दिल्ली वो शहर है जहां मिनी भारत बसता है, देश की राजधानी और महानगर होने के कारण देश के हर कोने से लोग यहां पर आते हैं और अपना आशियाना बना लेते हैं। इस साझी संस्कृति में हर भाषा, धर्म, वर्ग, विचार, परंपरा, क्षेत्र के लोग मिल जायेंगें, जो अनेकता में एकता के नारे को असल ज़मीन पर दिखाते हैं।
बीसवीं सदी में अंग्रेज़ों की राजधानी और फिर स्वतंत्र भारत की राजधानी बनने वाली दिल्ली काफी पुराने समय से ही सत्ता का केंद्र रही है। महाभारत के ‘इन्द्रप्रस्थ’ के रूप में पहचानी गई दिल्ली, लाल कोट के निर्माण से लुटियन की नई दिल्ली के रूप में संवरने तक विभिन्न समयकाल में अलग-अलग नामों से पहचानी गई। हर नये बनते शहर के साथ यहां स्थापत्य के मज़बूत स्तंभ जुड़ते गए और साथ ही सांस्कृतिक परिवेश में कई देशी-विदेशी तत्वों का जमावड़ा होता गया।
दिल्ली के हर कोने में समय का साक्षात्कार करती सैकड़ों वर्ष पुरानी इमारतें और उनके खंडहर मौजूद हैं। यह महानगर ‘विश्व विरासत शहर’ बनने की दौड़ में भी शामिल रहा है लेकिन इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने ही कदम पीछे कर लिए थे, ताकि यहां पर विकास कार्य प्रभावित ना हो। एक सामान्य पर्यटक के रूप में दर्शक इस शहर की कुछ चुनिंदा धरोहरों को ही जानते हैं। वे वहां घूमने जाते हैं और कुछ देख-समझ कर मौज-मस्ती करके आगे बढ़ जाते हैं, पर एक उत्साही दर्शक के लिए हमारी विरासतें सिर्फ सेल्फी पॉइंट न होकर पुरानी संस्कृतियों से मुलाकात करने का एक ज़रिया होती हैं।
‘हेरिटेज वॉक’ की संकल्पना ऐसे ही स्फूर्त और उत्साही लोगों के लिए है जो संस्कृतियों के विभिन्न आयामों को समझने के लिए स्थापत्य, कला, बोलचाल, परंपरा और रहन-सहन को जानना और महसूस करना चाहते हैं। दिल्ली में हेरिटेज वॉक की लोकप्रियता बढ़ रही है इसीलिए ऐसे कई शौकिया और प्रोफेशनल समूह यहां सक्रिय हैं जो इतिहास प्रेमियों को बसती-उजड़ती दिल्ली की अलग-अलग परतों की संस्कृतियों से रूबरू कराते हैं।
दिल्ली में इतिहास के किसी समय विशेष से संबंधित कई हेरिटेज ज़ोन हैं, जिनपर समुचित शोध और प्लानिंग करने के बाद हेरिटेज वॉक आयोजित की जाती है।
महरौली आर्कियोलॉजिकल पार्क और विलेज, कुतुब कॉम्प्लेक्स, शाहजहांनाबाद (चांदनी चौक), लोदी गार्डन, हौज़ खास कॉम्प्लेक्स, जहांपनाह, कोटला फिरोज़ शाह, तुगलकाबाद, पुराना किला, कश्मीरी गेट, निज़ामुद्दीन, नॉर्दर्न रिज, लुटियन दिल्ली जैसे कई प्रमुख केंद्र हैं जहां पर वॉक लीडर से किस्से कहानिया सुनते हुए पैदल घूमकर इतिहास में खो जाने का मन करता है।
हेरिटेज वॉक सामान्यतः सप्ताहांत में करवाई जाती है ताकि छुट्टी के दिन अधिक लोग शामिल हो सकें और इसका समय सुबह या मौसम के हिसाब से रखा जाता है। इसमें सामान्य रूप से स्वस्थ्य कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता है। कई बार किसी विशेष टारगेट ग्रुप के लिए भी ऐसी वॉक आयोजित होती हैं जिसमें उनकी जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है, जैसे स्कूली बच्चों या वृद्धजनों के लिए।
दिल्ली में हेरिटेज वॉक आयोजित करवाने वालों में इंटेक, डेल्ही हेरिटेज वॉक्स, डेल्ही वॉक्स, गो इन द सिटी, यूथ फॉर हेरिटेज फाउंडेशन, दिल्ली कारवां, मुसाफिर जैसे समूह शामिल हैं। इसके अलावा कई शैक्षणिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के द्वारा भी हेरिटेज वॉक करवाई जाती है। कुछ लोग व्यक्तिगत रूप से भी एक समूह बनाकर अपनी विरासतों को जानने समझने जाते हैं। इन हेरिटेज वॉक्स में शामिल होने के लिए शुल्क 100, 200, 500 रुपये से लेकर चार अंकों तक भी होता है। कई जगह निःशुल्क भी विरासत यात्रा में चलने के लिए आमंत्रित किया जाता है। ये समूह वेबसाइट, ब्लॉग, सोशल मीडिया एवं अन्य साधनों के द्वारा अपनी आगामी हेरिटेज वॉक के कार्यक्रम का प्रचार करते हैं।
वॉक में शामिल होने के लिए कहीं पर पहले से रजिस्ट्रेशन कराना होता है, और जबकि कहीं – कहीं सीधे बताई गई साईट पर पहुंचा जा सकता है। कई बार मौसम या कुछ अन्य वजहों से वॉक का प्लान बदला भी जा सकता है, इसलिए वॉक लीडर से पहले से ही संपर्क कर लेना बेहतर होता है।
हेरिटेज वॉक में जाने के पहले थोड़ा सा पूर्वअध्ययन वॉक को अधिक मनोरंजक और जानकारीपूर्ण बना देता है। वॉक के दौरान टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर और काफी दूर तक भी चलना पड़ सकता है इसलिए जूते और आरामदायक कपड़े पहनना बेहतर होता है। फोटो लेने के लिए कैमरा या मोबाइल, पेन, कॉपी, पानी की बोतल जैसे ज़रूरी समान साथ रखकर विरासतों को महसूस करने का उत्साह किसी भी हेरिटेज वॉक को यादगार बना देता है।
देवांशु, Youth Ki Awaaz Hindi सितंबर-अक्टूबर, 2017 ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं।