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राजस्थान के राजपूत समुदाय का यह कैसा रिवाज़, जमाई पिलाता है महिलाओं को ज़बरदस्ती शराब

सिरोही का राजपूत समाज भी कमाल का है… जो शराब खराब है, वहीं पीना यहां हर शाम की शान है। इस समाज में आधे लड़कों को पहली दारू तो जय राजपूताना के नाम पर ही पिला दी जाती है। घर आए मेहमान (पुरूष मेहमान) की पूरी खातिर होनी चाहिए और उस खातिरदारी का मतलब, खान-पान या इज्ज़त या आदर से नहीं बल्कि शराब से होता है। यहां खातिरदारी से मतलब है कि घर आए मेहमान (पुरुष वर्ग) को शराब परोसा जाना ज़रूरी है वरना वो बुरा मान जाते हैं।

यहां शादियों में खास तौर पर तरह-तरह के शराब के स्टॉल लगाए जाते हैं। यहां मैं किसी रईसों वाली शादी की बात नहीं कर रही हूं, बल्कि गांव की शादियों की बात कर रही हूं जहां अगर लड़का शराब पी ले तो बिगड़ा हुआ लड़का कहलाता है।

लेकिन ये टैग यहां के राजपूत समाज में नहीं है, यहां शराब पीना बहुत ही आम है। हर लड़की को शादी से पहले ही पता होता है कि उसका होने वाला पति शराब तो पीता ही होगा। शराब के चलते तो यहां बारात में एक भी लड़की नहीं आती। पूरी बारात आदमियों से भरी होती है, ऐसे में घर की महिलाओं की कितनी भी इच्छा हो, वो शादी नें नहीं जा सकती। यानि सारे आदमी लोग ही आते हैं नई बहू को ले जाने जो अपने हाथ के बराबर घुंघट में ढकी होती है।

ये सारी बातें तो मैं बचपन से जानती थी क्योंकि उसी समाज का हिस्सा हूं, लेकिन एक रस्म नहीं पता थी मुझे जो हाल ही में पता चली है। इस रस्म की वजह से मेरे मन में सवालों का उफान सा आ गया है। राजपूती कल्चर में बहुओं का लम्बा घुंघट करना बहुत ही आम बात है। यहां तक कि सास और बहू एक दर्जे पर बैठ भी नहीं सकती। मतलब कि जिस चेयर या दीवान पर सास बैठी है बहू की कुर्सी या स्टूल की लम्बाई उससे कम ही होनी चाहिए वरना बहूरानी ज़मीन पर बैठकर ही घर की शोभा बढाए। बहू का घुंघट आंधा इंच भी कम लम्बा हो तो मोहल्ले भर की दादी-नानी की आंखे घुंघट के अंदर घुसकर ताने मारने लगती है। अब ऐसे में जब ये पता चले कि चेहरे की लम्बाई से लम्बे घुंघट में रहने वाली ये बहुएं जमाई के साथ चखना और शराब पीती हैं वो भी हर छोटे-बड़े की मौजूदगी में तो चौंक नहीं जाएंगे आप?

शादी के बाद पगफेरे कि रस्म होती है जिसमें लड़की अपने ससुराल आती है और उसके बाद उसका पति उसे उसके घर लेकर जाता है। जिस दिन जमाई घर आता है, उस दिन राजपूत समाज में एक रस्म होती है जिसे ‘जमाई तैरना’ कहते हैं। इसमें घर के नए जमाई और बाकी जामाइयों को पार्टी दी जाती है, ये पार्टी इसीलिए होती है कि अगर शादी के दौरान किसी तरह से खातिरदारी में कमी रह गई है तो वो कमी अब पूरी हो जाए।

सारे राजपूत समाज का तो मुझे नहीं पता, लेकिन राजस्थान के सिरोही ज़िले में तो ऐसा ज़रूर होता है। यहां बेटी की शादी के बाद ‘जमाई तैरना’ की रस्म बहुत ज़ोर-शोर से मनाई जाती है। इस रस्म से जुड़ा एक और जो रिवाज है वो वाकई चौंका देने वाला है। रस्म के नाम पर नए जमाई सा घर की सारी औरतों को शराब पिलाते हैं।

घुंघट में घर की ‘इज्ज़त’ बचाए रखने वाली ये औरतें इस रस्म के दौरान राजपूती मर्दों की तरह दारू और चखना खाती-पीती हैं। इस रस्म में ऐसा भी है कि अगर कोई औरत शराब पीने से मना कर दे तो जमाई जी बुरा मान जाते हैं और पोमणा (जमाई) की खुशी तो घर की आन, बान और शान है। यानि अगर औरत का मन न भी हो शराब पीने का तो भी उसे जमाई की खुशी का खयाल रखते हुए शराब पीनी ही पड़ती है, चाहे उसे पसंद हो या नहीं।

यानि इस रस्म के दौरान कोई भी औरत आराम से मदिरापान कर सकती है और इससे किसी को भी कोई परेशानी नहीं है। न घर के मर्दों को और न ही समाज की दादी-नानियों को। लेकिन सवाल ये है कि अगर इस रस्म के बाद किसी औरत को शराब पीने का मन किया तो उसके मन की परवाह की जाएगी? जवाब साफ है ‘नहीं’।

यहां महिलाओं को शराब पीने का मौका भी मिल रहा है तो बस इसलिए कि जमाई सा बुरा न मान जाएं, वरना महिलाएं तो अपने पति के लिए चखना बनाने और शराब के ग्लास को साफ करने के लिए ही हैं। इनकी हर ख्वाइश के पंख तो घूंघट के नीचे ही दबकर रह गए हैं।

फोटो प्रतीकात्मक है; फोटो आभार: flickr 

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