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वर्जिनिटी का सुबूत मांगने वालोंं सेक्स की अदालत का यह एपिसोड तुम्हारे नाम

कभी अगर इस देश में पानी या ऑक्सिजन की कमी हो जाए और लोगों को पता चले कि बस अब 1 या 2 दिन ही बचे हैं हमारे अस्तित्व के फिर भी जो सवाल लोगों के लिए सबसे ज़रूरी होगा वो है कि क्या यह, वो, सामने वाली, बगल वाली, पड़ोस वाली, ऑफिस वाली हर जगह वाली लड़की वर्जिन है या नहीं। और अगर इस देश में कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा से ज़्यादा बार कोई सवाल पूछा गया होगा तो वो शादी से पहले आने वाला यक्ष प्रश्न कि क्या लड़की वर्जिन है? और हां यह सवाल और इस कथित पवित्रता की ज़िम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर ही होती है। सेक्स की अदालत के इस एपिसोड में समाज की इसी मानसिकता का ज़िक्र है जहां एक लड़की मंगनी के बाद अपने पति के सामने भी वही अपनी वर्जिनिटी साबित करने की शर्त रखती है जो उसके सामने रखी गई है। डॉक्टर्स की गवाही और दलीलों से बखूबी इस एपिसोड में वर्जिनिटी से जुड़ी तमाम भ्रमों और अशिक्षा को तोड़ा गया है।

सेक्स की अदालत में सेक्शुअल और प्रजनन(रिप्रोडक्टिव) स्वास्थ्य, युवाओं के हक जैसी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की जाती है। 5 एपिसोड्स का यह कोर्टरूम ड्रामा सिरीज़, पॉप्यूलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया(Population Foundation Of India) और डायरेक्टर फीरोज़ अब्बास खान द्वारा बनाए गए शैक्षिक कार्यक्रम मैं कुछ भी कर सकती हूं की सफलता और इम्पैक्ट को और आगे बढ़ाने के मकसद से शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम समाज के संवेदनशील मुद्दों पर असल ज़िंदगी की परिस्थितियों के ज़रिए बात करता है।

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