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गुजरात चुनाव: भाजपा के व्यवस्थित संगठन से काँग्रेस को सीखना चाहिए

गुजरात चुनाव के नतीजे आ गए और भाजपा एक बार पुनः सत्ता में वापसी करने जा रही है। अब अगर हम गुजरात के चुनाव का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि काँग्रेस की सीटें बढ़ी हैं और भाजपा की सीटें घटी हैं। इसके बहुत सारे कारण हैं, पहला कारण एंटी इनकम्बेन्सी। दूसरा कारण है पिछले साल से गुजरात में हुए आंदोलन, चाहे वो पाटीदार आंदोलन हो, दलित आंदोलन हो या ओबीसी समुदाय का आंदोलन हो। तीसरा कारण है जीएसटी।

इसके अलावा भी एक महत्वपूर्ण कारण है और वो कारण है किसानों की समस्या। भाजपा सरकार के खिलाफ इतने कारण होने के बाद भी अगर भाजपा अगर चुनाव जीतकर सत्ता में वापसी करती है इसका श्रेय निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और गुजरात भाजपा के कार्यकर्ताओं को जाता है।

भाजपा द्वारा चुनाव में जीत दर्ज करने में भाजपा के संगठनात्मक ढांचे का बहुत बड़ा योगदान है। भाजपा की शहरी क्षेत्रों में पकड़ काफी मज़बूत है। जबकि शहरी क्षेत्रों के अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ उतनी मज़बूत नहीं है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होती है।

काँग्रेस की चुनाव में सीटें बढ़ी हैं फिर भी वह सत्ता से दूर है। इसके कारणों पर यदि हम गौर करें तो पाएंगे कि पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण है गुजरात में काँग्रेस के पास एक व्यवस्थित संगठन का न होना। काँग्रेस के पास गुजरात में सत्ता में आने का सबसे सुनहरा मौका था जो काँग्रेस ने एक व्यवस्थित संगठन और उसका सुचारू रूप से संचालन न कर पाने के कारण खो दिया है।

गुजरात चुनाव को देखने मैं और मेरे साथी गुजरात गए थे और हमने ये महसूस किया कि काँग्रेस माहौल कितना भी बना लें लेकिन जीतेगी बीजेपी क्योंकि बीजेपी के पास अपना एक मजबूत संगठन है जो कि काँग्रेस के पास नहीं है। इसलिए अगर काँग्रेस बीजेपी को हराना चाहती है तो पहले एक मज़बूत संगठन बनाना होगा उसे।

और यदि हम आंदोलन का गुजरात चुनाव पर प्रभाव की बात करें तो ये पता चलता है कि आंदोलनों का प्रभाव पड़ा है। जिसके कारण बिना संगठन के कांग्रेस ने हार्दिक पटेल की मदद से,अल्पेश जो कि काँग्रेस में शामिल हो गए और जिग्नेश के दलित आंदोलन के कारण 81 सीटें जीती हैं।

इस चुनाव में जिग्नेश और अल्पेश की जीत से गुजरात को दो युवा नेता मिले हैं और गुजरात चुनाव की सबसे अच्छी बात भी यही है। वरना जिस स्तर पर प्रचार पहुंच गया था वो एक बहुत ही शर्मनाक स्थिति थी जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व सेना प्रमुख पर बेबुनियाद आरोप लगाए। वो एक शर्मनाक स्थिति थी।

गुजरात चुनाव में ये दिखा कि किसी तरह बस सत्ता में आना है उसके लिए कुछ भी करेंगे और वो भी एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ये काम करता है। खैर चुनाव में जीत के लिए भाजपा को बधाई , काँग्रेस को भी एक मज़बूत विपक्ष बनने की बधाई। और सबसे आखिर में ऊना आंदोलन से निकले जिग्नेश मेवानी को उनकी शानदार जीत के लिए बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं।

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