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विश्वास या वंशवाद

चाणक्य धनानंद की बेटी से चंद्रगुप्त का विवाह सिर्फ इसलिए करना चाहता था कि चंद्रगुप्त की संतान भारतीय हो और भारत के संस्कारों,समाज,और व्यवस्था को जाने पहचाने और भविष्य में मगध का राजा बने।
चाणक्य नीति कहती है कि राजा का विवाह विदेशी महिला से नही करना चाहिए क्योंकि उनसे उत्पन्न होने वाली संतान कभी भी उस राष्ट्र के लिए समर्पित नही होगा और उसकी संस्कृति और सामाजिक बनावट से अनभिज्ञ होगा जिससे वह समय समय पर अपनी मूर्खता का आभास सभी को करता रहेगा और अपनी राजा बनने की राह कठिन करता जाएगा या अगर राजा बन भी गया तो अच्छा राजा साबित नही होगा।
अब यह में किसके लिए कह रहा हुँ यह बताने की जरूरत नही है। हर बार नए पैकेट में अपना पुराना आम लेकर आने वाली पार्टी को कोई भी ये बताने वाला नहीं है उनका यह आम अभी तक पका नही है और उम्मीद भी कम है।
जो वोट के लिए
आज मंदिर मंदिर माथा टेकते हुए नज़र आ रहे है उन्होंने ही कहा था कि
“ये जो लोग मंदिर जाते है वो दरसल लड़की छेड़ने मंदिर जाते है”
एक bar Garibi के बारे मे पूछा तो साहब ने कहा
“गरीबी तो मन का वहम है”
इनके अनुसार
किसी संस्था में महिलाएं इसलिए नही है क्योंकि वहा उनको चड्डा पहनना पड़ेगा।
और ये सोचते है कि
“जो परमात्मा आशीर्वाद प्रदान करते है वो इनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह को दिखाते है”
कभी कभी तो जल्दी किसी सुबह रात को ही उठ जाते है।
पिछले 10 सालों से कार्यकर्ता पार्टी के अध्यक्ष बनाने की कोशिश कर रहे मगर हर समय कार्यकर्ता असफल रहते है, शायद माताजी जानती है की तुम से नही होगा बेटा।
आज कल गुजरात घूम रहे है चलो कुछ दिन तो गुजारेंगे गुजरात मे।
आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है।
परिवर्तन रास्ता दिखाने से होता है उटपटांग भाषणों से नही। कोई नया रास्ता,नया दृटिकोण,युवा की समस्या का हल, बेरोज़गारी खत्म करने की कोई नीति ऐसा कुछ भी इनके भाषणों में नज़र नही आता घुमा फिर चार लाइन प्रधानमंत्री के बारे में उलझूल बाते, विकास को पागल बताना और अपने आप को और अपने परिवार को पीड़ित दिखाना बस इन्हीं में इनकी चुनावी सभा समाप्त हो जाती है।
अपनी पार्टी पर बोझ बनते जा रहे युवराज को ये भी देखना चाहिए कि उनके आस पास उनसे कई ज्यादा प्रतिभावान और तेजसवी युवा नेता चीख चीख कर उन्हें अपनी जगह खाली करने को कह रहे है मगर वो उसे अपनी पारिवारिक सम्पदा मान कर कब्जा जमाए हुए है। युवा इनकी पार्टी से नही जुड़ते क्योकि वो जानते कि पार्टी में उनकी हैसियत गुलाम से बढ़कर नही राह जाएगी। कुछ दिनों में शायद इस बार पार्टी के अध्यक्ष बन जाये और बने रहेंगे तब तक जब तक कोई अगली पीढ़ी का कोई नेता अपने परिवार से जन्म न ले ले।
जय हिंद।

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