हाल ही में, राहुल गांधी अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी में गये थे और बेझिझक सभी सवालों के जवाब दिये, जिसमें परिवार वाद की राजनीति से लेकर UPA के दूसरे कार्यकाल में, कांग्रेस की लड़खड़ाती सत्ता पर भी, राहुल बड़ी खूबी से बोल रहे थे, वह बेबाक बोल रहे थे, लेकिन राहुल का ये बदला हुआ रंग, कांग्रेस को 2014 में मिली करारी हार से बहुत अलग था, लग रहा था की अब राहुल, राजनीतिक मंच को समझ भी रहे है और इसके अनुरूप खुद को जनता के सामने पेश करने के लिये भी तैयार है.
इसी के अनुरूप, राहुल गांधी गुजरात चुनाव में जनता के समक्ष खुल कर बोले लेकिन हर शब्द मान मर्यादा के तहत ही कहा गया था कही भी उन्होंने राजनीतिक लक्ष्मण रेखा को लांघ कर, किसी भी तरह भाजपा के किसी भी नेता पर व्यक्तिगत हमले नही किये, अगर देखा जाये तो इस से पहले भी राहुल गांधी ने किसी भी चुनाव में कही भी कोई आपत्तिजनक शब्दो का इस्तेमाल नही किया, लेकिन इस बार राहुल, आम जनता के समक्ष कह रहे थे, की विपक्ष, उन पर कितने भी व्यक्तिगत हमले कर ले, वह कांग्रेस की मान मर्यादा की पैरवी करते रहेगे. लेकिन विपक्ष, राहुल गांधी की छवि पर व्यंग करने से ओर उन पर व्यक्तिगत हमले करने से नही रुक रहा था. इसी परिभाषा के तहत, राहुल गांधी खुद की छवि को बहुत बड़ा और गंभीर रूप देने में कामयाब हो रहे थे.
लेकिन, राहुल गांधी, गुजरात के इस चुनाव को समझ रहे थे, वह जान गये थे, की जनता के समक्ष भ्र्ष्टाचार एक अहम मुद्दा है इसी के तहत, तथ्यों के आधार पर अगर भ्र्ष्टाचार के आरोपो को व्यंग का तड़का लगा दिया जाये, तो ये विरोधी पक्ष को, खासकर मोदी जी की गंभीर छवि को हास्यास्पद बना सकते है, जिस के तहत, गुजरात में भाजपा का मजबूत किला भी फतेह किया जा सकता है. यही कारण था की राहुल, गुजरात राज्य चुनाव प्रचार के दौरान, वह गुजरात की जनता के साथ साथ, भारत की जनता के सामने तथ्यों के आधार पर भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार पर हमला करने से नही रुक रहे थे, अमित शाह के बेटे जय शाह पर लगे भष्टाचार के आरोप को राहुल बहुत व्यंगमय तरीके से कहते थे “जय शाह ज्यादा खा गया” , यंहा शाह-ज्यादा को जोड़ कर कहने मात्र से, वह शहजादा का उच्चारण निकाल रहे थे, उसी तर्ज पर जिस पर अक्सर मोदी जी राहुल गांधी को परिवारवाद का ताना मारा करते है.
राहुल इसके आगे भी नही रुके, वह GST को गब्बर सिंह टैक्स के रूप में, परिभाषित कर रहे थे, यंहा गब्बर सिंह से मतलब, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी से ही था, यंहा शब्द, गब्बर सिंह, मोदी जी को एक ताना शाह बताने के लिये काफी था, वही नोटबंदी के सिलसिले में अक्सर राहुल गांधी, जनता की दुखती नस पर, व्यंग का तड़का लगा देते थे, राहुल का कहना था कि अचानक रात के आठ बजे, मोदी जी को ख्याल आने मात्र से, 500 ओर 1000 के पुराने नोट बंद कर दिये गये, शब्दो के मायाजाल से राहुल समझा रहे थे की नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में लिया गया, इसी के तहत, जनता के समक्ष राहुल गांधी, केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला करने के साथ साथ, केंद्र सरकार की गंभीरता को भी चोट कर रहे थे.
राहुल गांधी, गुजरात की जनता के समक्ष, किसानो की मदहाली, जंहा मुगफली, कपास की फसल के कम कीमत का मिलना, खेती के लिये दी जा रही बिजली ओर बैंक द्वारा दिया जा रहा कर्जा, इन सभी तथ्यों के तहत जंहा वह गुजरात राज्य सरकार पर हमला कर रहे थे वही किसानो द्वारा चलाये जा रहे देश व्यापी आंदोलन की तरफ इशारा करके, केंद्र की सरकार को किसान विरोधी भी बताने का प्रयास बहुत खूबसूरती से कर रहे थे, वही गुजरात राज्य में कुदरत द्वारा दिये गये जल भंडार ओर बिजली को किसानो को ना देकर, गिने चुने उधोयपतियो को देने के हवाला मात्र से वह राज्य सरकार पर बहुत गंभीर आरोप लगा रहे थे.
राहुल गांधी, शिक्षा, सुरक्षा के साथ साथ दूर दराज के इलाकों में नर्मदा का पानी ना पहुचने पर, राज्य सरकार को आड़े हाथों ले रहे थे, खासकर तब जब मोदी जी द्वारा नर्मदा योजना को बहुत बढ़ा चढ़ा कर गुजरात राज्य की जनता के समक्ष पेश किया जा रहा था, गुजरात राज्य चुनाव प्रचार के दौरान, राहुल गांधी ही एक मात्र कारण थे, जिन्होंने गुजरात राज्य सरकार के साथ साथ, मोदी जी और भाजपा को हर मोड़ पर पटखनी दी, ओर समय समय पर भाजपा को अपने चुनाव प्रचार की समीक्षा करनी पड़ रही थी, यंहा राहुल गांधी ही एक मात्र कारण थे कि जो भाजपा विकास के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रही थी,वह बैकफुट पर आ गयी ओर भाजपा का चेहरा बने मोदी जी को अहमद पटेल के साथ साथ, पाकिस्तान का जिक्र भी गुजरात राज्य चुनाव में करने को मजबूर कर दिया गया.
गुजरात राज्य चुनाव में चाहे कांग्रेस और उसके समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार, महज दस सीट के अंतर से बहुमत से दूर रह गये, मसलन गुजरात राज्य चुनाव में कांग्रेस हार गई, लेकिन व्यक्तिगत रुप से मेरा मानना है कि गुजरात राज्य चुनाव में राहुल गाँधी की बहुत बड़ी जीत हुई है, जंहा उन्होंने मोदी जी द्वारा प्रचारित विकास और गुजरात मॉडल की धज्जियां उखड़े कर सारे देश के सामने, गुजरात के बेहाल किसान, मजदूर, शिक्षा,बेरोजगार को खड़ा कर दिया है, इसके साथ, मोदी जी की बड़ी छवि की गंभीरता को भी व्यंग के माध्यम से चोट की है, यकीनन ये मोदी जी के 2019 के लोकसभा चुनाव के जीत के स्वपन को तोड़ने की तरह है, इसका अंदाजा आज मोदी जी को भी जरूर हो रहा होगा, की 2014 का चुनाव तो एक तरफा था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी, मोदी जी को बहुत कड़ी चुनोती देने की भूमिका में, आज खुद को पेश कर चुके है. ओर ये चुनोती, मोदी जी और भाजपा के लिये खतरे की घँटी के समान है, अब ये आने वाला समय ही बतायेगा की राजनीतिक मैदान में राहुल गांधी का कद ओर बढ़ता है या भारत की जनता मोदी जी के नाम पर ही मोहर लगायेगी.
Youth Ki Awaaz is an open platform where anybody can publish. This post does not necessarily represent the platform's views and opinions.
Youth Ki Awaaz is a community of contributors whose stories and perspectives define what matters to today's generation.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.
Youth Ki Awaaz is a community of contributors whose stories and perspectives define what matters to today's generation.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.
Stay updated with the latest from હર્બનશ સિંહ ਹਰਬੰਸ ਸਿੰਘ हरबंश सिंह. Follow them on Youth Ki Awaaz.
Youth Ki Awaaz is a community of contributors whose stories and perspectives define what matters to today's generation.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.
Youth Ki Awaaz is a community of contributors whose stories and perspectives define what matters to today's generation.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.
Recommend this story by હર્બનશ સિંહ ਹਰਬੰਸ ਸਿੰਘ हरबंश सिंह and help it reach more people.
Youth Ki Awaaz is a community of contributors whose stories and perspectives define what matters to today's generation. Login to write, follow your favourite authors, recommend stories that matter and more.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.
Get Started
Do more with Youth Ki Awaaz: Sign up to comment, login to share a story, reach a community that cares, take part in campaigns and more.
If you sign up with Google, Twitter or Facebook, we'll automatically import your bio which you will be able to edit/change after logging in. Also, we'll never post to Twitter or Facebook without your permission. We take privacy very seriously. For more info, please see Terms.