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विकास दौड़ रहा है!

हमारे देश में चुनावों के दौरान विकास का मुद्दा बड़ी तेजी से उछलता है। हालांकि चुनाव लड़ा तो किसी और ही मुद्दे पर जाता है लेकिन विकास की बातें होती रहती हैं। दुनिया में भारत के इसी विकास की चर्चा प्रधानमंत्री मोदी अक्सर करते रहते हैं। इसी क्रम में जब प्रधानमंत्री मोदी स्विटजरलैंड के दावोस पहुंचे तो विकास की एक नई इबारत लिखी गई। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या हो गया? दरअसल, प्रधानमंत्री ने दावोस में अपने भाषण में भारत में मतदाताओं की संख्या को 600 करोड़ बता दिया जबकि भारत की कुल जनसंख्या ही 125 करोड़ है जिसका जिक्र वो अक्सर अपने भाषणों में भी करते रहते हैं।

मोदी के इस बात को विपक्षियों ने हाथों-हाथ लिया और उन पर तंज कसना शुरु कर दिया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। लेकिन अब इन लोगों को कौन समझाए कि चलो कुछ तो बढ़ रहा है। भले ही वो हवाबाजी में बढ़ रहा है लेकिन बढ़ तो रहा है। जब नोटबंदी के बाद देश में नौकरियां घट रही हैं, जीएसटी लागू होने के बाद रोजगार और व्यापार घट रहे हैं, देश की जीडीपी घट रही है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दामों के बाद कुछ तो ऐसा है जो बढ़ रहा है। लेकिन नहीं विरोधियों को तो हमला बोलने का मौका चाहिए। ये लोग इतना भी नहीं समझते कि अगर देश का प्रधानमंत्री बोल रहा है तो सही ही बोल रहा होगा।

वैसे इन सबके बाद अफवाहें इस बात की भी उड़ रही हैं कि जब मोदी जी बनारस गए थे तो वहां पर बनारसी पान भी खाया था जिसमें शायद भांग मिला हुआ था जिसकी वजह से वो आजकल कुछ ज्यादा ही बोल दे रहे हैं। खैर मुझे लगता है कि जिस समय में चारो तरफ सब कुछ घट ही रहा है तो ऐसे समय में अगर देश में कुछ भी बढ़ रहा है तो हमें चुपचाप मान लेना चाहिए। भले ही वो क्यों न देश में मतदाताओं की संख्या ही हो। इन सारी बातों के बाद ये पता चल गया कि जो विकास अभी तक पागल था वो अब दौड़ने लग गया है और उसके दौड़ने की स्पीड इतनी ज्यादा है कि लगता है कि वो दौड़ते-दौड़ते इस देश से बाहर ही हो जाएगा। फिलहाल आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि दिल्ली में ठंड वापस आ गई है और अगर आपको ठंड लग रही हो तो आप तबला बजा सकते हैं। अब ये मत पूछिएगा कि ये किसने कहा है नहीं तो माता रानी पाप लगाएंगी।

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