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A Decrepit love story

कुछ गुंडे एक युवक का पीछा कर रहे थे उसे जान से मारने के लिए। ऐसा क्या किया होगा उस लड़के ने, क्या क़सूर होगा उस लड़के का।

ये कहानी आजादी से पहले की है जब न ही कोई स्मार्ट फ़ोन होते थे न ही इन्टरनेट। लोग समाचार पहुचाने के लिए खत और टेलिग्राम का इस्तेमाल करते थे। उस दौर में जहाँ स्कूलों में लड़के लड़किया अलग अलग कक्षाओं में पढा करते थे। जहाँ पुरे देश में आंदोलन का दौर जारी था वहीँ पंजाब के एक छोटे से कस्बे के एक सरकारी स्कूल में इतिहास का पाठ पढ़ाया जा रहा था। उन दिनों न ही बच्चो के पास टेबलेट होते थे न ही कोरे पन्नों की किताबें, न ही स्कूल की बसे हुआ करती थी न ही बच्चो के पास दो पहिया वाहन। जब स्कूलों की फीस ढाई रुपए हुआ करती थी, न ही एस एम एस हुआ करते थे न ही व्हाट्सएप्प। जब लोग प्यार का इज़हार करने के लिए फूलो का इस्तेमाल करते थे पर लव मैरिज का कोई रिवाज़ नही था, ऐसे ही यह कहानी भी उसी स्कूल की है, जहा बारवीं कक्षा के छात्रों में कुछ छात्र ऐसे भी थे जिनकी हरकत ने पूरे कस्बे को हिलाकर रख दिया।

सुबह के सात बजे थे, आसमान अब साफ हो चूका था। चारो ओर पक्षिओं के चहचहाने की मधुर आवाज थी। गलियो में प्रभात फेरियो का शोर सुना जा सकता था। बच्चे अब पीठ पर बस्ता तांग कर साइकिलों से स्कूल की ओर बढ़ रहे थे, इन्ही बच्चो में था बारवीं कक्षा का एक छात्र नितिन। नितिन अपने दोस्त कमल और रमेश के साथ कक्षा में प्रवेश करता है और पीछे से तीसरे बेंच पर जाकर बैठ गया। परंतु कक्षा की बैठक सूचि के मुताविक वह सीट कक्षा के मॉनिटर राम की थी। राम जब कक्षा में अपने स्थान पर नितिन को पाया तो बड़े ही विनम्र भाव से उसे खड़े होने को बोला पर नितिन ने बेंच छोड़ने से इंकार कर दिया। राम के बड़े समझाने के बाद भी नितिन नही माना। दोनों ही अपनी ज़िद पर अड़े रहे। अंत में जब राम को और कोई चारा दिखाई नही दिया तब उसने कक्षा अध्यापक को नितिन की शिकायत लगाई। कक्षा सूचि का उलंघन करने के कारण दंड स्वरुप उसे हाथ पर पांच छड़ी लगाई गई। अगले दिन, राम से इस बात का बदला लेने के लिए नितिन ने उसके बैग में कक्षा अध्यापक का चश्मा रख दिया। चश्मे को मेज पर न पाकर कक्षा अध्यापक क्रोधित हो गये और सभी छात्रों की तलाशी ली। चश्मा राम के बैग में पाया गया। मास्टर जी राम को दंड देने जा ही रहे थे कि पीछे से एक लड़की की आवाज़ आई है “रुकिए”, उस लड़की का नाम शशि था, वह उसी कक्षा की दूसरी मॉनिटर और स्कूल के एकमेव ट्रस्टी की बेटी थी। शशि ने कमल को मास्टर जी का चश्मा राम के बास्ते में रखते हुए देख लिया था और उसने मास्टर जी को सब कुछ बता दिया। मास्टर जी उसी पल कमल को एक हफ्ते के लिए स्कूल से निष्काषित कर दिया। उन दिनों ऐसा ही होता था आजकल तो बच्चो को यदि अध्यापक थोड़ा सा दांत भी दे तो उल्टा उनपर ही आफत आ जाती है।

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