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बिना किसी एक्शन के ही जनसुनवाई पोर्टल पर सुलझी हुई दिखा दी गई मेरी कंप्लेन

अभी कुछ दिन पहले की ही बात है जब भारत के प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पूरे भारत में बिजली कनेक्शन को सभी तक कैसे पहुंचाया जाए इस पर बात करते हुए बहु-उद्देशीय योजना “सौभाग्य” को लॉंच किया। इसके तहत सभी भारतीयों को दिसंबर 2018 तक मुफ्त बिजली कनेक्शन देने की बात कही गई, लेकिन उपभोक्ताओं को हर महीने बिजली के बिल का भुगतान करना होगा।

हम सन 2017 के उस युग में जी रहे हैं जहां वैकल्पिक ऊर्जा, कई देशों में ऊर्जा प्रदान करने का मुख्य स्रोत बनती जा रही है। वहीं दूसरी ओर हमारे देश भारत में इस संबन्ध में बहुत सारे नीतिगत और ढांचागत बदलाव भी होने हैं और जो वर्तमान सिस्टम हैं उनमे सुगमता भी लानी है। उत्तर प्रदेश में पिछले मार्च में बनी भाजपा सरकार ने यही सब कुछ देखते हुए जनसुनवाई पोर्टल का आरम्भ किया, जिस पर प्रदेश की जनता प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों से संबंधित अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकती है।

उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था से पीड़ित होकर ही हमने एक आर.टी.आई के माध्यम से यह जानने की कोशिश की थी की प्रदेश में विभाग की क्या स्थिति है, जिस पर यूथ की आवाज़ पर पहले ही हमारा लेख आ चुका है।

हमारा घर रायबरेली शहर के सत्यनगर में अभी साल-डेढ़ साल पहले ही बना है, जिसमें हमने एक किलोवाट का कनेक्शन (उपभोक्ता क्र.- 3560732421) लिया। घर में रहने वाले दो से तीन लोग ही हैं इसलिए बिजली की खपत भी नहीं है। हमने इस घर में केवल एल.ई.डी बल्ब और कम बिजली खींचने वाले पंखे लगवाए हैं, घर में समाचार देखने को एक टी.वी. भी है। इसके अलावा जो भी विद्युत उपकरण हैं, उनका प्रयोग घर में ना के बराबर ही होता है। पहले जितने भी बिजली के बिल आए वे हमारे घर में हुई बिजली की खपत के अनुरूप थे तो हम बराबर उनका भुगतान करते रहे, लेकिन पिछले दो-महीने का बिल अब तक के बिलों से लगभग छह गुना आ गया।

इस बाबत हमने मधुबन मार्केट स्थित बिजली विभाग के दफ्तर में मौखिक और लिखित दोनों रूप से सूचित किया। कोई कार्रवाई ना होने की सम्भावना पर (ऑफिस में मौजूद कर्मचारियों के रवैये के आधार पर यह वाक्य लिख रहा हूं) हमने रजिस्टर्ड डाक द्वारा और जनसुनवाई पोर्टल (शिकायत संख्या 40015817003704 ) के द्वारा बिजली विभाग के पदाधिकारियों को अपनी एप्लिकेशन भेजकर इस समस्या का निदान करने की बात कही।

इसके जवाब में, जिस पर वर्तमान एस.डी.ओ. अमित श्रीवास्तव ने दिनांक 26 सितम्बर, 2017 को अपने नम्बर (09415901229) से मेरे मोबाइल नंबर (0760758999) पर फ़ोन करके चेक मीटर लगवाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने मधुबन ऑफिस में संतोष त्रिपाठी, बाबू से मिलकर फीस जमा करने का सुझाव दिया। 27 सितम्बर, 2017 को मैं अपने एक परिचित के साथ उनके ऑफिस गया तो एस.डी.ओ. नहीं मिले और संतोष बाबू लगातार इस बात का प्रयास करते मिले कि मैं या तो यह मान लूं कि मैं आज से पहले इस सम्बन्ध में वहां ऑफिस नहीं गया था या वहां एक एप्लिकेशन और लिखूं। इस बाबत, हम लोग ऑफिस से यह कहकर चले आए कि एक बार एस.डी.ओ से मिलकर ही इस पर कुछ कार्रवाई की जाएगी।

उसी दिन जब जनसुनवाई पोर्टल पर मैंने एप्लिकेशन का स्टेटस चेक किया तो वहां मेरे घर में आर.डी.एस. 30830 नंबर का चेक मीटर 21 सितम्बर 2017 को हुए आदेश के अनुरूप लगा देने की बात कही गयी है। इस पर 26 सितम्बर 2017 को अधिशाषी अभियंता ए.के.दोहरे के हस्ताक्षर सहित एक रिपोर्ट लगी है। ऑनलाइन पोर्टल जनसुनवाई पर इस शिकायत को निस्तारित दिखाया गया। जबकि मेरे घर में वह चेक मीटर दिनांक 28 सितंबर 2017 को लगा हैं, प्रमाण के रूप में मैंने अपने फ़ोन से मीटर लगने का एक वीडियो बनाया हैं, जिसका यूट्यूब लिंक और मीटर लगाने की रसीद (मेरे हस्ताक्षर, मोबाईल नंबर और दिनांक के साथ) यहां पेस्ट कर रहा हूं।

ऐसा ही एक वाकया कुछ समय पहले हमारे एक परिचित के साथ हुआ था, जो ए.पी.एल. (Above Poverty Line) श्रेणी में नहीं आते हैं। वो एक असामान्य बिल को लेकर बिजली विभाग के ऑफिस गए थे। वहां उन्हें उस बढ़े हुए बिल को जमा करने की सलाह दी गई और कहा गया कि अगली बार यह ठीक हो जाएगा। लेकिन फिर भी उनकी समस्या हल नहीं हुई, उसके बाद हम लोगों की सलाह और कहीं से दबाव पड़ने पर उनके घर में चेक-मीटर लगा है।

फ़िलहाल मेरे घर में भी केवल चेक मीटर लगा है और इसे समस्या का समाधान नहीं माना जा सकता। इस मुद्दे को आगे तक ले जाने का उद्देश्य यह भी है कि जहां एक ओर हम लोग बेहतर भविष्य के सपने संजोये बैठे हैं, वहीं बिजली विभाग के इस तरह के कृत्य ना केवल उपभोक्ताओं को बल्कि सरकार को भी गुमराह कर रहे हैं। साथ ही, हम लोग भविष्य में इस या इस जैसी किसी भी अन्य समस्या से ग्रसित/पीड़ित नहीं होना चाहते हैं।

फोटो प्रतीकात्मक है; फोटो आभार: flickr

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