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जालसाज़ी के कारोबार से बचने का अचूक तरीका है जागरूकता

कुछ समय पहले एक मोबाइल कंपनी मात्र 251 रू. में स्मार्टफोन देने का दावा करके रातों-रात चर्चा का विषय बन जाती है। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया से लेकर आम जनता तक हर कहीं उस मोबाइल की ही चर्चा होती है। कंपनी इसे दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन होने के दावे के साथ इसके विज्ञापन जारी करती है। कंपनी इसे डिजिटल इंडिया कैंपेन का हिस्सा बताकर प्रचारित करती है और इसे अपनी वेबसाईट पर बिक्री के लिए (251+40 रूपये शिपिंग चार्ज के साथ) उपलब्ध करवाती है।

मात्र 251 रूपये में स्मार्टफोन मिलने की ख़बर सुनते ही लोग बुकिंग के लिए टूट पड़े। लोग इस स्मार्टफोन को खरीदने के लिए इतन बेताब थे कि कंपनी की वेबसाइट ज़्यादा ट्रैफिक के कारण सिर्फ एक घण्टे में ही क्रैश हो गई। लोग बुकिंग करने के बाद फोन आने के इंतज़ार में थे, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी देश में किसी को फोन डिलिवर नहीं हुआ।

FREEDOM 251 के नाम से लांच हुए इस मोबाइल का विज्ञापन आने के कुछ समय के बाद एक और कंपनी मात्र 888 रूपये में स्मार्टफोन देने का विज्ञापन जारी करके पूरे देश में चर्चा का विषय बनी। FREEDOM 251 की डिलिवरी न मिलने से निराश लोग अब इस कंपनी से सस्ता स्मार्टफोन मिलने उम्मीद लगा बैठे और इस फोन की भी बुकिंग शुरू हो गई। लोगों ने बड़ी उम्मीदों के साथ फोन की बुकिंग करवाई, लेकिन इस कंपनी का स्मार्टफोन भी FREEDOM 251 की तरह किसी को नहीं मिला।

ऐसी ही एक और कंपनी NAMOTEL ने मात्र 99 रूपये में स्मार्टफोन देने का दावा करके फोन की आनलाईन बुकिंग ली, लेकिन यहां भी वही हुआ जो पिछली दो कंपनियों के साथ हुआ था, आज तक किसी को भी फोन डिलीवर नहीं हुआ।

ये तीन तो बस उदाहरण मात्र हैं वरना देश में न जाने कितनी कंपनियां अलग-अलग प्रोडक्ट्स के ज़रिए लोगों को झूठे सपने दिखाकर बेवकूफ बनाती हैं और लोगों की मेहनत का पैसा खाकर भाग जाती हैं।

इस तरह की घटनाओं के कई कारण है। एक कारण तो सरकार की लापरवाही है जो इस तरह की कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं करती। ठीक तरह से जांच-पड़ताल के बिना ही उन्हें अपना प्रोडक्ट मार्केट में लांच करने का लायसेंस भी आसानी से मिल जाता है। दूसरा कारण है लोगों में जागरूकता की कमी होना, लोग बिना सोचे-समझे विज्ञापनों पर यक़ीन कर लेते हैं और अपना समय और पैसा दोनों बर्बाद कर बैठते हैं। एक अन्य कारण लोगों के मन में बसा लालच भी है, लोग फ्री और सस्ती चीज़ को लेने के लिए अतिउत्साहित हो जाते हैं और बिना सोचे समझे ऐसी चीज़ों पर यक़ीन करके धोखे में फंस जाते है।

लोगों में जागरूकता की कमी और लालच के कारण जालसाज़ों ने कई तरीके इजाद किए हैं। इनमें सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके हैं फोन, टेक्स्ट मैसेज या ईमेल द्वारा बताया जाना कि किसी तरह के लकी ड्रा में उनकी कोई बड़ी रकम या किसी गाड़ी का इनाम निकला है और उन्हें किसी नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा जाता है। संपर्क करने पर किसी बैंक खाते में प्रोसेसिंग या रजिस्ट्रेशन चार्ज के नाम पैसे जमा करने को कहा जाता है।

लोग गाड़ी या पैसा मिलने के लालच में बिना सोचे समझे बताए गए खाते में पैसा जमा कर देते हैं। पैसा जमा करने के बाद जिस नंबर पर उन्होंने संपर्क किया था वो नंबर ही बंद हो जाता है। जब लोगों की समझ में आता है कि उनके साथ जालसाज़ी की गई है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है वो अपनी मेहनत की कमाई गवां चुके होते हैं। कुछ लोग किसी तरह की स्कीम के बारे में बताकर कुछ महीने या साल में पैसा दौगुना करने का लालच देकर भी लोगों की मेहनत की कमाई लूट लेते हैं।

जालसाज़ों ने टेक्नालाॅजी के बढ़ते इस्तेमाल का भी भरपूर फायदा उठाया है। जालसाज़ खुद को बैंक अधिकारी/कर्मचारी बताकर फोन करते हैं। फोन पर लोगों से उनके डेबिट/क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते की डीटेल्स, वैरिफिकेशन या अन्य किसी बहाने से लेकर खाते से पैसा निकाल लेते हैं। यहां भी कारण वही है- जागरूकता की कमी। इन जालसाज़ों का शिकार अधिकतर अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग होते हैं। शिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते ये लोग जालसाज़ों की बातों में आसानी से फंस जाते हैं, लेकिन कई बार तो शिक्षित लोग भी भी इनकी बातों में आकर जालसाज़ी का शिकार बन जाते हैं।

इन जालसाज़ों से बचने का सबसे कारगर तरीक़ा है जागरूक बनना, बिना किसी जांच-पड़ताल के किसी भी कंपनी/व्यक्ति की बातों पर यकीन न करना। किसी तरह के इनाम या सस्ती या फ्री में मिलने वाली चीज़ के लालच में न आना। अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड, बैंक खाते की डीटेल्स किसी भी व्यक्ति को न देना, चाहे मांगने वाला खुद को बैंक अधिकारी/कर्मचारी ही क्यों न बताए।

बैंक कभी भी किसी ग्राहक से किसी भी तरह की डीटेल्स फोन पर नहीं मांगते हैं। लोगों को यह समझना ज़रूरी है कि बैंक को फोन पर डीटेल्स मांगने की ज़रूरत ही नहीं होती है क्योंकि ग्राहक की पूरी जानकारी बैंक रिकार्ड में दर्ज होती है। बैंक की तरफ से स्पष्ट निर्देश होता है कि किसी को भी अपने बैंक खाते से संबंधित जानकारी न दें।

अगर कभी बैंक को ग्राहक से कोई जानकारी लेनी हो या किसी तरह का काम हो तो बैंक द्वारा ग्राहक के रजिस्टर्ड मोबाइल नं. या ईमेल पर मैसेज/मेल करके बैंक ब्रांच में संपर्क करने के लिए कहा जाता है। इसलिए कभी किसी व्यक्ति/संस्था की बातों पर बिना पूरी जांच पड़ताल के यक़ीन न करें। अगर कोई व्यक्ति बैंक अधिकरी/कर्मचारी के नाम से फोन करके जानकारी मांगे या किसी तरह के इनाम का लालच देकर पैसों की मांग करे तो उसकी जानकारी फौरन पुलिस को दें। किसी तरह के इनाम या सस्ती चीज़ के लालच में न आयें। खुद भी जागरूक बने और लोगों को भी जागरूक बनाएं।

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