आज के युग में जीवन की सांसे सिमट कर रह गई हैं | इसकी समय सीमा निर्धारित करना मुश्किल हो गया है | इंसान उन्नति के चक्कर में जीवन की खुशियों को बटोरना ही भूल चुका है | उसका मकसद एक – दूसरे को पीछे छोड़ना और आगे निकलने का रह गया है | कभी – कभी इस भाग – दौड़ में इंसान अपनी खुशियों से हाथ धो बैठता है | उसे इस बात का मालूम तक नहीं होता है कि उसे जीवन खुशियां पाने के लिए मिला है | वह इस बात से हमेशा अनजान बना रहता है | लेकिन जिस दिन वह अपने जीवन की अमूल्य वस्तु को खो देता है तब उसे एहसास होता है कि उसने तो अपना जीवन ही खो दिया है | जीवन के हजारों रास्ते हैं यह किसी से होकर भी अपनी मंजिल को पाने के लिए निकल पडता है | लेकिन इंसान सोचता है कि यह नहीं, यह रास्ता गलत है और इससे जीवन का अंत नजदीक है | इस रास्ते के जुल्म सहने की क्षमता मुझमें नहीं है | मुझे इस जीवन का साथ छोड़ देना ही अच्छा है| लेकिन वह भूल जाता है कि रास्ता कैसा भी हो जाना तो एक ही जगह है | यह वक्त की मार होती है कि हम मनपसंद का रास्ता नहीं चुन नहीं पाते हैं और जीवन की कठपुतली बनकर उसी के अनुरुप चलने लगते हैं | लेकिन यह सत्य है कि रास्ता हम नहीं चुन पाते हैं, यह चुनाव किसी और का होता है लेकिन चलना तो हमें ही होता है इसीलिए हमें उस वक्त संभलना चाहिए क्योंकि मुसीबतों से भरे रास्तों को तो इंसान को ही पार करना पड़ता है | इसीलिए हंसी – खुशी उस दौर का सामना करना चाहिए | जो अच्छे रास्तों से मंजिल तुरंत पा लेते हैं वे जीवन जीते हैं और चले जाते हैं | इस जीवन लीला को समझ ही नहीं पाते हैं लेकिन तुमने मुसीबतों से भरे रास्तों को हंसी – खुशी पार कर लिया है तो दुनिया में ऐसी कोई भी मुसीबत नहीं होगी जो आपको तबाह कर सके| जबकि आसानी से मिली मंजिल कभी भी तबाह हो सकती है इसीलिए रास्ता कैसा भी हो उससे मुंह मत फेरो | जबकि शांति से उसे पार करने की सोचो | आपने उन रास्तों को पार कर लिया है तो वह रास्ता आपका गुलाम हो चुका है | उसके जैसे कितने ही रास्ते जिंदगी में आए हैं, आप हंसते – हंसते उसे पार कर जाओगे |
” महापुरुष कहते हैं कि मेहनत से मिला मिट्टी का कण भी सोना है और मुफ्त में मिला सोना भी मिट्टी के डेलें समान है || ”
क्योंकि वह उस वस्तु का मूल्य नहीं जानता है, उसकी अहमियत नहीं जानता है और मुफ्त में मिली वस्तु हो या खुशी सब इंसान को अंधा कर देती है | यह सत्य है हमारा पूरा जीवन एक कठपुतली है…….. इसके अनेक रुप मौसम और दृश्य हमें इसके मौसमों को देखकर निराश नहीं होना चाहिए
(” यही तो जीवन है “)