राजपूताना शान की बात करने वाली करणी सेना और उसके समर्थकों की ओछी हरकतों को जरा देखिए… संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज़ का विरोध कर रही करणी सेना अब हिंसा पर उतर आई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में करणी सेना और उसके जैसे संगठन लगातार हिंसात्मक प्रदर्शन कर रहे हैं और कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एमपीनगर के ज्योति सिनेमाहॉल के सामने उपद्रवियों ने प्रदर्शन किया और बाहर खड़ी एक कार को आग के हवाले कर दिया। उत्तर प्रदेश के मेरठ में पीवीएस मॉल में पथराव किया गया। प्रदर्शनकारियों ने गुरुग्राम के वजीरपुर-पटौदी रोड पर जमकर आगजनी की। दिल्ली-जयपुर हाइवे को भी जाम कर दिया गया। लोगों ने गुरुग्राम के सोहना रोड पर भी प्रदर्शन किया और पत्थरबाजी की। उन्होंने इस दौरान एक बस को आग के हवाले कर दिया। हरियाणा के यमुनानगर से भी हंगामे की खबरें हैं। यहां एक सिनेमाहॉल के बाहर करणी सेना ने बवाल किया।
#WATCH: Protesters torched bus and pelted stones in protest against #Padmaavat at Gurugrams' Sohna Road. #Haryana pic.twitter.com/B13t6l8XuI
— ANI (@ANI) January 24, 2018
लेकिन हद तो तब हो जब इन उपद्रवियों करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने गुड़गांव में जीडी गोयनका स्कूल के एक बस पर भी हमला किया। जीडी गोयनका स्कूल बस के ड्राइवर परवेश कुमार ने बताया कि करणी सेना के कार्यकर्ता अचानक ही बस पर पथराव करने लगे उस समय बस में दूसरी से लेकर 12वीं तक के बच्चे मौजूद थे। हालांकि इस घटना में किसी बच्चे को चोट नहीं आई है। हालांकि जब मौके पर पुलिस पहुंची तब प्रदर्शनकारी भाग निकले। बस में मौजूद स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया कि जब प्रदर्शनकारी बस पर पत्थर फेंक रहे थे उस समय सभी बच्चों को बस के अंदर फर्श पर बिठा दिया गया था।
Bullying kids = Rajput Valour? Karni Sena bullies target kids; Terrorised kids cower in fear. 'BJP CMs’ can't even protect Kids?', asks @AnchorAnandN @thenewshour on #IndiaWithPadmaavat pic.twitter.com/kgzucCBK9G
— TIMES NOW (@TimesNow) January 24, 2018
अब जरा सोचिए कि आखिर करणी सेना कौन सी राजपूताना शान की बात कर रही है जब वो खुलेआम संविधान और कानून की धज्जियां उड़ा रही है? करणी सेना के समर्थक तर्क देते हैं कि उनके पूर्वजों ने अपनी रियासतों का विलय कर भारत की नींव रखी लेकिन आज वो उसी भारत को जला देने पर तुले हुए हैं? जो राजपूत कभी निहत्थों पर वार नहीं करते थे उन्हीं राजपूतों के सम्मान का हवाला देकर मासूम बच्चों से भरी बस पर पथराव किया जाता है, क्या यही राजपूताना शान है? महारानी पद्मिनी के सम्मान को लेकर हिंसा पर उतारू करणी सेना ने कभी हरियाणा और देश के अन्य हिस्सों में महिलाओं व बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार और बलात्कार पर तो कोई प्रदर्शन नहीं किया। जिस हरियाणा में वो पद्मावत को लेकर हिंसा कर रहे हैं उसी हरियाणा में बीते 10 दिनों में आधा दर्जन से भी ज्यादा बलात्कार की घटनाएं हुए लेकिन कभी करणी सेना ने इसके विरोध में प्रदर्शन नहीं किया?
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर करणी सेना किस राजपूताना शान की बात कर रही है? जो राजपूत समाज के रक्षक माने जाते हैं उन्ही का नाम लेकर करणी सेना हिंसा कर रही है। जिस फिल्म के रिलीज को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने हरी झंडी दे दी है उसे बिना देखे ही उसका विरोध कहां तक उचित है? एक बार आप फिल्म देख लो अगर फिल्म में कुछ आपत्तिजनक मिलता है तो फिर विरोध प्रदर्शन जायज होगा लेकिन बिना देखे ही हंगामा करना कहां तक सही है? शान और सम्मान के नाम पर इस तरह के हिंसा और उपद्रव को करणी सेना उचित मान सकती है, समाज तो बिल्कुल नहीं।