इंसान दुनिया में जिस किसी को महुब्बत में जान से ज़्यादा अजीज़ बना लेता है, परवरदिगार उसे उस जैसा बना दिया करता है।
पिता व पुत्री के सुंदर रिश्ते पर आधारित ईरानी शॉर्ट फ़िल्म The Frozen Rose रूहानी मुहब्बत की बेमिसाल कहानी कहती है। यह फिल्म मर कर रूहों को एक होने का रुला देने वाला किस्सा बयान करती है। जंग पर गए सिपाही अक्सर घरों का मुंह देख नहीं पाते। उनके बाद परिवार वालों की ज़िंदगी एक कठिन सफर की रहगुज़र हो जाती है।
रुक्याह को अपने अब्बू की वापसी का पूरा भरोसा था। जंग पर जाने वाले सिपाहियों से भरी रेलगाड़ी जब कभी बस्ती से होकर गुज़रती तो वहां के बच्चे उनके लिए फूलों के गुच्छे लेकर आते। फूल से खूबसूरत बच्चे इन फूलों को कुछ रूपए के बदले फौजियों को बेच देते थे। फूलवाले बच्चों की कतार में रुक्याह सबसे आखिर में खड़ी रहा करती थी।
रेलगाड़ी आने पर यह बच्चे अपने-अपने गुच्छों के साथ इंतज़ार में वहीं रहते। रेल रुकती तो खिड़कियों पर वह सिपाही आते जिनके लिए फूलों के गुच्छे स्वागत कर रहे थे, फूलवाले बच्चे उन्हें रंग बिरंगे फूल दे दिया करते। जितनी देर तक बाकी बच्चे वहां से चले नहीं जाते रुक्याह अपनी जगह पर खड़ी रहती। इन फौजियों में उसे अपने पिता की तालाश रहा करती थी। उसके अब्बू एक दिन वापस आएंगे इसी उम्मीद पर अरसे से फूल के गुच्छे लेकर आती रही। वह जंग पर जा रहे सिपाहियों को फूल ज़रूर देती लेकिन उसके बदले रुपए नहीं लेती थी। कुछ मीठा लेकर ही ज़हनसीब हो जाया करती।
कहा जाता था कि जो कोई सिपाही रुक्याह से फूल लेता उसे जंग में शहीद होना नसीब होता। जंग पर जा रहे इन लोगों में जब उसे अब्बू नहीं नज़र आते तो आखिर में किसी एक को फूल भेंट दे दिया करती। उससे मिले फूलों के सामने, खरीदे फूल मायने नहीं रखते थे। जंग पर जा रहे इन मतवालों से उस प्यारी लड़की का एक प्रेरक नाता था। वो चाहती थी कि उसकेअब्बू भी जंग पर बार-बार जाएं लेकिन वो अब जिंदा नहीं थे। वो इस कड़वी हकीकत को दो बरस बाद भी कुबूल नहीं कर सकी। इसलिए अब भी गुच्छे लेकर रेलगाड़ी आने के वक्त पर चली आती।
उसका दिल अपने प्यारे अब्बू से एकात्म कर चुका था। अम्मी के बताने पर भी उसका दिल उस तरफ से मुड़ा नहीं। एक मर्तबा वो आधी रात भी फूल लेकर रेलगाड़ी के इंतज़ार में जाने की ज़िद करने लगी। अम्मी को जब खबर लगी तो बहुत समझाया कि उसके अब्बू जंग में शहीद हो गए, खुदा की दूसरी दुनिया में चले गए, अब उनकी कभी नहीं वापसी होगी। अम्मी की बातों ने मासूम की आखों में आंसू भर दिए।
मां के मजबूर दिल को बिटिया की ज़िद माननी पड़ी। बर्फबारी होने वाली थी इसलिए सिर्फ आधे घंटे तक बाहर रहने का वक्त दिया। वो घर की खिड़की से बिटिया को देख रही थी। बदकिस्मती से अम्मी की आंख लग गयी। इस बीच काफी वक्त गुज़र चुका था। बाहर में बहुत तेज़ बर्फबारी हो रही थी। मां को होश आया, बिटिया की लिए पटरियों की तरफ बेदम दौड़ पड़ी। करीब पहुंच ऐसा कुछ देखा कि जिसे एक माँ जीते जी कभी देखना तसव्वुर नहीं करेगी। गुलाब सी नाज़ुक व खुबसूरत रुक्याह अब्बू की याद में शहीद हो चुकी थी। हमेशा के लिए अब्बू के पास चली गई ! बर्फ की चादर में लिपटा एक गुलाब दुनिया से कूच कर गया! खुदा ने दो लोगों को हमेशा के लिए मिला दिया, मगर किस तरह! परवरदिगार अब किसी को वक्त से पहले ना बुलाए शायद।
Get Started
Do more with Youth Ki Awaaz: Sign up to comment, login to share a story, reach a community that cares, take part in campaigns and more.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.