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उन गुंडों की गलती की सज़ा उस बच्ची को मिली, मौत के रूप में

मैं एक गांव में रहता हूं। यहां हर रोज़ आस-पास की कई घटनाएं सुनने और देखने को मिलती रहती हैं। मैं आपसे ऐसी ही एक घटना का ज़िक्र कर रहा हूं, जो मेरे पास के गांव की है। हमारे समाज में गलती ना करने पर भी उसकी सज़ा दी जाती है और ऐसा लड़कियों के साथ अक्सर होते आया है। ये एक लड़की की कहानी है जो गांव में एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी। गरीबी के बावजूद उसके माता-पिता ने अपनी बेटी के लिए बहुत से सपने संजोए हुए थे, पर उन्हें क्या पता था कि कुछ समय बाद उनके सपने केवल सपने ही रह जाएंगे।

उनकी बेटी निशा पढ़ने में काफी तेज़ थी। स्कूल के टीचर्स भी उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे। बात तब की है जब निशा बारहवीं कलास में थी। गांव के कुछ आवारा लड़कों ने निशा को स्कूल से आते-जाते रास्ते में तंग करना शुरू कर दिया था। निशा को इस बात का भी डर सताने लगा कि अगर मैं ये सब अपने माता-पिता को बताऊंगी तो मेरे माता-पिता मेरा स्कूल छोड़वा देंगे और मुझे घर पर ही रहना पड़ेगा।

लेकिन, अब बात काफी बढ़ने लगी थी। ये लड़के निशा का पीछा करते हुए अब घर तक आने लगे थे। ये बात जब पड़ोसियों के ज़रिए निशा के माता-पिता को पता चली तो उन्होंने उन लड़कों को कुछ कहने की बजाय निशा को इतना डांटा कि वह काफी नर्वस हो गयी। इस घटना के बाद उसके मां-बाप ने उसका स्कूल भी जाना बंद करवा दिया। अब वे उससे घर का काम करवाने लगे थे और जल्द-से-जल्द उसकी शादी कराने की सोच रहे थे। लेकिन निशा पढ़ना चाहती थी। इन सभी बातों से निशा के मन और दिमाग को बुरी तरह हिला कर रख दिया था। अब वह हर रोज़ अपने दिमाग में एक ही बात रखती कि किस तरह अपने आप को खत्म किया जाए। और एक दिन उसने फांसी लगाकर अपनी जान गंवा ही दी। जाते-जाते उसने अपने माता-पिता के नाम एक खत लिखा था, जिसमें उसने उनके द्वारा लिये गये फैसले से खुद को पहुंची चोट के बारे में चर्चा की थी।

आज निशा के पिता कहते हैं कि अगर मेरा वो फैसला सही होता तो शायद मेरी बेटी आज जीवित होती। उसके माता-पिता आज जब भी उन लड़कों को देखते हैं तो उन्हें अपनी बेटी याद आ जाती है और दोनों पछतावे से घिर जाते हैं। हमारे समाज में लाखों बेटियां हर रोज़ इस तरह के फैसलों का शिकार होती हैं और अंत में एक अखबार की छोटी सी न्यूज़ बनकर रह जाती हैं।

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