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Padmavati Row

The right to freedom of expression and the creative freedom that an artist should enjoy has been encroached upon with the recent Padmavati issue and many other instances which have not recieved (been given) the same media coverage.

People get offended with relative ease and go to the extent of openly threatening the artists without any fear of backlash. In such conditions, the job of a writer has become more dangerous and difficult.

The following slam is a satirical and humorous take on the whole issue from a writer’s or a poet’s perspective –

लिखता हूँ तो कांपते है हाथ मेरे
कहीं कटवा न दे …. सर ये जज़्बात मेरे |

पहले कहते हैं कहके देखो , कहने में कैसा डर,
जब कहो तो कहते है , क्या कहा , ज़रा Control मे रहो Sir!!
कभी सुना था सरकारें लोगो से चलती है , लोगो के लिए चलती है
आज सरकार के खिलाफ बोलने से डरता हूँ
मन करता है दहाड़ के कह दूँ , की हो तुम सर्वशक्तिमान
क्यों बनते हो भय के सौदागर , क्यों पल- पल कराते हो अपने वर्चस्व का भान
क्या डरते हो गिरा न दे सरकार ये अलफ़ाज़ मेरे
लिखता हूँ तो ….

“Lipstick under my Burkha” है उनके लिए too sexy
‘Toilet’ पे प्रेम कथा बनाओ हो जायेगी tax free.
पहले सुना था कला समाज का दर्पण होती है
आज भी दर्पण तो है , पर उसपे समाज का चित्र वो खींच रहे है
किस समय ,कितनी मात्रा मे , क्या देखना है , क्या सोचना है , क्या समझना है
सब ‘Aadhar’ के नियमो की तरह वो हमपे थोप रहे है
कुछ न कह पाने के इस दौर मे कभी कभी लगता है
क्या उनके ही ग़ुलाम रहेंगे सारे एहसास मेरे
लिखता हूँ तो ….

माना की Article 19(2) में reasonable restrictions है
पर ये करणी सेना वालों का तो unlimited jurisdiction है
ये मांगे दीपिका का सर , या भंसाली की माफ़ी
सरकार को न कोई tension है
वो tension ले भी कैसे जनाब , लोगो को जो भटकाना है
आखिर सर पर मोदी जी के personal elections है !!

की वो बना रहे है , हम बनते जा रहे है
(अब क्या बना रहे वो जग ज़ाहिर है !)
हंसी भी आती है , और गुस्सा भी
कुछ ऐसे ही इस देश के हालात ठहरे
की लिखता हूँ तो ……

आप सोच सकते है की ये तो कितना निराशावादी है
हो सकता है आपमें से कई कट्टर राष्ट्रवादी है
आप सब से ये कहना चाहूंगा की इस सरकार से प्रश्न करना मेरा हक़ है कोई गुनाह नहीं
इस राष्ट्रवाद के परदे के पीछे हम इन्हे लेंगे देंगे पनाह नहीं

आज मौका है , दस्तूर है ,तो वह हमे दबा रहे है
पर एक दिन आवाज़ें ज्यादा होंगी और समय अलग
तब आप , मैं , हम सब ये कह पाएंगे –

अब कलम पर नहीं है कोई रोक , express करना अब नहीं है कोई sin
और मोदी जी ने कहा तो काफी पहले था , पर अब सही में अच्छे आ गए है दिन |

By: Hardik Malviya

#Padmavati #NoPlace4Hate 

Source: www.facebook.com/ysrbhopal

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