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ज़ैनब तुम उस पार भी हो, ज़ैनब तुम इस पार भी हो

प्यारी मरहूम ज़ैनब,

सुना है किसी दरिन्दे ने तुम्हें अगवा कर तुम्हारे साथ बलात्कार करने के बाद तुम्हारी लाश को कचरे के ढेर में फेंक दिया। तुम्हारी हत्या के बाद पाकिस्तान में उबाल उठा, सड़कों पर लोग निकले, विरोध प्रदर्शन हुआ। बाद में सरकार से आश्वाशन लेकर लोग लौटे। ज़ैनब कभी हमारे यहां भी ऐसा ही हुआ था। जब तुम मुश्किल से दो साल की रही होगी तब हमारे देश में भी निर्भया कांड को लेकर दिल्ली की सड़कों पर लोग ऐसे ही उतरे थे। एक ऐसा ही आश्वाशन लेकर लौटे थे, इसके बाद हमारे यहां कानून बदले पर हालात आज तक नहीं बदले।

ज़ैनब! जब मैंने देखा तुम्हारी मौत पर एक न्यूज़ एंकर किरन नाज़ ने अपनी छोटी सी बेटी को गोद में लेकर विरोध करते हुए कहा, “जनाज़ा जितना छोटा होता है, उतना ही भारी होता है।” यह सुनकर अचानक मेरा भी मन भर आया था, फिर तुम्हारे देश की एक अभिनेत्री सबा कमर तुम्हारे लिए न्याय मांगते हुए एक कार्यक्रम में फूट-फूटकर रोने लगी।

तुम्हें कैसे बताऊं ज़ैनब! कभी हमारे यहां भी ऐसे ही लोग भावुक होते थे, दु:खी होकर रोते थे। हमारे यहां भी मीडिया के एंकरों की आंखे भर आती थी। अब हमारे दिल पत्थर हो गए हैं, अब यहां किसी बच्ची या महिला के साथ ऐसी घटना होती है तो कोई उबाल या बवाल नहीं उठता।

यहां अब सब कुछ बदल गया है। मीडिया की गोद में नेता और धर्मगुरु बैठे होते हैं, बहस होती है, बात धर्म और जाति और राजनीति तक ले जाई जाती है और इसके बाद शो खत्म हो जाता है। नारीवादी लोग पुरुषों को कोसते हैं और पुरुषवादी महिलाओं के कपड़ों को, तो कुछ बेचारे कानून व्यवस्था को दोषी ठहराकर शर्म से गर्दन झुकाए बैठे होते हैं।

ज़ैनब! मैंने पढ़ा कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 10 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप के 128 मामले दर्ज हुए और इन मामलों में एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई। इस मामले में हमारा रिकॉर्ड तुम्हारे देश से अच्छा है, यहां गिरफ्तारी तो तुरंत हो जाती है, बस बात सज़ा तक नहीं बढ़ पाती।

सरहदें इंसानों को ही तो रोक सकती हैं, लेकिन वो सोच और घटियापन को कैसे रोके? शायद तुम नहीं जानती होगी कि तुम्हारे साथ ऐसा क्यों हुआ? तुम्हारी हत्या तो सरहद के उस पार हुई पर लेकिन दिल इस पार तक भी पसीजे।

तुम्हारे देश के कर्णधार हाफिज़ जैसे आतंकियों को और हमारे देश के कर्णधार सात सौ साल पहले की पद्मावती की इज्ज़त बचाने के लिए ज़्यादा चिंतित हैं। राज्यों की जीती-जागती लड़कियों के बलात्कार और हत्या पर ये कतई चिंता करते नहीं दिखते।

पता है ज़ैनब! हमारे देश के हमीरपुर ज़िले की 17 वर्षीय लड़की एक लड़की के पड़ोस में रहने वाले दो भाइयों ने पहले उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसके ऊपर केरोसीन डालकर उसे जला दिया। हरियाणा के जींद ज़िले के बूढ़ाखेड़ा गांव की एक लड़की के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी गई। पानीपत में घर से कूड़ा डालने गई एक एक 11 साल की किशोरी को अगवा कर हत्या करने के बाद उसका गैंगरेप किया गया। एक सिंगर की हत्या हुई और इसके बाद भी बलात्कार की खबरें जारी हैं।

ज़ैनब! कभी हमारे यहां भी रेप की खबर को अखबार की सुर्खियों में रखा जाता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं इन ख़बरों को पांचवे छठे पेज पर भी कोने में जगह मिल जाए तो गनीमत समझो। ज़ैनब तुम्हारा देश हो या हमारा, यहां अब इंसानियत और बचपने का मोल नहीं रहा, लोग बस धर्म या मज़हब बचा रहे हैं।

ज़ैनब! सरहद के दोनों ओर महिलाओं के चिन्तक बैठे हैं, एक तरफ हलाला को मज़हब का हिस्सा बता रहे हैं और दूसरी तरफ रेप को अधार्मिक कृत्य। अब बताओं किस की और कौन सी बात माने? महिला सम्मान यहां शिलालेखों पर तो अंकित हैं पर ज़ैनब खबरें तो महिला अपमान और उनके खून से सनी हैं!

ज़ैनब! तुम्हारे देश में दो साल पहले इसी शहर में जिसकी मिट्टी में तुम दफ़न हो एक सेक्स स्कैंडल का पता चला था जिसमें हुसैन खान वाला गांव में सैकड़ों बच्चों का यौन शोषण किया जाता और फ़िर मोबाइल फोन से उनकी फिल्म बनाई जाती थी। हमारे यहां भी कुछ ऐसा ही है, कभी मदरसों से बच्चियों को बचाया जाता है तो कभी बाबाओं की गुफा से। ज़ैनब तुम्हें अफसोस होगा कि हम फिर भी धर्म और मज़हब के नाम पर इनको बराबर बचा रहे हैं।

ज़ैनब! तुम्हें पता है सरहद के इस पार हो या उस पार जितनी संख्या में लोग युद्धों में मारे जाते हैं, उससे अधिक तो इन दोनों देशों में महिलाएं और बच्चियां रेप, प्रेम और इज्जत के नाम मार दी जाती हैं। फिर भी दोनों तरफ के लोग महिलाओं के सम्मान की गौरव गाथा का नाद करते नहीं थकते।

उम्मीद है ज़ैनब तुम खुदा के घर में महफूज़ रहोगी, यहां इंसान की दुनिया में तो तुम्हारी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं रही। अबकी बार जब वापिस आओ तो एक सवाल उस ऊपर वाले से ज़रूर पूछना कि मैं इंसानों की उस दुनिया में किसलिए जाऊं?

फोटो आभार: फेसबुक पेज ENVOY

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