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युवा सपनों का अंतिम मुकाम पा लेना मतलब शाहरुख खान हो जाना

उनके पास न तो ‘ही-मैन’ जैसी कद काठी है और ना ही उन्होंने अपनी फिल्मों में हमेशा ज़ोरदार मारधाड़ की है, वह फिल्मी दुनिया के सबसे ‘खूबसूरत’ या हैंडसम सितारे भी नहीं हैं, फिर भी ऐसा क्या है शाहरुख खान में कि पिछले कई दशक से वह बदलते भारत के युवा की तस्वीर हैं?

फिल्मी दुनिया के आलिमों का मानना है कि शाहरुख खान उदारीकरण के बाद का चेहरा हैं यानी फिल्मी फलसफें में इकॉनोमी का भी रोल है। शाहरुख का भारतीय सिनेमा के परदे पर करीब-करीब तभी उदय हुआ जब भारत में एलपीजी (Liberalisation, Privatisation, Globalization)  यानी उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण लागू हुआ, इसी कारण वह ब्रैंड से जुड़े।

शाहरुख की तस्वीर की बात करें तो वह भारत के बेचैनी से भरे युवा समाज के साथ जुड़ गयी है जो असीम संभावनाओं को अपने दामन में समेट लेने को तैयार है। शाहरुख के किरदारों को देखकर पता लगता है कि भारतीय फिल्मों का नायक सिर्फ मार पिटाई करने वाला नहीं रह गया। उनके किरदारों में ऐसा युवा दिखता है जो बड़े शहरों में रहकर अंग्रेज़ी बोलने की ख्वाहिश रखता है, प्यार करने , उसे पाने, खोने और दुबारा पाने की चाहत रखता है।

दिल्ली की गलियों में अमिताभ बच्चन जैसे बाल, दिलीप कुमार जैसे अंदाज़ और मर्लिन ब्रांडो की आवाज़ की नकल करने वाला एक लड़का मुम्बई पहुंचता है और बॉलीवुड का सबसे बड़ा सितारा बन जाता है। ‘बादशाह जैसा चेहरा’ यानी ‘शाहरुख’ सिर्फ एक फिल्मी किरदार ही नहीं बल्कि करोड़ों युवा भारतीयों के सपनों की गाथा भी हैं।

शाहरुख उस युवा वर्ग को रिप्रेज़ेंट करते हैं जिसे दुनियावी बातों की फिक्र नहीं है फिर भी वह अपने प्रेम को एक जज़्बे के साथ जीता है। उनके किरदारों की प्रेम कहानियों में एक ईमानदारी दिखती है इसलिए युवा अपनी प्रेम कहानियों में खुद को शाहरुख के व्यक्तित्व से जोड़ पाते हैं। शाहरुख की ऑफ स्क्रीन प्रेज़ेंस में भी एक हाज़िरजवाबी दिखती है जिसे उनके इंटरव्यूज़ या लाइव शोज़ में देखा जा सकता है। देश का युवा भी ऐसी ही हाज़िरजवाबी और दिल्लगी से लबरेज है।

आमतौर पर शाहरुख के किरदार ज़मीन से जुड़े हुए नहीं दिखते इसलिए कई फिल्मों में उन्हें समीक्षकों ने नायक के तौर पर नकार भी दिया फिर भी उनकी कहानियां भारतीय जनमानस के दिल में यकीन पैदा करती हैं। वह कभी राज बनकर कभी राहुल बनकर तो कभी अमन बनकर लोगों में मुहब्बत और ज़िन्दगी के लिए एक यकीन पैदा करते हैं।

दो नवम्बर 1965 को जन्मे इस अभिनेता ने बॉलीवुड को ब्रांड से जुड़ी पहचान दी। शाहरुख का किरदार प्रेम के साथ-साथ पारिवारिक मूल्य भी बरकरार रखते हैं इसलिए ब्रांड भी उन्हें पसंद करते हैं।

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