अगर आप सिनेमा देखने मे थोड़े चूज़ी हैं तो यह आपके लिए है। अगर आप मतलब वाला सिनेमा खोजते हैं तो यह आपके लिए है।
हिंदी सिनेमा के 100 साल से ज़्यादा हो चुके हैं और लाखों फिल्मे आपके सामने आ चुकी हैं। लेकिन यदि आप चश्मा लगाकर और दिमाग खोलकर सिनेमा देखते हैं और कुछ भी उलूल-जलूल नहीं देखते हैं तो आप शायद सही जगह पर हैं। आइये लिए चलते हैं आपको कुछ फिल्मों से रु-बरु कराने।
कुछ लोग ऐसे फिल्मों को कमर्शियल फिल्मों से अलग एक खास कैटेगरी मे रखते हैं और उन्हे आर्ट फिल्म के नाम से जानते हैं। आइये जानते हैं नॉन -कमर्शियल फिल्में कितना कॉमर्स कर रही हैं। पहले एक नज़र हो जाए इन फिल्मों के नाम पर।
वैसे देखा जाए तो कई फिल्में हैं। महेश भट्ट की ‘अर्थ’ से लेकर रजत कपूर की ‘आंखों देखी’ तक। यह तो सिर्फ दो नाम हैं। गिनती शुरू की जाए तो जाने कितनी शानदार फिल्में निकाल के सामने आएं।
जैसा मैंने ऊपर कहा कि हिंदी सिनेमा के 100 साल हो चुके हैं, पर मेरी नज़र और जहां तक सिनेमा की मेरी समझ है (जिसे मैं थोड़ा बहुत करके सीख रहा हूं) हिंदी सिनेमा का उद्धार साल 2012 से होना शुरू हो गया। पर ऐसा नहीं है कि पहले फिल्मे नहीं बनती थीं। फ़िराक,अ वेडनसडे, ब्लैक फ्राइडे, ये सब फिल्में साल 2012 के पहले की ही हैं।
लेकिन साल 2012 और उसके बाद से कंटेंट ड्रिवेन मतलब ऐसी फिल्में जिनमे एक्टर की शक्ल, शूटिंग के शानदार लोकेशन, बड़े-बड़े सेट से ज़्यादा कहानी और फिल्म में की जाने वाली एक्टिंग पर ज़ोर दिया जाता हो और कहानी के हिसाब से ही बाकी चीज़ो पर गौर किया जाता हो। शुरुआत किसने की यह कहना शायद बेमानी होगा पर साल 2012 कई ऐसी फिल्में दे गया या यूं कहें तो कई ऐसी फिल्मों को एक नया आयाम दे गया जिनकी हम आज भी मिसाल दे जाते हैं और देते भी रहेंगे। ये वो फिल्में हैं जिन्हें एक खास किस्म के फिल्म कैटेगरी मे रखा जाता है। साल 2012 तो शुरुआत थी और इन फिल्मों में से लगभग सभी कमर्शियल हिट रहीं। आगे कई फिल्में आती रहीं। कुछ फिल्मों के नाम दे रहा हूँ। समय मिलते लपक के देखिएगा। अच्छा एक और बात कहना था, फिल्म की ओरिजनल DVD लेकर हीं देखें। क्या है न कि एक तो पाइरेसी से बचेंगे और दूसरा कि अच्छा प्रिंट होगा तो आराम से समझ-समझ के देख पाएंगे। इसमे कई फिल्में समझने लायक है ।
1. मसान
2. लंच बॉक्स
3. आंखों देखी
4. मुक्ति भवन
5. चौरंगा
6. मुंबई चा राजा
7. शिप ऑफ थीसियस
8. उड़ान
9. अलिफ़
10. देव- डी
11. शंधाई
12. ब्लैक फ्राइडे
13. मकबूल
मैकबेथ से प्रेरित, विशाल भारद्वाज की फिल्म
14. मिथ्या
15. दम लगा के हइसा
16. लिपस्टिक अंडर माई बुरखा
17. अलीगढ़
18. NH 10
19. हाईवे
20. पिकू
21. न्यूटन
22. नील बटे सन्नाटा
23. रमन राघव
24. वेक अप सिड
25. जब वी मेट
लपक के जाओ और खरीद लाओ, इस लाँग वीकेंड तीन-चार तो निपटा ही दो।|