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जो जुर्म करते हैं इतने बुरे नहीं होते सज़ा ना देकर अदालत बिगाड़ देती है

सोशल मीडिया पर चल रहे ट्रेंड #MeToo को देखकर लोगों की नजरें शायद शर्म से झुक गई होंगी या फिर ये कुछ लोगों के लिए चेतावनी है कि अगला नंबर आपका है । हमारे समाज में महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है । इसके लिए केवल पुरूष ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि वो महिलाएं भी जिम्मेदार है जो अपने साथ हुए अत्याचार के विरुद्ध आवाज नही उठाती । मेरे पिता कहा करते हैं कि सत्ता का दुरुपयोग वहीं करता है जो सत्ता में होता है । हार्वी वाइंस्टीन पर लगे आरोप इस बात को सिद्ध करते हैं । हार्वी के ऊपर एक के बाद एक अभिनेत्रियों के आरोप लगते जा रहें हैं । ये अभिनेत्रियाँ कहती हैं कि जब इनके साथ ऐसा हुआ तो ये अपने करियर के शुरुआती दौर में थीं ।आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है । हम इतने महत्वकांक्षी हो गए हैं कि हमारे साथ चाहे जितना भी गलत हो, हम उसे यह कहकर छुपा लेते हैं कि अभी समय सही नहीं है । अगर किसी अभिनेत्री ने ये बात पहले कही होती तो शायद इतनी अभिनेत्रियों को इस परिस्थिति से न गुजरना पड़ता । और शायद हार्वी को पहले सज़ा मिल गई होती या उसके बाद हार्वी किसी के साथ ऐसे पेश आने की हिमाकत न करते । इस बात को राहत इंदौरी साहब की दो पंक्तियों में समझा जा सकता है –

“जो ज़ुर्म करते हैं इतने बुरे नहीं होते, सज़ा न देकर अदालत बिगाड़ देती है ।”

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