दिल्ली में एक महिला बच्चा पैदा करने के लिए अपना खयाल तक नहीं रख पाई और मर गई। महिला के पति ने बताया है कि ज़्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कैथोलिक चर्च ने उसे सम्मानित भी किया है।
महिला अपने मन से बच्चा पैदा कर रही थी, लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि उस पर धार्मिक दबाव था। किसी को पुरस्कार तभी दिया जाता है, जब कोई कुछ बेहतर काम करता है। कैथोलिक चर्च ने उस महिला को एक इंसान ना समझ एक मशीन समझा जो ज़्यादा से ज़्यादा बच्चा पैदा कर सके।
पिछले दिनों कई हिन्दूवादी नेताओं ने हिन्दू महिलाओं से ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था, अब भी करते रहते हैं। उनका तर्क है कि हिंदुस्तान में मुसलमानों की आबादी बढ़ती जा रही है, इसलिए उनकी बराबरी के लिए हिन्दू महिलाएं ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करें। ऐसा कहने वाले कुछ जन प्रतिनिधि भी थे। अब आप सोचिए, जिस देश में पहले से ही इतनी जनसंख्या है, वहां इस तरह के सुझाव देना कितना जायज़ है। जिस देश में एक लड़की भात-भात करते हुए मर गई, उस देश के जननेता ही जनसंख्या बढ़ाने की बात करते हैं।
हम दूसरे पहलू पर नज़र डालें ,जो ज़्यादा जरूरी है। इन धार्मिक संगठनों और राजनेता की निगाह में महिलाएं बच्चा पैदा करने वाली मशीन है! जो इनके कहने पर हर साल एक बच्चा जन्मती रहे। एक बच्चे के जन्म लेते समय महिलाओं के होने वाले दर्द से ये अनजान है। गांव में लोग कहते हैं ”एक बच्चे को जन्म देने में एक औरत मौत के करीब से लौटती है।” टूट जाता है औरत का शरीर। नहीं जानते है वो दर्द तभी तो कोई ज़्यादा से ज्यादा बच्चा पैदा करने के लिए सम्मनित करता है और कोई ज़्यादा बच्चा पैदा करने के लिए कहता है।
क्या बच्चे के बगैर एक महिला नहीं जी सकती?
हमारे गांव में एक महिला थीं, जिन्हें शादी के कुछ सालों बाद तक बच्चा नहीं हुआ। पहले वह गांव के आस-पास के ओझाओं के पास गईं, उसके बाद पटना और दिल्ली के बड़े-बड़े अस्पतालो में। एक बच्चे की चाह में उनके शरीर ने कितने ऑपरेशन झेले। इन्हीं ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरी लापरवाही से उन्हें कैंसर की बीमारी हो गई और उस महिला की मौत हो गई। इस तरह कई घटनाएं हमारे सामने आती हैं।
शादी के दो-तीन साल बाद से ही सभी का पूछना की बच्चा कब होगा? महिलाओ पर एक दबाव बनाता है जिसके कारण वह इलाज में रुपया खर्च कर देती हैं। फर्ज़ी बाबाओं के चक्कर में पड़ जाती हैं। इस तरह कई बार जान भी चली जाती है।
भारत में सैकड़ों बच्चे अनाथालय में हैं, सड़कों पर लावारिस ज़िन्दगी गुज़ार रहे है। किसी कारण से किसी को बच्चा नहीं होता तो क्या इनमे से एक बच्चा गोद नहीं ले सकते। उन बच्चों को प्यार की चाहत होती है और अगर आपका प्यार मिले तो उनकी ज़िन्दगी भी बन जाये
जान देने से तो बेहतर होगा इन्हीं बच्चों को अपनाया जाए। अगर ऐसा भी करने का मन नहीं तो बिन बच्चा के भी रहना बहुत मुश्किल नहीं है। औरतों खुद से प्रेम करो, अपने आप को इंसान समझो।