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अगर नवाज़ुद्दीन गलत हैं, तो मीडिया कहां सही है?

पिछले कुछ समय से चर्चा में रह रहे बॉलीवुड अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को अब तक लोग बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक कलाकार के तौर पर जानते थे, पर उनकी आत्मकथा क्या प्रकाशित हुई कि पूरी दुनिया की नज़र में वह विलेन बन गए। उन्हें विलेन बनाने में मीडिया की भूमिका काफी अहम रही है, फिर चाहे सोशल मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। ये सब पिछले कुछ समय से एक दिन के चौबीस घंटों में जाने कितनी बार नवाज़ुद्दीन नाम की माला जप रहे हैं। इसमें प्रिंट मीडिया की भूमिका थोड़ी कम रही, क्योंकि यहां एक खबर एक दिन में एक बार ही छप सकती है।

दरअसल उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘एन ऑर्डिनरी लाइफ’ में महिलाओं के साथ अपने तथाकथित अफेयर्स को खुलकर जगजाहिर किया है। यहां ‘तथाकथित’ शब्द का प्रयोग इसलिए कर रही हूं कि क्योंकि उनमें से कई महिलाओं ने नवाज़ के साथ अपने संबंधों को नकारा भी है। एक तरह से कह सकते हैं कि यह नवाज़ुद्दीन की एकतरफा मुहब्बत थी। हालांकि इसमें कितना सच है और कितना झूठ, यह तो नहीं पता, पर जिन महिलाओं ने इन संबंधों को स्वीकारा भी है, उनमें से भी सबने अपनी-अपनी कुछ वजहें बताई हैं कि आखिर क्यों उन दोनों का रिश्ता लंबे समय तक नहीं चला। यहां तक कि खुद नवाज़ ने भी कई मामलों में इस बात को स्वीकार किया है कि इनमें से कई महिलाओं के साथ उन्होंने केवल अपनी ‘ज़रूरत’ के लिए संबंध बनाए थे। हालांकि यह बात बहुतों को नागवार गुज़र रही है कि नवाज़ ने अपनी इस ऑटोबायोग्राफी में अपने विवाह पूर्व संबंधों का इस तरह से खुलेआम ज़िक्र करने से पहले यह नहीं सोचा कि जिसके बारे में वो लिख रहे हैं उनके जीवन पर इसका क्या असर पड़ेगा।

चलिए मान लिया कि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जैसे संवेदनशील माने जानेवाले अभिनेता ने जो कुछ भी किया वह गलत किया, उन्हें इस तरह से अपने निजी संबंधों को पब्लिक नहीं  करना चाहिए था। यह उन महिलाओं के गरिमा और सम्मान के विरूद्ध है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इस मामले में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जानेवाला मीडिया क्या कर रहा है। नवाज़ ने तो अपनी आत्मकथा में उन महिलाओं का एक बार ज़िक्र किया और अब उस किताब को वापस भी ले लिया, पर मीडिया तो उन महिलाओं का ज़िक्र आए दिन किसी ना किसी तरीके से अपनी पब्लिसिटी के लिए कर रहा है। वह न सिर्फ बार-बार उनका नाम उछाल रहा है, बल्कि अब तो उनकी वर्तमान ज़िंदगी को भी सबके सामने लाकर रख दिया है।

हालांकि मैं यह नहीं कह रही कि नवाज़ुद्दीन ने जो कुछ भी किया, वह सही किया, लेकिन मैं उस इंसान की इस बात के लिए तारीफ ज़रूर करूंगी कि उन्होंने अपनी किताब में अपने संबंधों को लोगों से छुपाया नहीं, बल्कि खुल कर ईमानदारी से उन्हें स्वीकार किया। उन्होंने खुद को दुनिया की नज़रों में सुपरहीरो बनाने की कोशिश भी नहीं की, बल्कि सेक्स के प्रति अपने लस्ट को भी साफ तौर से स्वीकार किया। रही बात उन महिलाओं की, तो उनसे भी मैं यही उम्मीद करूंगी कि वे भी नवाज़ की तरह खुल कर अपना पक्ष रखें। हालांकि जानती हूं कि एक महिला के लिए अपने संबंधों को खुलेआम स्वीकार करना उतना सरल और सहज नहीं है, जितना कि एक पुरुष के लिए। उस पर से भी एक स्थापित बॉलीवुड हस्ती। फिर भी अगर उनका नाम अब चूंकि आ ही गया है, तो उन्हें अपना पक्ष ज़रूर रखना चाहिए।

मीडिया के अनुसार नवाज़ ने न केवल उन महिलाओं का शारीरिक शोषण किया, बल्कि अब वाहवाही लूटने के लिए उनका मानसिक और भावनात्मक शोषण भी कर रहे हैं। अगर ऐसा है, तो भाईलोगों आपलोग क्या कर रहे हैं? शारीरिक शोषण न सही, पर आप उन महिलाओं का भावनात्मक शोषण तो कर ही रहे हैं। यह बात आपको क्यों नहीं समझ में आती कि आपलोगों की इन हरकतों और ऐसी घटिया न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग से जिन महिलाओं की ज़िंदगी में अबतक कोई परेशानी नहीं थी शायद अब हो जाए। इसलिए बंद कीजिए अपने ये बकवास के विश्लेषण। बदल डालिए बेवजह किसी की निजी ज़िंदगी में तांक-झांक करने की आदत। दुनिया को बताने और दिखाने के लिए खबरों की कमी नहीं है। चटपटी मसालेदार खबरों के पीछे भागने के बजाय अर्थपूर्ण खबरों की खोज कीजिए, ताकि लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ की गरिमा धूमिल न हो।

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