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सेक्स की अदालत का यह एपिसोड ‘बेटा पैदा करना बीवी का धर्म है’ वाली सोच का सच है

लड़का पैदा होगा कि लड़की वाला जो डिबेट चलता है अपने यहां उसके बारे में लिखना भी अब चुनौती है। मतलब क्या लिखा जाए कहां से लिखा जाए। और फिर ये जो समझ पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होते जा रही है कि लड़का ना पैदा कर पाना पूरी तरह से लड़की का दोष है, पितृसत्ता के इस चेक मेट वाले मूव की भी बलिहारी है। कोर्ट में एक महिला द्वारा अपने पति से तलाक के लिए दायर किए गए केस की सुनवाई चल रही होती है और इसी सुनवाई के ज़रिए सेक्स की अदालत का ये एपिसोड लड़के की चाहत, लड़का पैदा करने की ज़िम्मेदारी किसकी है और उससे जुड़े तमाम तरह के मिथकों को बहुत ही आसान और कॉमिक तरह से बताता है।

सेक्स की अदालत में सेक्शुअल और प्रजनन(रिप्रोडक्टिव) स्वास्थ्य, युवाओं के हक जैसी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की जाती है। 5 एपिसोड्स का ये कोर्टरूम ड्रामा सिरीज़, पॉप्यूलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया(Population Foundation Of India) और डायरेक्टर फीरोज़ अब्बास खान द्वारा बनाए गए शैक्षिक कार्यक्रम मैं कुछ भी कर सकती हूं की सफलता और इम्पैक्ट को और आगे बढ़ाने के मकसद से शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम समाज के संवेदनशील मुद्दों पर असल ज़िंदगी की परिस्थितियों के ज़रिए बात करता है।

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