जातिवाद / समुदायवाद को इज्ज़त से दिया गया एक नाम है आरक्षण | लोगों के बीच न चाहकर भी ज़बरदस्ती भेदभाव उत्पन्न करने के दिशा में एक कदम है आरक्षण |
हमारे देश के लोग इतने भोले हैं कि इन सबके पीछे कि मंशा को समझ नहीं पाते | आरक्षण को लेकर हमेशा नए नए संशोधन किये जाते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इतने संशोधनों के बाद भी पूरी तरह से हमारे देश की जनता को लाभ मिल पाता है ? शायद अभी भी काफी तादाद में लोग इससे वंचित हैं |
जहाँ कुछ लोग इसका भरपूर लाभ उठाते हैं वहीँ काफी संख्या में लोग इससे वंचित रह जाते हैं | उनके बारे में कोई सुध नहीं ली जाती है या शायद जान बूझकर उन्हें नज़रंदाज़ कर दिया जाता है |
सवाल यह उठता है कि क्या देश के विकास के लिए किसी खास समुदाय को अलग से प्रावधान दिए जाएँ या पूरे समाज के हर व्यक्ति को बराबरी से उत्थान के रास्ते पर ले जाया जाये ?
माना कि समाज के हर तबके के लोगों के पास एक जैसे संसाधन नहीं हैं, लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं कि किसी खास समुदाय को ही तवज्जो दिया जाये | आमतौर पर हमारे देश में जो आरक्षण को लेकर संविधान है उसमे कुछ बदलाव की ज़रूरत है | वक़्त के साथ माहौल में भी बदलाव आये हैं तो उसी हिसाब से जीवन से जुड़े हर चीज़ में संशोधन की ज़रूरत है | पुराने दौर में जो कानून बना दिया गया हो ज़रूरी नहीं कि वो सारे कानून आज भी जनता के हित में हों | हो सकता है कि आज के ज़रूरतों और परिस्थितयों के अनुकूल वो पुराने कानून लाभदायक न हों | वैसे भी हमारे संविधान में संशोधनों के लिए भी कानून है |
हम अक्सर देखते हैं कि जाति विशेष को लेकर अलग से आरक्षण दिए जाते हैं | इससे समाज के कुछ वर्गों को तो सहूलियत मिलती है जबकि इसी समाज के बाकी वर्गों के लोगों को कोई खास लाभ नहीं मिल पाता | असलियत में किसी का विकास करने के लिए उसकी जाति के आधार पर आरक्षण न देकर उसकी ज़रूरतों के आधार पर दी जाये तो यह सभी वर्गों के लिये बहुत लाभदायक साबित होगा | हम सभी को साथ मिलकर खुद की और देश की उन्नति में भाग लेना चाहिए, न कि स्वार्थी की तरह बस अपने हित में सोचना चाहिए | हमें हमारी काबिलियत के आधार पर आगे बढ़ने के अवसर आजमाने चाहिए न कि सुविधाओं के ढेरों के आधार पर | काबिलियत होगी तो सभी खुद ही आगे बढ़ेंगे | जब देश के हर नागरिक आगे बढ़ेंगे तो देश का विकास खुदबखुद ही होगा |
लेकिन देश की वर्तमान स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है |