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विकास या पिछड़ापन दिल्ली में धुंध (प्रदूषण)

आज भारत विकसित देशो के विकास के प्रतिमान को अपना तो रहा है| परन्तु ये विकास का तकनीक सिर्फ औधोगिक घरानों को लाभ पहुचने तक सिमित रह गया है| वर्तमान समय में कृषि में तकनीक के पिछड़ापन के कारण किसानों को समस्या तो है, ही साथ-साथ अब ये समस्या जन मानस को भी प्रभावित करने लगी है| क्योकि कृषिगत तकनीक महंगे होने के कारण किसान इसका उपयोग नही कर प् रहे है| सरकारी नीतियां सिर्फ औधोगिक घरानों को अनुदान बाटने में दिलचस्पी रहती है| किसानों को अनुदान पर कृषि तकनीक उपलब्ध नही करया जाता है| जिसका परिणाम आज दिल्ली में प्रदूषण के रूप में नजर आ रहा है| दिल्ली के पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब और पश्चमी उतरप्रदेश के किसानों के पास तकनीक की कमी होने के कारण किसान अपनी फसल का अवशेष भाग में आग लगा दे रहे है| जिसके कारण पर्यावरण में धुँआ का स्तर बढ़ जा रहा है| जिसका प्रभाव ज्यादा दिल्ली में नजर आ रहा है| क्योकि ये धुँआ उस क्षेत्र में खुलापन होने के कारण दिल्ली में पहुच कर रुक जा रहा है| जिससे यहाँ के जनता को साँस लेने में समस्या हो रहा है| अगर किसानों को फसल के अवशेष को मिट्टी में मिलाने वाला यंत्र दिया जाये तो ये अवशेष खेतों में मिला दिया जायेगा जिससे किसानों को भी जैविक खाद के रूप में लाभ मिलेगा| और आम जनता को वायु प्रदूषण का भी सामना नही करना पड़ेगा|

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