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क्या एक गोल्ड मेडलिस्ट शूटर के साथ ऐसा बर्ताव होना चाहिए

कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में दो गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन करने वाली इंटरनैशनल शूटर अनीसा सैयद बीते दो वर्षों से निराशाओं का सामना कर रही हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपने प्रदर्शन से लोहा मनवाने वाली अनीसा की नियुक्ति लंबे इंतज़ार के बाद जून 2015 में हरियाणा सरकार के स्पोर्ट्स एण्ड यूथ अफेयर्स में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर हुई। इसके तहत उनकी पोस्टिंग फरीदाबाद के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिस में हुई। विभाग ने उन्हें दो माह वेतन दिया और फिर उनका वेतन रोक दिया गया।

इस सिलसिले में जब हमने अनीसा से बात की तब अपनी परेशानियों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि मंत्रालय से स्पोर्ट्स कोटा के तहत नौकरी पाने के लिए लंबे वक्त तक हमने गुहार लगाई। आखिरकार जब बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर मेरी ज्वाइनिंग हुई तब लगा कि अब धीरे-धीरे तमाम परेशानियां खत्म हो जाएंगी और अब मैं बेहतर तरीके से प्रैक्टिस कर पाऊंगी। लेकिन मुझे मंत्रालय की तरफ से लगातार कहा जाने लगा कि मैं शूटिंग की प्रैक्टिस ना करूं और हर रोज़ ड्यूटी पर आऊं।

अनीसा आगे बताती हैं – “मेरी नियुक्ति पत्र में साफ तौर पर इस बात का ज़िक्र है कि पांच वर्ष तक मेरे परफॉर्मेंस को रिव्यू किया जाएगा, और फिर प्रदर्शन के आधार पर मंत्रालय तय करेगी कि मुझे प्रैक्टिस करनी है या रेग्यूलर ड्यूटी पर आना है।”

मंत्रालय ने भेजी चार्जशिट:-

अनीसा के मुताबिक स्पोर्ट्स कोटा के तहत नौकरी पाने के कुछ महीने बाद ही वे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में शामिल होने विदेशी दौरों पर गईं। इस दौरान विभाग ने कई बार उनसे संपर्क साधने की कोशिश की। अनीसा से कहा गया कि वे अपनी पासपोर्ट की कॉपी विभाग में जमा कर दें। उन्होंने जब पासपोर्ट जमा करने से इनकार कर दिया तब उनके खिलाफ चार्जशिट दायर की गई।

ये कहा गया कि विभाग को बगैर जानकारी दिए वे अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने गईं। इसी क्रम में अनीसा का तबादला सोनीपत में कर दिया गया। हालांकि अनीसा ने सोनीपत में ज्वाइन नहीं किया। जब हमने हरियाणा सरकार के स्पोर्ट्स एण्ड यूथ अफेयर्स के चीफ फाइनांशियल ऑफिसर डॉ. के. के. खंडेलवाल से बात की तब उन्होंने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि इस संदर्भ में निर्देशक डॉ. जसदीप से बात की जाए।

स्पोर्ट्स एण्ड यूथ अफेयर्स, हरियाणा के निर्देशक डॉ. जसदीप से हमने पिछले कुछ दिनों में काफी बार संपर्क साधने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने फोन रिसीव करने की ज़हमत नहीं उठाई। कई दफा कोशिशों के बाद हमारी बात सोमवार को डॉ. जसदीप से हुई। हमने जैसे ही अनीसा सैयद के मामले पर बात करने की इच्छा जताई उन्होंने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।

दूसरी दफा जब हमने कॉल किया तब डॉ. जसदीप कहते हैं कि बेहतर होगा कि आप उस खिलाड़ी से बात करें जिनका वेतन बंद है। और हम तो आपको जानते भी नहीं है। ऐसा कह कर उन्होंने फोन काट दिया।

ऐसे में रियो ओलंपिक में भारतीय टीम की निराशाजनक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा टास्क फोर्स गठन किए जाने और टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियां शुरू करने जैसी पहल फेल होती दिखाई देती है। आज ये हाल सिर्फ एक अनीसा का ही नहीं है बल्कि देश भर में कई ऐसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मौजूद हैं जिन्हें विभाग के कठोर रवैये के आगे नतमस्तक होना पड़ रहा है। ऐसे में न सिर्फ उनके खेल के स्तर में गिरावट आ रही है बल्कि भारतीय स्पोर्ट्स के लिए भी यह बड़ी क्षति है।

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