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अस्मिता की खरीद फरोख्त !

चुनावों में खरीद फरोख्त कोई नई बात नहीं है और चुनाव किसी की अस्मिता से जुड़ा हो तो ये बात सौ फिसद सही लगती है…गुजरात का जिक्र आते ही जहन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर बन जाती है जो गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात की सत्ता पर आसीन हो चुके है…2017 के विधानसभा चुनाव एक बार फिर गुजरात सुर्खियों में हैं…शायद इसलिए क्योंकि इस बार बात प्रधानमंत्री की अस्मिता की है…तभी तो 25 दिन में तीन बार बड़ी रैलियां कर कई परियोजनाओं का उद्घाटन तक कर आए…लेकिन 23 अक्टूबर को जो हुआ उसने गुजरात की राजनीति में उबाल ला दिया…सोमवार की सुबह पाटीदार नेता नरेंद्र पटेल ने बीजेपी पर गंभीर आरोप मढ़ दिये… नरेंद्र पटेल ने बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिये लाखों रुपये का कैश दिखाते हुए बीजेपी पर एक करोड़ में खरीदने का आरोप लगा दिया….ये आरोप सही हैं या गलत ये एक जांच का विषय है परंतु ये सच है कि ये एक करोड़ कालाधन है  इसे सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं…कम से कम नरेन्द्र पटेल द्वारा दिखाए गये ₹10 लाख तो कालाधन अवश्य ही हैं  परंतु अभी तक ना तो आयकर विभाग और ना भ्रष्टाचार विरोधी कोई संस्था कोई सुधबुध ले रही है…ऐसे ही बाबू बजरंगी ने भी कैमरे पर स्वीकार किया था कि उसने गुजरात दंगों में जो कुछ किया वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहने पर किया…निष्पक्ष जाँच इसलिए नहीं होती कि भाजपा का सब चाल चरित्र बाहर आ जाएगा…सोचिएगा कि हमारे आप के पास 10 लाख रुपये कालाधन हों तो यह जांच एजेन्सियां और आयकर विभाग क्या करती ?

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