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अपना आर्टिकल लिखते समय ‘नकलची बंदर’ बनने से कैसे बचें

ज़रा कल्पना कीजिए कि आपने किसी मुद्दे पर बहुत सोच समझ कर अपने विचार लिखे और उन्हें किसी ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर पब्लिश कर दिया। अब एक बार फिर से कल्पना कीजिये कि किसी ने आपके इस लेख का कोई हिस्सा अपने लेख में इस्तेमाल कर लिया या मान लीजिये की आपका पूरा का पूरा लेख ही किसी ने अपने नाम से पब्लिश कर दिया, वो भी आपको क्रेडिट दिए बिना! अब सोचिये कि आपको कैसा लगेगा?

साहित्यिक चोरी यानि कि प्लेजरिज्म की दुनिया में आपका स्वागत है!

अब ये प्लेजरिज्म या साहित्यिक चोरी है क्या? आसान शब्दों में कहें तो प्लेजरिज्म ‘बौद्धिक संपत्ति’ की चोरी है, जिसमें केवल मूल लेख या भाषण की नकल करना ही नहीं बल्कि मूल विचार या आईडिया चुराना भी आता है।

वैसे तो प्लेजरिज्म के लिए किसी सज़ा का प्रावधान नहीं है, लेकिन फिर भी इसकी आपको बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह नैतिक रूप से बहुत गलत है और इस कारण बहुत से पत्रकारों और लेखकों की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता धूमिल हो चुकी है।

आखिर प्लेजरिज्म में क्या आता है? और इससे कैसे बचें?

1. किसी के लेख की नकल करना

किसी के लेख के एक हिस्से या पूरे के पूरे लेख की नकल कर उसे हूबहू अपने लेख में शामिल कर देना, प्लेजरिज्म का सबसे आम रूप है

इससे कैसे बचे:

किसी अन्य लेख का कोई छोटा से छोटा हिस्सा भी अपने लेख में इस्तेमाल करते वक्त मूल लेखक को क्रेडिट ज़रूर दें, आपके लेख में शामिल उस हिस्से को मूल लेख से ज़रूर लिंक करें

2. किसी के बयान या किसी अन्य श्रोत से आंकड़ों का इस्तेमाल करना:

किसी अन्य व्यक्ति के बयान को लेख में शामिल करते वक्त कई बार ऐसा लगता है जैसे वो आपके ही शब्द हों। कुछ ऐसा ही किसी तथ्य को लिखते समय या आंकड़ों का प्रयोग करते समय भी हो सकता है

इससे कैसे बचे:

3. किसी अन्य के विचारों और आईडिया के नकल करना:

अब मान लीजिए कि सोशल मीडिया पर छाए हुए किसी मुद्दे पर आपने भी अपने विचार रखने का सोचा इस मुद्दे पर आपको कोई बहुत ही रोचक और प्रभावशाली लेख नज़र आता है और आपने कुछ ओरिजिनल लिखने के बजाय, उसी लेख के आइडिया और स्ट्रक्चर पर अपना लेख लिख दिया।  

हो सकता है कि आपने किसी अन्य व्यक्ति के लेख के किसी हिस्से को सीधे तौर पर अपने लेख में ना लिखा हो और ना ही उसमें से किसी तरह के आंकड़े या तथ्य लिए हों। हालांकि संभव है कि आपने अपने फेवरेट लेखकों का कॉन्सेप्ट या उनकी कही बातों का इस्तेमाल किया हो जो आपके हिसाब से सही होगा लेकिन ध्यान रखें, प्रेरणा लेने और नकल करने के बीच लकीर भर का ही फर्क होता है।  

इससे कैसे बचें:

सबसे पहले तो तय कर लें की आप क्या लिखना चाहते हैं, साथ ही अपने निजी विचारों को लेकर भी सपष्ट रहें। अन्य लोगों की कही बातें और उनके आईडिया आपके लेख को मज़बूत बनाने के लिए हैं, उन्हें हूबहू आपके लेख में लिखने के लिए नहीं। 

लिखते समय इस बात पर गौर करें की आप किसी और की पहले से कही बात को ही तो नहीं दुहरा रहे हैं। यहां लेख का मकसद अन्य लोगों की बातों का विश्लेषण करना हो सकता है, उन्हें लेकर आप क्या सोचते हैं यह लिखें, आपके अपने अनुभवों के आधार पर आप उन सभी बातों का कैसे विश्लेषण करते हैं उसे लिखें।

प्लेजरिज्म से बचने के लिए कुछ आम टिप्स:

1- शुरुआत में बिना किसी कोट, डाटा, रिपोर्ट, रिसर्च की मदद लिए अपने विचारों को लिखने की आदत डालें।

2- किसी और का आइडिया चुराने से बचने के लिए, आर्टिकल लिखने से पहले ही अपने तर्क और तथ्य तैयार कर लें। ध्यान रहे कि किसी और के आइडियाज़ से आपका अपना आर्टिकल तैयार नहीं हो सकता, हां वो आपके लेख में रेफरेंस के तौर पर ज़रूर हो सकते हैं।

3- याद रखिये कि निजी विचारों और तथ्यों के बीच बाल भर का फर्क होता है इस फर्क को हमेशा दिमाग में रखे

मसलन, “माहवारी एक ऐसी वजह है जिसके कारण भारत की 80% महिलाएं शोषण और दमन का सामना कर रही हैं।” यह एक तथ्य है जिसकी सत्यता को उचित सोर्स से प्रमाणित किया जाना ज़रूरी है।”

“मुझे नहीं लगता कि मेंसट्रुअल लीव पॉलिसी भारत में महिलाओं की बड़ी समस्याओं को हल कर पाएगी।” ये पूरी तरह से एक निजी विचार है जिसे सत्यापित करने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन अगर आपके लेख में कोई आंकड़ा या तथ्य शामिल है तो उसका सत्यापन किया जाना बहुत ज़रूरी है। 

4- जानकारी के लिए अन्य वेबसाइट्स और श्रोतों से कॉपी पेस्ट कर रहे हैं तो संभल जाएं। ज़ाहिर सी बात है कि इन वेबसाइट्स और जानकारी के श्रोतों को भी अपनी मीडिया सामग्री को लेकर उतनी ही चिंता होगी जितनी की आपको है। अपने लेख में इस्तेमाल की गई जानकारियों का सोर्स लिखना कभी ना भूलें।

तो बस Youth Ki Awaaz पर लिखते समय इन सभी बातों का खयाल रखें, गाइडलाइन्स को फॉलो करें और Youth Ki Awaaz पर खुद से पब्लिश करते रहें

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