पत्रकारिता का बदलता स्वरूप
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आज हमारे समाज का पत्रकारिता से भरोसा उठ चुका है, कड़वा सच बोला जाए तो आज की तारीख में पत्रकारिता भरोसे के लायक रही ही नहीं है। कभी पत्रकारिता का मूल ध्येय था दुनिया में हो रही सच्ची घटनाओं को हम तक, आप तक पहुँचाना, समाज को सही दिशा दिखाना, सियासतदा नों की कमजर्फी का काला चेहरा आपके सामने लाना लेकिन बदनसीबी हमारे समाज की, आज हमारा समाज दिन प्रतिदिन सच से दूर होता जा रहा है क्योंकि पत्रकारिता का स्तर गिरता चला जा रहा है…!!
न्यूज़ चैनल्स वही खबर दिखाते हैं जो साहब-ए-वक्त का फरमान होता है, और पत्रकारिता रोती सिसकती हुई दम तोड़ देती है
↗अली हाशमी