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कैसे IIT मद्रास बन सकता है स्टूडेंट पॉलिटिक्स में देश के लिए मिसाल

छात्र-राजनीति किसी भी देश के भविष्य निर्माण के लिए काफी महत्त्व रखती है, क्योंकि आगे चलकर इन छात्र नेताओं में से भी कुछ लोग देश की बागडोर संभालने का काम करते हैं। स्टूडेंट्स के राजनीति में हिस्सा लेने से उन्हें किताबी दुनिया से इतर और भी काफी कुछ सीखने को मिलता है और उनमें पढ़ाई के अलावा कई और तरह के कौशलों का विकास होता है जो किसी के भी व्यक्तित्व के विकास के लिए ज़रूरी है। मैं व्यक्तिगत रूप से राजनीति को पठन-पाठन के ही एक हिस्से के रूप में देखता हूं क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ साक्षर बनाना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके द्वारा स्टूडेंट्स के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास होना भी ज़रूरी है।

आज जब देश के अधिकतर विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव हो रहे हैं या उनकी तैयारी ज़ोरों पर है, मैं एक ऐसे संस्थान के स्टूडेंट गवर्नेन्स के बारे में बताने जा रहा हूं जो कई मायनों में बाकी शिक्षण संस्थानों के लिए एक नज़ीर पेश करता है। आईआईटी मद्रास का छात्र होने के नाते और देश के कुछ शीर्ष संस्थानों की छात्र राजनीति से अवगत होने के बाद मैं यह बात भरोसे से कह सकता हूं कि मेरे संस्थान की राजनीति कई सारे संस्थानों की तुलना में काफी पारदर्शी, समृद्ध और प्रगतिशील है।

जो चीज़ें आईआईटी मद्रास के स्टूडेंट गवर्नेन्स को सबसे अलग बनाती हैं वो हैं- यहां के स्टूडेंट्स के लिए उनके अलग संविधान (Students Constitution) का होना और यहां की छात्र विधायिका परिषद (Student Legislative Council), जो देश के संसद का एक प्रतिरूप है। इसका मुख्य काम इसके सदस्यों द्वारा प्रस्तावित विधेयकों (Bill) पर चर्चा करना और वोटिंग के आधार पर फैसला करना होता है।

त्रिस्तरीय प्रणाली पर आधारित इस व्यवस्था में छात्र विधायिका परिषद का सबसे अहम योगदान है, क्योंकि इसके मेंबर प्रत्यक्ष रूप से अपने-अपने क्षेत्रों से चुनकर आते हैं और अपने संबंधित चुनाव क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को इसकी बैठकों में उठाते हैं। छात्र विधायिका परिषद विद्यार्थियों को उनकी समस्याओं की पहचान करने, उन समस्याओं के कारणों पर चर्चा करने और उनके हल खोजने के लिए एक मंच प्रदान करती है।

प्रत्येक संस्थान में कई समस्याएं होती हैं – प्रशासनिक, शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक आदि। इन समस्याओं में से कई समस्याएं केवल प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और सूचनाओं के साथ हल नहीं की जा सकती हैं। उन्हें स्टूडेंट्स की सक्रिय भागीदारी की ज़रूरत होती है और यहीं पर छात्र विधायिका परिषद अहम भूमिका निभाती है।

अभी कुछ दिन पहले छात्र विधायिका परिषद द्वारा पारित एक प्रस्ताव इस बात का सबूत है कि यहां की राजनीति कितनी प्रगतिशील है। हुआ यह कि पिछले दिनों संपन्न हुए चुनावों में छात्र चुनाव आयोग ने उन सभी उम्मीदवारों को, जो निर्विरोध खड़े थे, विजयी घोषित करने का फैसला किया। लेकिन छात्र विधायिका परिषद के हस्तक्षेप के बाद कि स्टूडेंट्स को खारिज करने के अधिकार (राइट टू रिजेक्ट) मुहैया कराया जाए, छात्र चुनाव आयोग को अपना फैसला बदलना पड़ा। उन सभी छात्रावासों या विभागों में जहां से उम्मीदवार निर्विरोध चुन कर आए थे, वहां मतदान कराने की घोषणा हुई।

बात अगर काॅलेज के छात्र-संविधान की करें तो आईआईटी मद्रास संभवतः देश का पहला संस्थान होगा जिसका अपना ‘छात्र-संविधान’ (Student Constitution) है। ये संविधान 1980-81 में लागू किया गया था और अब तक इसे तीन बार संशोधित किया जा चुका है। इनमें 2016 में हुए संशोधन का जिक्र उल्लेखनीय है, जिससे संविधान में स्टूडेंट्स के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों से संबंधित एक नया अध्याय जोड़ा गया और छात्र न्यायालय (Student Court) की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा गया।  इस संविधान में छात्र राजनीति के लिए ज़रूरी सारे दिशा-निर्देशों का उल्लेख है।

इस छात्र- संविधान के अंदर एक न्यायतंत्र का भी प्रावधान है जिसका दायित्व संविधान की व्याख्या करना और उसे लागू  करना है। इसी के अधीन छात्र चुनाव आयोग (Student Election Commission) आता है जो चुनाव से संबंधित सारे कार्यों की देखभाल करता है। फिर एक वित्तीय समिति (Financial Accountability Committee) का भी प्रावधान है जिसकी ज़िम्मेदारी किसी भी तरह के वित्तीय अनियमितता को रोकना होता है ।

पिछले सालों के दौरान छात्र विधायिका परिषद द्वारा पारित कुछ बिल या प्रस्ताव जो स्टूडेंट्स की स्वतंत्रता के लिए काफी महत्तवपूर्ण हैं-

(1) पिछले साल सुरक्षा का हवाला देते हुए लड़कियों को नाइट आवर्स के दौरान बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन फिर छात्र विधायिका परिषद के दखल के बाद छात्रावास अधीक्षकों (Hostel Wardens) को ये फैसला वापस लेना पड़ा।

(2) पिछले साल ही कॉलेज प्रशासन ने रात के दौरान LAN (Internet) कनेक्शन बंद करके का फ़ैसला किया था, लेकिन छात्र विधायिका परिषद के द्वारा इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया।

आईआईटी मद्रास के छात्र-संविधान में, भारतीय संविधान की तर्ज़ पर, स्टूडेंट्स के मौलिक अधिकारों और कर्त्तव्यों का वर्णन होना, आईआईटी मद्रास की छात्र राजनीति की प्रगतिशीलता को दर्शाता है।

यह संस्थान के सारे स्टूडेंट्स को, बिना किसी भेदभाव के, कुछ वाजिब प्रतिबंधों (Reasonable Restrictions) के साथ, अभिव्यक्ति की आज़ादी, स्वतंत्र छात्र संगठन बनाने की आज़ादी, किसी भी धर्म को मानने की आज़ादी जैसे अधिकार प्रदान करता है।

कुल मिलाकर, ये कहा जा सकता है कि आईआईटी मद्रास की छात्र राजनीति कई सारे संस्थानों की तुलना में काफी अलग और परिवर्नात्मक है। कारण यह है कि यहां हर किसी की जवाबदेही निर्धारित है और किसी भी पदासीन व्यक्ति का अपनी पोजीशन का गलत फायदा उठाना लगभग नामुमकिन है।


अरविंद, Youth Ki Awaaz Hindi सितंबर-अक्टूबर, 2017 ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं।

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