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भारतीय मिडीया

जब सबुह कुछ न्युज चॅनल देखता हुं तो ये तसल्ली मिल जाती है मेरे देश सब कुछ ठीक चल रहा है मानो मेरा देश सबकुछ भुलाकर एक नये मोड पर है सांप्रदायिकता, भेदभाव, उचनिच ये जो भी कुछ सब चिजे है सब खतम होने की कतार पर है हम चैन की सांस ले सकते है फिर दिन भर की थकान के बाद जब टीवी के रिमोट हाथ मे आ जाता है और भारतीय मीडिया को जरा बारिकी से देखने लगता हुं तो ये बात साफ क्लियर हो जाती है की न्युज चैनल वालों की अपनी भी एक विचारधारा एक एजेंडा रहता है हां हर एक न्यूज चैनल एक अलग पहचान कि तहत काम करता है कोई सरकार का पक्षधर है तो कोई विपक्ष का ।

मुझे लगता है की भारतीय मिडीया मे जो फिलहाल वैचारिक युद्ध चल रहा है वो किसी खतरे से खाली नही ।

भारत मे मिडीया जिस तरह से काम कर रही है वो किसी दबाव, पैसो के लिए या खुद का वजुद बरकरार रखने लिए यह भी एक कारन हो सकता है ।

देश के ऐसे अनगिनत मुद्दे दबा कर रख दिये गये है और जा रहे है जिने मिडीया मे जगह मिलनी वो मुद्दे कहिं गुम से हो गये है । जिन मुद्दों को मिडीया मे जगह नही मिलनी थी वो बढचढ कर दिखाये जा रहे है, एक धर्म विशेष के लोगो को लाकर रोज वही डिबेट करना जो बाते भारतीयों के किसी काम कि नही उसे ईस तरहा पेश किया जा रहा है की वो किसी इंटरटेनमेंट से कम नही !

भारतीय मीडिया कुछ गिने चुने मुद्दों को फिर से उठाती है और वहीं आकर रुक जाती है । सरकार से कोई गलती हो तो उसका स्पष्टीकरण पहले मिडीया मे आ जाता है ।

जैसे,

कोर्ट से सजा पाने पहले ही मिडीया दोषी ठहरा देती है । जैसे कोन सचूचा है कोन झूठा ये अब मिडीया हि तय करेगी ।

ईसका असर जो होगा वो कितना भयावह होगा वो आने वाला कल हि बता सकता है ।

 

 

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