कुछ रिश्ते कभी नहीं मरते।
कुछ की तो बस ज़ुबान में चढ़ा है इश्क,
और बाकियों के सर पर…
सच में यह अहसास कहीं और, कभी और, किसी और से मुझे कभी नहीं मिलता…
सच में पागल है वो, पहली बार उसकी आँखों में आसूँ जैसे कुछ थे, किसी और ने नहीं देखें, बस मैं देखा रह गया।
वो एक पल पहले ही अपने में मस्त था… एक पल बाद वो कुछ बदला था, कुछ भावनाएँ, कुछ चमक, कुछ आशाएँ भी… अब उसकी आँखों में।
गाँव से दूर जा रहा था वो, दसवीं बाद का समय, भविष्य के पीछे जा रहा था, सही था वो….
पीछे यादें छोड़ रहा था, ‘आखिरी बार’ मिलने आई थी वो भी, शायद उसे भी यकीं नहीं था कि बाद में कभी मिलें।
दोनों शांत थे, एक-दूसरे की आँखों को निहारते, मानो अपनी सभी यादें याद कर रहे हैं, या आने वाले समय के लिए एक-दूसरों की आँखों की चमक लें उधार लें रहें हों।
एक मेरा जिगरी दोस्त, दूसरा एक तरफा प्यार।
मुझे भी, दोस्त को भी, और उसे भी बिछड़ने का दुख था।
सब मुसकाए, जानते हुए कि रोना नहीं है। मेरे दोस्त की आँखें मानो उसको नहीं, उसकी आँखों में बसी चमक को निहार रहे हों। सच में मेरा दिल हुआ रोने को।
उसने कहा चलता हूँ, पर हिल न पाया वहाँ से, पैरों तक ने साथ छोड़ दिया।
उसको इस हालत में पहली बार देखा था, वो रोने वाली थी, वो मुड़ कर चली गई,
बिन आँखें मिलाए, बिन आँसू गिराए, उसके सामने।
सच में मेरा दोस्त अगले आधे घण्टे तक हिला नहीं वहाँ से, जहाँ साथ छूटा…
होंठ में मुस्कान लिए, दिल में चोट।
पर मुझे यकीं हो गया, “कुछ रिश्ते कभी नहीं मरते”
मेरे प्यार को पहली दफा कमज़ोर देखा, जब उनके प्यार ने रुला दिया।
शायद अमर हो गया उनका ये अजीब-सा रिश्ता।