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आर्टिकल में फोटो चुनने में दिक्कत? टाइटल में परेशानी? YKA के पास है इलाज

आप किसी ज़रूरी मुद्दे पर कुछ पब्लिश करें और उसे केवल 10-12 लोग ही पढ़ें तो यह बहुत निराशाजनक होता है ना! आज के समय में इंटरनेट पर फनी विडियोज़ से लेकर गंभीर आर्टिकल और मेम्स तक, सब एक ही जगह उपलब्ध हैं। ये ऑडियंस ही तय करती है कि उन्हें क्या देखना या पढ़ना है।

ऑनलाइन इंफॉर्मेशन की इस मारामारी के बीच Youth Ki Awaaz की लगातार कोशिश है कि ज़रूरी मुद्दों पर आपकी बात लोगों के बीच प्रभावी तरीके से पहुंचाई जाए। YKA के बहुत से आर्टिकल्स को 1 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़ा जाता है। अब आपके ज़हन में सवाल होगा कि कैसे?

और पता है इसका सबसे अच्छा तरीका क्या है? यह कि आर्टिकल क्लिक करने से पहले ही रीडर को खुद से जोड़ लिया जाए, खुद से प्रभावित कर दिया जाए। और एक बार किसी ने आर्टिकल पढ़ना शुरू कर दिया फिर तो ऐसा होना चाहिए कि वो अपने दोस्तों में अापका आर्टिकल ज़रूर शेयर करें। और ऐसा हो ये पूरी तरह आपके टाइटल और फोटो पर निर्भर करता है।

अपने आर्टिकल के लिए परफेक्ट टाइटल कैसे चुनें:

1. अपने आर्टिकल से उठते सवाल को पहचाने:

जिस मूल मुद्दे के बारे में आपने आर्टिकल लिखा है, उस पर आपके रीडर्स से सवाल करिए। इस आर्टिकल में महिलाओं के ब्रा स्ट्रैप्स दिखने से जुड़े टैबू को लेकर बात की गई है। इसका टाइटल भी सीधे सवाल करता है कि कपड़े का एक हिस्सा दिख जाने में आखिर क्या बड़ी बात है। इस तरह से टाइटल में सवाल पूछकर आप रीडर्स से एक सीधा संवाद कर रहे होते हैं।

 

अब एक और उदाहरण लेते हैं कि टाइटल में भी बेहतर सवाल कैसे पूछा जाए-

इन आदतों से कैसे सफल होगा रेलवे का बायो टॉयलेट?
या
मग चुराएंगे, पान-गुटखा, डायपर डालेंगे, तो रेलवे का बायो टॉयलेट कैसे सफल होगा? 

इन दोनों टाइटल पर गौर करें तो निश्चित रूप से दूसरे टाइटल से ज़्यादा लोग कनेक्ट कर सकते हैं, क्यूंकि इस टाइटल से पता चल जाता है कि बायो टॉयलेट में किन कारणों से खराबी आ सकती है और लेख में इन पर बात की जाएगी। उम्मीद है कि ऊपर दिए गए उदाहरणों से आपको अपने लेख के टाइटल तय करने में मदद मिलेगी।

2. आपके टाइटल को ताज़ा खबरों से कनेक्ट करें:

चलिए इसे भी एक उदहारण से समझते हैं। इस आर्टिकल में भीमा कोरेगांव की हुई हिंसा के बारे में लिखा गया है, जिसमें सदियों से शोषित दलित समुदाय के सम्मान पर बात की गई है।

अब इन दो टाइटल्स की तुलना कीजिए:

“क्या अस्मिता का अधिकार सिर्फ सवर्णों को है?”
या
भीमा कोरेगांव मामला: “क्या अस्मिता का अधिकार सिर्फ सवर्णों को है?”

इन दोनों टाइटल्स की तुलना करें तो दूसरा टाइटल बेहतर नज़र आता है। कारण है हाल ही में हुई भीमा कोरेगांव की घटना का रेफरेंस देने से पता चल जाता है कि लेख में दलित अस्मिता की बात की जा रही है।

3. आपके टाइटल में विशेषणों का इस्तेमाल करें:

खुद से यह सवाल पूछें कि यह लेख पढ़कर आपको कैसा लगता है? और जो आपको महसूस हो रहा है टाइटल में उसे एक विशेषण के रूप जोड़ने की कोशिश करें, लेकिन ध्यान रखें कि आपका टाइटल बस इन्ही से ना भरा हो। किसी टाइटल को बहुत बढ़ाचढ़ा कर लिखना भी सही नहीं है, जैसे:

“रमन राघव 2.0: एक खौफनाक कातिल की खौफनाक और रूह कंपा देने वाली कहानी”

कुछ ज़्यादा ही हो गया, है ना! रीडर्स को भी यह समझ आ जाता है, इसे हमेशा ध्यान में रखें।

किसी घटना विशेष से सम्बंधित व्यक्ति, जगह या समय जैसी जानकारी अगर टाइटल में होंगी तो रीडर्स आर्टिकल से आसानी से कनेक्ट कर पाएंगे। जैसे- ‘झारखण्ड के सिमडेगा जिले में…’ या ‘पढ़िए सुभाष चन्द्र बोस का सिंगापुर वाला भाषण’ आदि। आज जब मुख्यधरा के मीडिया में छोटी जगहों की खबरों को काफी हद तक नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, ऐसे में इन जगहों के मुद्दों पर लिखते समय इस तरह के टाइटल आपको बड़ी ऑडियंस तक पहुंचने में काफी मदद कर सकते हैं। अगर आपने अपने निजी अनुभवों के आधार पर आर्टिकल लिखा है तो टाइटल में इसका ज़िक्र किया जा सकता है।

4. टाइटल छोटा और सटीक हो:

ज़रा सोचिए! टाइटल के ज़रिये रीडर को प्रभावित करने के लिए आपके पास 3-5 सेकेण्ड का ही समय होता है। अगर टाइटल बहुत लम्बा है और उलझा हुआ है, तो इससे आप अपने रीडर्स खो सकते हैं। इसलिए अपने टाइटल को सटीक रखिए और कोशिश कीजिए कि टाइटल 10-12 शब्दों में पूरा हो जाए।

अपने आर्टिकल के लिए परफेक्ट फोटो कैसे चुने:

1. ध्यान रखें कि फोटो टाइटल से कनेक्ट करती हो:

फोटो चुनने का सबसे आसान तरीका है कि ये आपके टाइटल से कनेक्ट करती हो। अगर टाइटल और आर्टिकल किसी ख़ास जगह पर भारी बारिश के बारे में है तो आप ‘मूसलाधार बारिश’ का कोई फोटो लगा सकते हैं। अगर टाइटल में कुछ प्रतीकात्मक चीज़ें हों जैसे- पंछी या छतरी या किसी सेलीब्रेटी का नाम तो इन्हें भी फोटो में इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. साफ और अच्छी क्वालिटी की फोटो इस्तेमाल करें और जेनरिक फोटो से बचें:

याद रखें कि सोशल मीडिया पर रीडर्स सबसे पहले आपके आर्टिकल का फोटो ही देखते हैं और उसके बाद टाइटल। धुंधली, बहुत ज्यादा चमकदार और बहुत बार इस्तेमाल की गई तस्वीरों के इस्तेमाल से रीडर्स को लगता है कि यह भी कोई आम लेख ही है। कलरफुल और साफ चेहरे वाली फोटो का प्रयोग करें, साथ ही फोटो को बेहतर बनाने के लिए कुछ बेसिक ऑनलाइन एडिटिंग टूल्स जैसे फोटोर या कैनवा का भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं।

एक खास बात और, फोटो सलेक्ट करते समय यह ज़रूर देख लें कि वह कॉपीराईट फ्री हों। अगर आपके पास खुद की खींची हुई फोटो हैं तो उनका बेझिझक इस्तेमाल करें, साथ ही लेख के अंत में ज़रूर लिखें कि फोटो आपके द्वारा ली गई हैं। अगर गूगल पर फोटो सर्च कर रहे हैं तो टूल्स में जाकर यूसेज राइट्स में जाएं और लेबल्ड फॉर रीयूज़ (google-image-tools-usage rights-labeled for reuse) सलेक्ट करें। इसके बाद जो फोटो दिखें वही इस्तेमाल करें।

फोटो के लिए आप flickr का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें भी फ्री फोटो के लिए all creative commons का ऑप्शन सलेक्ट करें फिर ही फोटो डाउनलोड करें। इसके अलावा आप सोशल मीडिया साइट्स से भी फ़ोटोज़ ले सकते हैं। आप जहां से भी फोटो लें, चाहे वो सोशल मीडिया से हो गूगल से हो या flickr जैसी वेबसाइट, उन्हें क्रेडिट देना कभी ना भूलें।

3. कुछ अतिरिक्त ज्ञान:

जो फोटोज़ आप इस्तेमाल करें वो सामने से ली गई हों, इससे रीडर्स से एक सीधा संवाद बनता है। ध्यान रखें कि आपकी फोटोज़ में बहुत सारा टेक्स्ट ना हो, और सबसे ज़्यादा ज़रूरी यह कि आपका टाइटल और फोटो लेख के बारे में सब कुछ ना बता दे, पढ़ने वालों के लिए लेख के अन्दर भी कुछ बचा होना चाहिए ना!

कुछ अच्छी फोटो के उदाहरण:


तो इन टिप्स के इस्तेमाल से अपने आर्टिकल बेहतर बनाईये और Youth Ki Awaaz पर करिए खुद से पब्लिश।  

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