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लास वेगास मास शूटिंग: अमेरिका में कैसे पनपा मौजूदा ‘गन कल्चर’

रविवार की रात अमेरिका के लास वेगास में एक म्यूज़िक कॉन्सर्ट के दौरान गोलीबारी से 59 लोग मारे गए, जबकि 500 से ज़्यादा लोग घायल हुए। ये घटना अमेरिका में इस तरह की घटनाओं में सबसे बड़ी है। हमलावर अमेरिकी राज्य नेवाडा का रहने वाला था, जहां बंदूक खरीदना काफी आसान है। इस राज्य के प्रत्येक नागरिक को संविधान द्वारा हथियार रखने का अधिकार प्राप्त है और उसके लिए किसी तरह की परमिट की आवश्यकता नहीं है। मतलब कि यहां लोगों को हथियार रखने के लिए किसी भी तरह की लाइसेंस की ज़रूरत नहीं है और वो एक साथ कितने भी हथियार खरीद सकते हैं।

अमेरिका में सार्वजनिक जगहों पर गोलीबारी की यह कोई पहली घटना नहीं है, यहां सार्वजनिक स्थानों पर गोलीबारी की घटनाएं चिंताजनक रूप से आम होती जा रही हैं। आंकड़ों के हिसाब से पिछले एक साल के दौरान ऐसी 270 से ज़्यादा घटनाएं घट चुकी हैं, मतलब औसतन हर दिन लगभग एक! यह अमेरिकन सोसाइटी और वहां की सरकार के लिए एक गंभीर मुद्दा है, क्यूंकि सार्वजनिक जगहों पर ऐसी घटनाओं का लगातार बढ़ना आम लोगों के बीच दहशत पैदा कर रहा है और लोग भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से कतराने लगे हैं। लास वेगास की घटना के बाद एक बार फिर ये बहस ज़ोर पकड़ रही है कि ऐसी घटनाओं के लगातार बढ़ने की क्या वजहें हैं और अमेरिकी समाज का ‘गन कल्चर’ इसके लिए कितना ज़िम्मेदार है?

अगर इन सारी घटनाओं को एक साथ देखें तो अधिकतर में ये बात एक सी होगी कि कोई एक व्यक्ति आया और लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग करके या तो फरार हो गया या पुलिस के हाथों मारा गया या फिर उसने खुदकुशी कर ली। अमेरिका में हथियार खरीदना काफी आसान है और समय के साथ ये एक कल्चर का रूप ले चुका है, जिसे लोग ‘गन कल्चर’ कहते हैं। गैलप एंड प्यू रिसर्च के एक सर्वे के अनुसार, “अमेरिका में दस में से चार घर ऐसे हैं जिनके घर में कम से कम एक हथियार है। तीन चौथाई लोग जिनके घरों में हथियार हैं, वो समझते हैं कि हथियार रखना उनका मौलिक अधिकार है जबकि सिर्फ 55 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि हथियार संबंधित कानून कड़े होने चाहिए।”

अमेरिका में इस गन कल्चर को बढ़ावा देने में सबसे अहम भूमिका निभाई है ‘नेशनल रायफल एशोसिएशन (NRA)’ ने। 1871 के गृहयुद्ध के बाद बना नेशनल रायफल एशोसिएशन (NRA) वहां की राजनीति पर काफी अच्छी पकड़ रखता है और यही वो संस्था है जिसकी वजह से हथियार रखने के खिलाफ कोई कानून पारित नहीं हो पाता। 20वीं सदी के शुरूआती दौर में यह संगठन सिर्फ निशानेबाजों का एक समूह माना जाता था, लेकिन 1968 के बंदूक नियंत्रण कानून के बाद इसका कद बढ़ता चला गया। अमेरिकी चुनावों के दौरान NRA, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टी के उम्मीदवारों को फंड करता है, इस वजह से इसके खिलाफ कोई भी पार्टी कदम उठाने से कतराती है।

अमेरिकी संविधान में दूसरे संशोधन के द्वारा यहां के लोगों को हथियार रखने का अधिकार मुहैया करवाया गया है। इस संशोधन में लिखा गया है कि एक नियमित नागरिक सेना स्वतंत्र राज्य की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है और लोगों का ये मानना था कि ये एक सामूहिक अधिकार है ना कि व्यक्तिगत। लेकिन NRA द्वारा चलाए गए अभियान के बाद और साल 2008 में द डिस्ट्रिक्ट आॅफ कोलंबिया बनाम हेलर केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार कहा कि दूसरा संशोधन व्यक्तिगत अधिकार की मंजूरी देता है और फिर यहां से शुरू हुई अमेरिकी लोगों में व्यक्तिगत सुरक्षा और अधिकार के नाम पर हथियार खरीदने की परंपरा जो अब तक जारी है। अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति बराक ओबामा की बंदूकों पर लगाम लगाने की कोशिश नाकामयाब रही थी, जबकि मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद NRA के सपोर्टर हैं ऐसे में उनसे किसी कदम की उम्मीद बेमानी ही होगी।

लास वेगास की घटना के बाद हिलेरी क्लिंटन का ट्वीट आया, “लोग गोलियों की आवाज़ सुनकर भागने लगे, कल्पना कीजिए क्या हालत होगी अगर नेशनल राइफल एसोसिएशन की सबको साइलेन्सर उपलब्ध करवाने की मांग सफल हो जाएगी।” अगर यह बात सच साबित हुई तो वाकई में स्थिति काफी भयावह होगी, क्यूंकि फिर ऐसी घटनाएं और बढ़ जाएंगी। जिस तरह का राजनीतिक सपोर्ट NRA के पास है, उससे लगता नहीं कि इस प्रस्ताव के पास होने में कोई खास परेशानी होनी चाहिए। NRA की ताकत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ गन पाॅलिसीज़ को प्रभावित करने के लिए ये संस्था आधिकारिक रूप से हर साल तीन मिलियन डाॅलर खर्च करती है।

इस गन कल्चर के इतना ज़्यादा सफल होने की कई सारी राजनीतिक और सामाजिक वजहें हैं। एक तरफ अमेरीकी लोगों के लिए बंदूक आज़ादी का एक प्रतीक है, वहीं NRA की राजनीतिक हलकों में मजबूत पकड़ इसके खिलाफ उठने वाले किसी भी कदम को रोक देती है।

इस हमले से सबक लेते हुए अमेरिकी जनता को ये मानना पड़ेगा कि गन कल्चर एक बड़ी समस्या है और अब इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है। लोगों को अपनी आवाज़ उठानी होगी और किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव में आए बिना अपनी बात रखनी होगी। हालांकि ऐसे आंदोलन पहले भी हुए हैं लेकिन NRA और राजनीतिक पार्टियों की दखलअंदाज़ी की वजह से वो सफल  नहीं हो सके हैं।


फोटो आभार: getty images

अरविंद Youth Ki Awaaz Hindi सितंबर-अक्टूबर, 2017 ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं।

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