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खत्म होती सवेदनाएं।

 वैसे तो हम सभी समाज मे रहते है हम अपने आस पडोस को भी भली भाति जानते है। हम से ज्यादा कोई हमारे आस पडोस के बारे नही बता पायेगा जितना की हम।आज भी समाज मे लडको को लडकियो से ज्यादा प्यार ही मिलता है और उनकी परवरिश भी अलग ही तरीके से होती है चाहे वह खान पान हो या कपडे हो।और लडको को ही माता पिता अपने बुढापे का सहारा और सपंति का मालिक भी समझते है।लडको को हद से भी ज्यादा प्यार दिया जाता है।जबकि लडके कयी बार उस प्यार का नाजायज फायदा भी उठाते है जिसके कारण माता पिता को भी शर्मिंदा होना पडता है ।अगर हम लडको भी लडकियो की ही तरह रखे व वैसे ही समझाये तो शायद कुछ समाज मे बदलाव हो सकता है।वैसे ही एक घटना  मै आप सभी के साथ शेयर करना चाहता हूं।।
ये बात  पडोस मे रहने वाले एक  परिवार की है जिसमे 5 सदस्य रहते है।जिसमे दो पति पत्नी व तीन  बच्चे है जिनमे से  दो लडकियां व एक लडका  शामिल है।लडकियो की शादी हो चूकी है और लडका अभी बाहरवी  क्लास मे पढता है।लडके को शुरुआत से ही माता पिता बहुत लाड प्यार से रखते व उसकी हर जिद्द को भी पुरी करते थे।अब जैसे ही  उसकी बहनो की शादी हुई तो वह लडका घर मे अकेला होने के कारण माता पिता उसे और भी बहुत लाड प्यार करने लगे लेकिन इसके विपरीत लडके ने माता पिता को गालियां देकर बोलना व अपनी माता को तो मारना पिटना अपना एक खेल सा बना लिया  है और अगर कोई दुसरा बीच मे उनके झगडे को सुलझाने की कोशिश करता है तो वह लडका उसे अपने परिवार का झगडा बता कर बाहर कर  देता है। लेकिन उन माता पिता की इतनी हिम्मत नही होती कि वे उस लडके को ये भी नही कह सकते कि तू ये गलत कर रहा है।कयोकि अगर वे ऐसा करेगे तो उन्हे इसकी सजा साथ ही मिलेगी। एक समय था जब श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को तीर्थ धाम की यात्रा करवा रहा था।लेकिन आज ऐसा बहूत ही कम देखने को मिलता है।
अब माता पिता भी उससे दुखी हो चूके है।उसकी माता ने ये उसके जन्म से पहले ये सोचा था कि हे भगवान तू मुझे एक लडका दे दे तो वह हमारे बूढापे का सहारा होगा।पर अब वही माता कह रही है कि हमे तो इसका  दुख हो गया है ।इससे अच्छा भगवान हम दोनो पति पत्नी को उठा ले।तो हम धन्य हो जाए।और अब तो  जब  भी झगडा होता है तो  पडोस वाले भी उनका मजाक बनाने लग गये है वे कहते है कि ये तूम्हारे पिछले कर्मो का फल है जो तूम्हे अब मिल रहा है।
एक बार मैने भी उनके झगडे मे उसके माता पिता का उससे बीच बचाव किया।जिसके कारण मुझे भी सुनने को मिली।फिर मैने उस लडके को काफी समझाने की कोशिश की पर वह नही माना और ये कहने लगा कि ये हमारे घर का मामला है आगे से कभी हमारे बीच मत आना।अब जब उनका झगडा होता है तो मै तो यही कहता हू कि  ये उन माता पिता के लाड प्यार का फायदा इस परकार उठा रहा है। जिसके कारण उन्हे ये सब  झेलना पड  रहा है।
ये सभी कुछ हम अपने समाज  मे हर रोज कही पर तो टी.वी ,रेडियो,न्यूज पेपर  मे पढते व देखते है।लेकिन कोई भी ये नही सोचता है कि वे बेचारे माता पिता के दिल पर भी कया गुजरती होगी ।की उनका दुख दर्द बाटने वाला कोई नही है और अगर वे माता पिता कही बाहर किसी के साथ अपना दुख दर्द बाट भी ले तो उन्हे कयी बार इसका खामियाजा भुगतना पडता है जिसके कारण उन्हे घर से बाहर तक निकाल तक दिया जाता है।और ऐसे लाखो माता पिता आज  वरदा आश्रम मे अपना जीवन जीने को मजबूर है।
आज सरकार के दवारा  कानून बनाकर अनेको परियास किये जा रहे है ऐसे माता पिता के साथ  अन्याय ना हो ।ताकि  समाज मे ऐसे  माता पिता भी सुख से अपना  जीवन  जी सके।और माता पिता को भी चाहिए वे अपनी संतान को  बराबर  प्यार दे।
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