कल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के लिए मतदान होने जा रहा है।देश भर के छात्र इस चुनाव पर टकटकी लगाए हुए है।जिन राजनीतिक पार्टियों के छात्रसंगठन मैदान में है उन पार्टियों के बड़े बड़े नेता पिछले कई दिन से डेरा जमाए बैठे है।भाजपा और आरएसएस के छात्र विंग ABVP की अध्यक्ष पद की प्रत्याशी प्रियंका सिंह के समर्थन में दिल्ली,इलाहाबाद के पूर्व पदाधिकारी पूरी ताकत से लगे है तो समाजवादी पार्टी अपने छात्र संगठन समाजवादी छात्र सभा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशीअवनीश यादव के लिए लखनऊ और इलाहाबाद के बड़े बड़े नेताओ को उतार दिया है।आइसा ने अध्यक्ष पद के लिए शक्ति रजवार को उतारा है।शक्ति रजवार एक ऐसे शख्स है जो बी.ए. प्रथम से ही आइसा के समर्पित और तेज़तर्रार नेता रहे है।शक्ति रजवार लगातार चार साल से इलाहाबाद में छात्रों, नौजवानों के लिए संघर्ष करते रहे है।इलाहाबाद के डेलीगेसी से लेकर छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के लिए शक्ति रजवार एक जाना पहचाना और संघर्षशील चेहरा रहा है ।इसके अलावा शक्ति रजवार चुनाव लड़ रहे तमाम प्रत्याशियों के बरक्स आक्रामक,ओजस्वी वक्ता है।शक्ति रजवार की उम्मीदवारी ने सारे प्रत्याशियों के पेशानी पर बल डाल दिया है। हालांकि इलाहाबाद में दक्षता भाषण का छात्रों पर खास प्रभाव नही पड़ता रहा है लेकिन इस बार दक्षता भाषण की भी खासी चर्चा है औऱ इसमें शक्ति रजवार ने जे.एन. यू.की तर्ज़ पर जो जोरदार भाषण दिया है वह आम छात्रों को मोह लिया है।एक ज़माने में लालबहादुर सिंह को सुनने छात्र मोहल्ले मोहल्ले जाया करते थे कमोबेश वही आलम शक्ति रजवार के प्रति भी है।
पूर्वांचल में स्थित होने के कारण छात्र संघ चुनाव में सामाजिक समीकरण को दरकिनार नही किया जा सकता।इस लिहाज से देखे तो सबसे खस्ता हाल ABVP का है क्योंकि इस संगठन से प्रियंका सिंह को अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाए जाने से उस संगठन के दो बागी प्रत्याशी मृत्युंजय राव ‘परमार’ ,सूरज कुमार दुबे (NSUI) भी ताल ठोक रहे है इस वजह से उसका ‘आधार वोट’ बटता दिख रहा है।समाजवादी छात्र सभा की भी डगर डगमगाती दिख रही है क्योंकि सन 2012 से लगातार एक ही जाति को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाए जाने से ओबीसी की अन्य जातियो में समाजवादी छात्र सभा के प्रति मोहभंग दिखाई दे रहा है।छात्रों के मतों का बिखराव का सीधा लाभ आइसा के अध्यक्ष के प्रत्याशी शक्ति रजवार को मिलता दिख रहा है इसके अलावा हॉस्टल के वॉश आउट होने से हॉस्टलों से जो मठाधीशी चलती थी वह बहुत हद तक टूटी है।ये सारे समीकरणं और परिस्थितिया आइसा के शक्ति रजवार के पक्ष में होती हुई दिख रही है।इस सब के अतिरिक्त सुजीत यादव,विकास भारतीय भी है लेकिन उनकी कोई खास चर्चा नही है।इन तमाम हालात और बदली स्थितियों में शक्ति रजवार दौड़ में अव्वल चल रहे ।कोई आश्चर्य नही होगा यदि दिलचस्प मुक़ाबले में आइसा के अध्यक्ष प्रत्याशी शक्ति रजवार बाजी मार ले।