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मैरिटल रेप: समाज में होने वाला सबसे घिनौना अपराध

मैरिटल रेप…..इसके बारे में सुना तो सबने है और सब ये मानते भी हैं कि मैरिटल रेप हमारे समाज में पसरी एक कड़वी सच्चाई है पर इसके खिलाफ कोई कुछ नहीं बोलता सब चुप रहते हैं। ना जाने कितनी औरतें बरसों से इसका शिकार होती आ रही हैं और आज भी हो रही हैं। औरतों को आदमियों ने हमेशा से कमज़ोर समझा है और आज भी समझ रहे हैं, उन्हें हमेशा से अपने पांव की जूती समझने वाले आदमी शायद ये भूल जाते हैं कि जिस काली, जिस दुर्गा की वो पूजा करते आ रहे हैं वो भी एक औरत ही है। इस घिनौने अपराध के लिए हमारे देश में कोई कानून नहीं है…. पर जब आज औरतें हर क्षेत्र में आदमियों को पीछे छोड़ रही हैं तो वह अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक होती जा रही हैं।

माना कि कई औरतें आज भी ऐसी हैं जो अपने पति के सारे ज़ुल्म सहन करती हैं पर कुछ औरतें ऐसी भी हैं जो इसके खिलाफ आवाज़ उठा रही हैं चाहे फिर वो दहेज हो या घरेलू हिंसा। साथ ही आज औरतें एक और मांग कर रही हैं और वह है मैरिटल रेप को रोकने के लिए कड़े कानून की क्योंकि मौजूदा धारा 376 के अनुसार यदि शादिशुदा महिला यह आरोप सिद्ध कर पाती है कि उसके पति ने उसका रेप किया है तो उसके पति को दो साल तक की सज़ा होगी जो कि कम भी हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा पर या तो कोई महिला इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाती और जो उठाती हैं वह भी ये साबित नहीं कर पातीं कि उनके पति ने उनका रेप किया है।

पर अफसोस…. कि आज भी आदमियों के लिए मैरिटल रेप सही है और वह इसके खिलाफ कड़े कानून की मांग को गलत बता इसे नारीवाद की तानाशाही तक कह रहे हैं। पर केवल एक औरत ही उस दर्द को बयां कर सकती है जो वह एक चारदिवारी के अंदर सहन करती है क्योंकि उसे तो बचपन से यही सिखाया जाता है कि जो पति कहे वही करो… उसकी हर बात मानो…और आखिर में सब अच्छा बुरा सहते जाओ। आपको क्या लगता है? क्या ये सब सही है? नहीं ना फिर आप में से भी कितनी औरतें ऐसी हैं जो ये सब सहती हैं। अपने पति को भगवान मानकर खुद को खत्म तक कर देती हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में दो तिहाई महिलाएं इसका शिकार होती हैं।

कहा जाता है कि अपने दर्द को जितना बांटो उतना कम होता है और अगर आप किसी बात से परेशान हो तो उसे किसीअपने को बतते होंगे जो आपका दर्द समझे ताकि उस समस्या का कोई हल निकल सके और औरतें ऐसा करती भी हैं वह अपनी मां, सहेली, बहन और बेटी से अपनी परेशानियां बयां भी करती हैं। लेकिन जब मैरिटल रेप की बात हो.. तो इसे वह सबसे झुपाती है क्योंकि समाज ने इस घिनौने अपराध को गलत नहीं माना है, उनके हिसाब ये बिल्कुल ठीक है। लेकिन एक औरत ही समझ सकती है ये दर्द जो उसे वो इंसान देता है जिसके नाम वह अपनी पूरी ज़िंदगी कर देती है। लेकिन आज हर औरत इसके खिलाफ है और इसके खिलाफ कानून भी चाहती हैं।
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