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बिहार में थूक चाटती जातीय समानता

बिहार में जातीय कट्टरता की पैठ कितनी गहरी ये शायद बयान करने की ज़रूरत नहीं। हाल के दिनों में जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं वो जातीय भेदभाव को और ज़्यादा दर्शाती है। दीवाली के बाद से बिहार में ऐसी कुल तीन घटनाएं हुई हैं जो जातीय भेदभाव की भयावहता दिखाती है।

खगड़िया में जिस तरह 80 दलितों का घर दबंगो द्वारा जलाया गया, पटना ज़िले के नज़दीक दरियापुर में लक्ष्मी पूजा के दौरान हुई जातीय घटना में मारपीट हुई और अब मुख्यमंत्री के गृह ज़िले नालंदा में दबंगो के द्वारा मानवता के शर्मसार करने की घटना है, ये तमाम घटनाएं जातीय विषमता को दर्शाती हैं जिसमें हाल के दिनों में अत्यधिक इज़ाफा हुआ है।

हालिया घटना बिहार के नालंदा ज़िले के नूरसराय प्रखण्ड अंतर्गत अजयपुर पंचायत की है, जहां 54 साल के व्यक्ति महेश ठाकुर को बिना दरवाज़ा खटखटाए सरपंच के घर में प्रवेश करना भारी पड़ गया। ज्ञात हो कि महेश ठाकुर नाई समुदाय से आते हैं जबकि सरपंच यादव समुदाय से आते। दरवाज़ा ना खटखटाने की सज़ा सरपंच और उसके परिवार ने उसके ये बर्ताव करके दिया।

पहले उसे थूकने को कहा और दोबारा उस थूक को चाटने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद घर की महिलाओं ने उसे चप्पलों से पीटा।

महेश ठाकुर ने जिस सरपंच के घर जाने की ज़ुर्रत की थी उसका नाम सुरेंद्र यादव है। नालंदा ज़िले के डीएम त्यागराजन ने मीडिया को बताया कि महेश ठाकुर बुधवार की रात को सरपंच के घर खैनी मांगने गया था, लेकिन उस वक्त वहां कोई पुरुष मौजूद नहीं था। इसी कारण घटना के अगले दिन दोपहर में पंचायत बुलाई गई, जहां पंचायत ने उसे 25 चप्पल और थूककर चाटने को कहा लेकिन बाद में सज़ा घटाकर 5 चप्पल कर दिया गया।

नालंदा के डीएम ने एसडीओ सुधीर कुमार को मौके पर इस घटना की विस्तृत जानकारी लेने को भेजा। जिसमें महेश ने इस बात की पुष्टि की कि वह बिना दरवाजा खटखटाए सरपंच के घर घुस गया था। डीएम ने बताया कि महेश ठाकुर ने घटना की पुष्टि कर दी है जिसके बाद मामले की जांच के आदेश दे दिए गए है। दोषियों पर सख्त करवाई की जाएगी।

पुलिस ने इस कुकृत्य घटना के कारण सरपंच समेत आठ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर लिया है। मामले में 3 भी हो चुकी है। इस पूरे प्रकरण का किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जिसके बाद ये मामला वायरल हो गया। अब इस घटना का दूसरा पक्ष सोशल मीडिया में ये चल रहा है कि महेश ठाकुर बुरी नियत से सरपंच के घर गया था इसीलिए वहां के मुखिया दयानंद मांझी और अन्य लोग महेश से काफी नाराज़ हो गए। अब सच्चाई क्या है फिलहाल ये किसी को पता नहीं। लेकिन इतना तो तय है कि इस तरह की घटना जातीय भेदभाव को दर्शाती है।

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