मैं प्यार में हूं. इस तरह जिंदगी में पहली बार. सबकुछ इतना खूबसूरत है हर रोज, घंटों डूबकर प्यार किया जा सकता है. माहौल, समाज, पैसे, नौकरी कोई भी इस पल में खलनायक नहीं बन रहा. यह सबकुछ सपनों जैसा है. जिंदगी को नए अर्थ देता हुआ. जो चाहा उसे पा लेने का सुख.
सपने देखता हूं. लेकिन सपनों को पीछा नहीं करता. इंतजार करता हूं उस वक्त का. जब वे सपने खुद खिलने लगते हैं.
मैं प्यार में हूं सबसे करीबी दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ. उसके एक्स के साथ. मैंने कभी नहीं सोचा कि वह क्या सोचेगा. वह समाज क्या सोचेगा. क्या मैंने कुछ गलत किया है? क्या किसी दोस्त की गर्लफ्रेंड से इश्क करते हुए उस दोस्त को बताना जरूरी है? क्या यह उस दोस्त के साथ धोखा है? विश्वासघात है ?
स्पष्ट तौर से मैं ऐसा कुछ भी नहीं मानता. individuality में मेरा बहुत यकीन है. फ्रीडम में यकीन है और यह फ्रीडम individuality को स्वीकार किए बिना नहीं आ सकता. किसी दोस्त के दोस्त या रिश्तेदार के रिश्तेदार को, नए रिश्ते में देखने से पहले, उस शख्स की individuality में देखना चाहिए. वह एडल्ट है और वह स्वतंत्र है.
लेकिन सोसायटी के लिए individual स्पेस से अधिक महत्वपूर्ण कथित रिश्ता है. रिश्ता को कथित तौर से चोट न पहुंचाने की झूठी कवायद, जिसमें इंसान के घुटन को समझना प्राथमिकताओं में सबसे नीचे है.
मैं हर बार, हर शुरुआत में उसे खूब प्रेम कर सका, तो इसलिए कि मैंने सिर्फ उसकी अपनी शख्सियत को देखा. उसकी अपनी आजादी को महसूस किया.