Site icon Youth Ki Awaaz

शैतान की जीत

Two faces of human

उस दिन मैं खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहा था , ज़िन्दगी से थका हुआ , हर चीज़ हारा हुआ ,अपने अतीत का सामना करने चल पड़ा था | नर्क की उस भीड़ में  सब लोग मुझे ऐसे घूर रहे थे , जैसे  मैं सबसे बड़ा पापी हूँ , जिसका पाप इतना बड़ा है, जो माफ़ नहीं हो सकता |

कहानी कुछ ऐसी है , कि आज से तक़रीबन १० वर्ष पहले ,मैं एक समाचार संस्था में लेखक था, जो इंग्लैंड में एक अच्छा जीवन व्यतीत कर रहा था | कुछ मित्र थे जिनसे हफ़्ते-दो-हफ़्ते में मिल लेता था | मेरा नाम इंग्लैंड के हर बड़े पत्रकार और नेता को पता था, जिसे आम भाषा में लोकप्रिय होना कहते हैं | एक सवेरे जब मैं व्यायाम के लिए घर से बाहर निकला तो मुझे कुछ लोगों ने घेर लिया और सवाल किया कि “क्यों आप हम लोगों के लिए कुछ नहीं करते? क्यों नहीं दिखाई देती आपको हमारी तकलीफ़ें? ” , मैंने बोला कि “मैं आप लोगों को जानता ही नही तो क्यों लड़ूँ मैं आपके लिए, और वैसे भी मैं एक पत्रकार हूँ, कोई योद्धा नहीं !” उन लोगों को टालता हुआ, मैं अपने घर को निकल गया और घर से तैयार होकर ,मैं दफ़्तर चला गया |

दफ्तर पहुँचने के बाद , कुछ खबरें लिखने के बाद मेरे दिमाग़ में वही आवाज़ गूंजने लगी, ऐसा प्रतीत हुआ जैसा बॉलीवुड चलचित्रों में होता है , वही शोर , वही चेहरे ! मैं इतना घबरा गया था कि पसीने में तरबतर हो गया था , मुझे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था, सुनाई दे रही थी तो बस उन लोगों की चीखें जिनकी सहायता मैंने नहीं की इस विषय को लेकर मैं अपने पिता के पास गया ,और वह बोले “तुमने पूरी दुनिया का ठेका ले रखा है क्या ? उन लोगों का हमसे कोई संबंध नहीं और उनका धर्म भी अलग है , तुम उन लोगों से दूर ही रहो | ” इस घटना के अगले ही दिन , मुझे सड़क पर उन लोगों की लाशें मिली जो कल मुझसे सहायता मांग रहे थे, यह दृश्य देख मेरी आत्मा चीखने लगी, मैं रोने लगा और रोते रोते  मर गया, कुछ  इस तरह हर बार की तरह  एक बार फिर इंसानियत हार गयी ,और शैतान जीत गया |

 

Exit mobile version