमान एवं भूतपूर्व सांसदों और मंत्रियों की पहचान करना और ऐसी ही तमाम गतिविधियां।

कई राष्ट्रपतियों की सवारी रह चुकी मर्सडीज़ कार

तकनीकी साधनों के साथ ही यहां पर ऐतिहासिक मूल्य की भी बहुत सी वस्तुएं प्रदर्शित है। राष्ट्रपति भवन निर्माण के दौरान एडविन लुटियंस के द्वारा बनाये गए प्लान, स्केच, पत्राचार तथा उसके कार्यों की झलक देखकर अंग्रेज़ों की बनती हुई नई राजधानी का चित्र आंखों में उतरने लगता है। वायसराय द्वारा इस्तेमाल की गई बग्गी देखकर अंग्रेजी शान-ओ-शौकत की झलक मिलती है तो वहीं कई राष्ट्रपतियों की सवारी रह चुकी मर्सडीज बेंज कार हमें राजपथ पर होने वाले कार्यक्रमों की याद दिलाती है। यूरोप के राजसी परिवारों की शख्सियतों की पोर्ट्रेट-पेंटिंग्स और दिल्ली दरबार के दौरान की किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मेरी की संगमरमर की प्रतिमा देखकर दर्शकों को हमारे पुराने शासकों के व्यक्तित्व का नमूना भी दिख जाता है।

यहां भी राष्ट्रपतियों को मिले पुरस्कार प्रदर्शित किये गए हैं, जिनमें इंडोनेशिया से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को मिली लौंग की नाव का मॉडल बहुत दिलचस्प नज़र आता है, तो वहीं राष्ट्रपतियों के व्यक्तिगत सामान में किताबों से घिरा डॉ. अब्दुल कलाम जी का संकलन दर्शकों को उनके जीवन के नज़दीक आने का अवसर देता है। किचन गैलरी में राष्ट्रपति भवन में खानपान के लिए प्रयोग किये जाने वाले बर्तनों का संकलन भी दर्शकों को आकर्षित करता है।

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय हर वर्ग के दर्शकों के लिए रोचक है, वैसे यहां का संग्रह* बहुत पुराना तो नहीं है पर यह हमारे आज के भारत से हमको परिचित कराता है। हमारे लोकतंत्र के लिए यह अच्छी पहल है जिसके द्वारा आम जनता को शासन से जुड़े होने का एक एहसास होता है और हमें मालूम चलता है कि हमारे बीच में से ही कोई व्यक्ति देश की ज़िम्मेदारियों को संभाल रहा है।


स्थापत्यकला- वास्तु विज्ञान, The Science of Architecture
संग्रहालय- Museum
डायोरामा- थ्री डायमेन्शनल फिगर्स की मदद से बनायी जाने वाला चित्र
संग्रह- Collection


देवांशु Youth Ki Awaaz Hindi सितंबर-अक्टूबर, 2017 ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं।

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